Sunday 6 November 2011

अगर मैं भारत जाती - शिवानी सदवाल

अगर मैं भारत जाती, मैं भारत के हर कोने में पहोंचती. पहले मैं हिमाचल प्रदेश जाती, अपने रिश्तेदारों से मिलने. मेरी मम्मी के माथा-पिता और मेरे पापा के रिश्तेदारों सारे हिमाचल में रहते है. हिमाचल से मैं पंजाब जाती. मुझे पुंजाब बहुत पसंद है, और मेरे एक मामा जी लुधिअना में रहते है, तो यह एक बहन भी बन सकता है. :) मैं "गोल्डेन टेम्पले" देखती. वहां  से मैं राजस्थान देखती- मशहूर रंग बिरंगे कपडे, ऊंट, और मज़ेदार खाना छक्ती. वहां से मैं गुजरात जाती, और मेरा पसंद का खाना, ढोकला, खाती. गुजरात से मैं बॉम्बे जाती. यह तो बहुत हइ मशुर शहर है, लेकिन मैं कभी नहीं गयी हूँ. मैंने सारी इमारतें देखनी हैं. मुझे खरीदारी भी करनी है, बॉम्बे की बाजारों में. से मैं गोवा देक्ति, क्योंकि यह एक बहुत ही मशुर जगह है और सब परदेसी वहां जाना चाहते है. गोवा से मैं दक्षिण भारत जाती- केरला और तमिल नाडू, और देखती कैसा है. मेरे कुछ दोस्त वहां से है, तो मैं देक्ति की कैसे अलग है या कैसे एक सा है. मुझे पूर्व भारत का कोई जान पहचान नहीं है तो मैं वहां भी जाती- बंगाल के आस पास. इस यात्रा में मैं ज़रूर आग्रा भी जाती- ताज महल देखने. मैं दो बार गयी हूँ, लेकिन इतना सुन्दर है की मैं बीस बारी और भी जा सकती हूँ. अंत में मैं दिल्ली को जाती. भारत जाकर दिल्ली में कुछ दिन रहने के बिना एक जुर्म होना चाहिए. यह एक बहुत ही जिवंत शहर है, और बहुत कुछ देखने को है. जब भी मेरा परिवार भारत जाता है, हम ज़रूर "अप्पू घर" जाते है मज़े के लिए. 

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