Sunday 17 April 2011

सँपेरा नृत्य

तो सच में मैं भारतीय लोक नाच के बारे में नहीं जानती हूँ लेकिन जब मैं भारतीय नृत्य देखती हूँ तो वे हमेशा मुझे बहुत सुन्दर लगते हैं। खासकर मुझे एक फिल्म का नाच याद है. इस फिल्म का नाम "गाईड" है और इस नाच का नाम संपेरा है. http://www.youtube.com/watch?v=TxtCFZp-C_U&feature=fvst फिल्म में दो औरतें थी. दोनों ने लाल सदियाँ और चांदी पायल पहनी थी. औरतों के आलावा एक संप था और जो एक नाग था. लेकिन नाग और औरतें नाच में नहीं अकेले थे क्योंके उन के साथ एक आदमी वहां था. जो आदमी नगाड़े पर भेज रहा था और औरतें उस के संगीत का लय से नाच रही थी. लेकिन वे सिर्फ नगाड़े के लय से नही नाच रही थी क्यों की वे नाग के लय से भी नाच रही थी और इस लिए इस नृत्य में वे आपने हाथ और शरीर नाग की तरह घूम रही थी. मेरे लिए इस नाच का सबसे सुन्दर हिस्सा है जब वे सांप की फेन की तरह आपने हाथ को घुमा रही थी. मुझे लगता है की सभी भारतीय नाच में हाथ की गति सबसे सुन्दर है और उस के बाद सिर की गति है. इस संपेरा नाच में दोनों गतियाँ होती हैं.

जब मैंने संपेरा नाच के बारे में सूचना पाने की कोशिश की तो नाच के बारे में मैं कुछ नहीं पा सकी लेकिन संपेरों के बारे में मैंने सूचना पाई. शायद यह नाच और ये लोग जुड़े हैं लेकिन मैं नहीं जानती हूँ. लेकिन मुझे मालूम है कि संपेरा लोग बहुत दिलचस्प हैं और उन का सम्बन्ध नाग के साथ बहुत खास है. नाग के साथ छोटे-छोटे बच्चे भी खेलते हैं और जब किसी बच्चे की उम्र दो साल है तो वह नाग को मिलता है.

Wednesday 13 April 2011

भारत में गरीबी

भारत में बहुत गरीबी है. बहुत लोग भारत में रहते है लेकिन अधिकांश लोग गरीब है. कुछ लोग सड़क में रहते है. जब से १९५०, सरकारी और दुसरे ओर्गनिज़तिओन्स गरीबी के लिए मदद करते है. वे कई प्रोग्राम्स शरू करते है. भारत में गरीबी कई समस्या बहुत सालों से है. भारत जब ब्रिटिश राज के नीचे था तोह वह लोग अपना सारा काम भारत के लोगों से कराते थे और उसका सारा फल अपने पास रखते थे. इस करके धीरे धीरे भारत गरीब होता गया. भारत को १९४७ में आज़ादी मिली और तभ भारत कई लगभग पूरी जनता गरीबी में रहती थी. तब से भारत के नेता लोगों को रोजगारी दिलाने पे लगे हैं जिससे की लोगों की गरीबी दूर हो और देश आगे बढे. पिछले ६० साल में भारत की गरीबी कम तोह ज़रूर हो गयी है लेकिन अभी भी आधी से ज्यादा जनता गरीब है और उन के पास खाने पीने के लिए भी पैसे नहीं है. गरीबी में रहने से सिर्फ गरीब ही नहीं बल्कि सभी लोगों पर असर पड़ता है. यह इसलिए क्यूंकि गरीब लोग बीमार पड़ते हैं और उनकी बीमारियाँ सभ जगह फेल जाती हैं. गरीब लोगों के पास इतना पैसा नहीं होता की वह दोकोटर को देखने जायें और अपने आप को ठीक करा लें . इस करके हर साल पता नहीं कितने गरीब लोग कई बीमारियों के शिकार पड़ते हैं और उन बिमारियों से उनकी बहुत बार मौत भी हो जाती है. भारत में गरीबी हटाने के लिए कई प्रोग्राम शुरू किये गए हैं . यह प्रोग्राम गरीब बचों को मुफ्त में पढ़ाते हैं , उन्हें खाना देते हैं और उनकी और भी बहुत सेवा करते हैं .भारत में आजकल भी बहुत कुछ किया जा रहा है और आशा है की यह बहुत जल्द ठीक हो जाये 

