मेरे बचपन में एक बहुत शर्मनाक बात हुआ. मैं अपनी माँ के साथ थी. हम लोग एक दुंकन में. हम एक दूकान में थे. वह कौन सी दूकान थी, यह मुझे याद नहीं हैं. शायद वह किसानों का बाजार था या शायद यह एक बड़ी दुकान थी जैसे कि कोर्गेर है.
मेरी माँ को कुछ सब्जियां खरीदनी थीं. इस लिए हम दोनों दूकान में जा रहे थे. जब हम लोग दूकान के अंदर गये तब मैं दूकान के अंदर रक्खी बहुत सारी चीजें देखने में लग गयी. दूकान में बहुत सरे कद्दू थे. मैं इतने सारे कद्दू देखकर बहुत खुश हो गयी क्योंकि मुझ को कद्दू की पाए बहुत पसंद थी. मैंने सोचा कि " माँ उन कद्दुओं के साथ बहुत अच्छी पाए बना सकती हैं." तो तब मैं अपने माँ को कही " माँ देखो! ये बहुत सुंदार कद्दू है!
क्या हम को कुछ कद्दू मिलता चाहिए? कद्दू के साथ हम पाए बनाना चाहिए!" लेकिन जब मैं अपने माँ के लिए देखी वह वहां नहीं थी.
मैं एक औरत देखा, लेकिन मुझ को उसे नहीं जानता थी. मुझ को बहुत शर्मिंदा था. मैं उसको सारे चीजों कहा था और वो मेरी माँ नहीं थी. मुझको औरत कही कि " मैं माफी चाहता प्रिय हूँ. मैं तुम्हारे माँ नहीं हूँ. कहाँ तुम्हारे माँ?" तब मैं अपने माँ देखा. मैं उसको कही "हाँ." तब मैं अपने माँ के लिए चल रही थी. मुझको बहुत बहुत शर्मिंदा थी. आब मुझको जानती हूँ कि वहाँ नहीं कोई कारण थी लेकिन तब मैं एक छोटी लड़की थी.
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