दहेज़

हर देश में कुछ समस्या होते हैं. हर देश में कई न कई मुसीबत होती है. अमेरिका में कुछ समस्ये हैं, और भारत में भी कुछ समस्ये हैं. आज कल भारत में दहेज़ का समस्या बहुत नहीं है, लेकिन बहुत साल पहले यह समस्या बड़ा था. दहेज़ अंग्रेजी में दोव्री कहते हैं. दहेज में बहुत चीज़ें मांग जाते हैं. इन चीज़ों गाड़ियाँ, पैसे, कपडे, और बहुत कुछ और मांग जाते हैं. दहेज़ होते है जब दुलहन अपने दुल्हे के घर पर जाती है. मेरे ख्याल में दहेग कि प्रथा ठीक नहीं है. ठीक नहीं लगता है क्यों कि लोग पैसेदार नहीं होते. कुछ परिवारों के पास बहुत पैसे नहीं हैं दहेज़ करने के लिए. कभी कभी दुलहन की परिवार के पास पैसे नहीं हैं, बहुत चीज़ें खरीदने के लिए. इतिहास में कई न कई लडकियां कुंवारी रह जाती थी क्यों कि उनके माता पिटा दहेज़ नहीं दे सकते क्यों कि बहुत पैसे नहीं थे. कभी कभी दहेज़ के लिए एक परिवार का पिता और बेटे बहुत काम करना पड़ते हैं. काम करने पर कुछ पैसे घर में आते हैं, तो इस पर लड़की को शादी का वक्त करने के लिए मिलेंगी. बहुत सालों पहले, अगर एक लड़की उनके पति के घर पर अपर्याप्त दहेज़ लाती है, तो लड़का का परिवार उन को जिंदा जला दिए थे. लड़का का माता पिता उन को जला देते हैं. यह करते हैं क्यों कि लड़का का माता पिता चाहते है कि उन के बेटे फिर दूसरी शादी करें. यह सुनने पर मुझे यह रिवाज बहुत खराब लगता है. आज कल भारत में दहेज़ बहुत नहीं करते लेकिन गाँव में यह रिवाज अभी भी होते हैं.

हिन्दू वेद्दिंग्स

हिन्दू शादी में दुल्हन सारी पहनती है । वह उसके बालों में एक घूँघट पहनता है । उसके सर को कवर सम्मान का एक संकेत देवताओं और बड़ों के लिए है । दुल्हन के एक धोती और एक कमीज़ पहनता है । दुल्हन के पिटा दुल्हे दही और शहद स्वागत और सम्मान के लिए देती है । दुल्हन के माता पिता उसे रस्म कहा जाता है बनाया कन्यादान में दे देना । भी , आग के साथ रस्म है । यहाँ, दुल्हन और दुल्हे आग में चावल फेंक देते हैं । इस रस्म 'राजहम' कहा जाता है ।

शादी के दीन पर, दूल्हा दुल्हन के गले में मंगल्सूँ संबंधों है । इस समय, पुजारी वैदिक भजन पीठ करता है । वे यह भी मानना है देवानाओं शादी पर हैं । आज बहुत हिन्दू शादयाँ में आम है । चार बार दुल्हन और दुल्हे आग के चरों ओर चलता हैं । इस जीवन में चार गोल का प्रतिक है । धर्मं, अर्थ, कम, मोक्ष । तो जोड़े सात चारणों लेता है । हर कदम एक व्रत का प्रतिक है ।

पश्चिमी भारतीय शादीयों आमतोर पर सुबह में जगह ले लो । सुबह में, गणेश की पूजा करना जाता है । सुबह में, दुल्हे के परिवार दुल्हन का घर को जाता है और भव्य नाश्ता खाना जाता है .

Tuesday 12 April 2011

India's Drug and Farmer Suicide Problem

भारत में तिह्तर परसंत के ड्रग नशे वाले लोग सोला साल और पैंतीस साल है.  सडसत परसंत के प्रामीन वाले गारों में कम से कम एक बंदा ड्रग या शराब पीते हैं.  बीस परसंत से ज्यादा ड्रग जो पोलीस पकड़ते हैं वे पंजाब से हैं.  पैंतीस और चालीस प्रांत दृग जो पोलीस पकड़ते हैं वे पाकिस्तान और भारत का बोरडोर से आता हैं.  ड्रग की सुसीबत ज्यादा के कारण है के ड्रग बोरडर से आते हैं.  बोरडर से पुनजब जाते हैं वहां से साड़ी भारत जाती हैं.  यह मुसीबत ज्यादा खरीं प्रामीन जगहें में है क्योंकि ये जगह में भुत तरह की मुसीबत हैं.  भारत में सात परसंत के लोग कृषि पर निर्भर करते हैं. कृषि पर भरता एक मुसीबत है क्योंकि यह भतरा रता मानसून से जुआ है.  किसान का आत्महत्या भुत बड़ी मुसीबत है क्योंकि भुत सालों से बहुत किसान अपने जान ले रागे २००२ और २००६ के बीच में हर साल १७,६०० किसान आत्महत्या कए.  
भारत अबी ज्यादा शहरी बन गया है और इंडस्ट्री देश की आय बन गयी.  भारतीय सरकार ने देश के कृषि के बारे में नहीं सोचा था.  किसान का आत्महत्या ज़्यादा बढ रही है क्योंकि जो लोग किसान को पैसे बेटे हैं वे किसान इन्त्रस्त लगाते हैं और जब फसल नहीं लगते तो किसान के पास कोई और वास्ता नहीं है.  
भारतीय सरकार ने वादा किया की वे किसान को मदद करेंगे लेकिन अबी तक कुछ नहीं किया है.  पैसे देने वाले लोग ने वादा कि की वे इंटरेस्ट नीचे करेंगे.  भारतीय सरकार ने एक मदद के ग्रुप बनाये है.  ग्रुप का नाम वसंतारो नैक शेटी स्ववालंबन मिशन हैं.  

भारत कि समस्या: प्रकार दो

खबर के अनुसार इज्जत के नाम पर हत्या बाद रहे हैं। "नेशनल गेओग्रफिक" के अनुसार कोई एक हज़ार इज्जत के नाम पर हत्ये हर साल हो जाते हैं और कोई पांच हज़ार औरतें जलीं जाती या मरीं जाती हैं। आमतोर पर औरतों के परिवार उतरदायी हैं। पेचले साल एक हफ्ते जून में पांच जोरे मरे गए थे। हर लोग जवान थे और ज्यादा आपने परिवार से मरे गए थे। मेरे लिए यह बहुत दुखद है क्योंकि इन परिवार के विचार में वे सही ढंग में आचरण किये थे। कई बार वहां पड़ोसिन थे लेकिन उन्होंने ही मदद करने के लिए कुछ नहीं किया। मेरे विचार में किस्सी नहीं को प्रेम का कारण मारा जाने चाहिए।

आयुर्वेद


एक लंबे समय पहले, पाँच हजार साल पहले शायद स्वास्थ्य पर पुस्तकें लिखी थी. इन पुस्तकों, भारत से आने वाले बहुत पुराने हैं . उन्होंने कहा कि कर रहे हैं के लिए स्वास्थ्य पर दुनिया में सबसे पुरानी किताबें सकता है । क्योंकि वे बहुत प्राचीन हैं, आयुर्वेद का इतिहास बहुत ही रोचक हैवे वेदों के दौरान लिखी थीपुस्तकों के नाम हैं सुश्रुत संहिता और चरक संहिता हैं । एक लंबे समय के लिए, इन किताबों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया गया । यह काफी आश्चर्यजनक है! आयुर्वेदिक चिकित्सकों का मानना ​​था पृथ्वी पांच तत्वों से संचालित किया गया था । पृथ्वी, अग्नि, जल, आकाश और वायुउन्होंने कहा कि लोगों को इन तत्वों से बने हैं । उन्होंने कहा कि तत्वों की एक संतुलन आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है । प्रत्येक व्यक्ति को इन तत्वों का मिश्रण है और आप वता, पिता, या कफा होने सकते हैं। वे 'दोषों' जिसका अर्थ है 'संविधान' कहा जाता है । अगर आप स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो आप तीन दोषों के संतुलन चाहिये। आप अपने दोष पता हैं के बाद, आप जान सकते हैं कि तुम क्या खाना चाहिए, क्या योग करना चाहिए, क्या पीना चाहिए, और भी बहुत कुछ चीजें हैं। आयुर्वेद अन्य चिकित्सा से अलग है क्योंकि यह करने के लिए 'दिव्य मूल' है कहा जाता हैआयुर्वेद का देवता हिन्दू ' धन्वन्तरी' हैं। दीवाली के तीसरे दीन , वह मनाया जाता है । लोग उसकी पूजा जब आछा स्वास्थ्य चाहते हैं । वह एक प्रारंभिक भारतीय चिकित्सक और एक दुनिया का पहला सर्जन था ।

यह आसान है दक्षिण में आयुर्वेद अभ्यास क्योंकि वहाँ और अधिक जड़ी बूटी, फूल, फल रहे हैंकेरल में, यह बहुत लोकप्रिय है । आयुर्वेद में, उनका मानना ​​है कि वहाँ हर बीमारी के लिए एक जड़ी बूटी है । केरल में, यह बहुत उष्णकटिबंधीय है और जड़ी बूटियों बहुत अच्छी तरह से जाना

Monday 11 April 2011

भारत की समस्या

मेरे लिए भारत की समस्या के बारे में बताना बहुत मुश्कल है क्यों की भारत में (एसा हर जगह हैं) कई समस्याएँ हैं। अबभी भी मैं बहुत तरह की समस्याएँ सोच सकती हूँ, जैसे भूक, गरीबी, नक्सली और माओवादी की लड़ाई, प्रदूषण, दहेज़, वगैरह। एक मुश्कल कि मुझ को पता गई थी इज्जत के नाम पर हत्या है। इज्जत के नाम पर हत्या खासकर उत्तर भारत में होते हैं। उदाहरण के लिए, पंजाब, बिहार, राजस्थान, और हरयाणा में ये हत्ये होते हैं लेकिन दक्षिण में ये लगभाग कभी नहीं होते हैं। इज्जत के नाम पर हत्या खासकर हरयाणा में होते हैं। हरयाणा दिल्ली के पास है और इस जगह में कई जात लोग रहते हैं। इन लोगों के विचार में दो चीज़ें सबसे ख़राब हैं। पहला, आपने जाति के बाहर शादी करने और दुसरे चीज़ है कि आप अपने गोत्र में मत शादी करने। फिर bलोग अलग जातियों से मिलते हैं और एक दुसरे से प्यार करते हैं।

भारत की गरीबी

इन दिनों अर्थव्यवस्था सभी के लिए एक चिंता का विषय है। अर्थव्यवस्था गिर रहा है और विशव में लोग नौकरी खो रहे हैं। इसके कारण बेरोजगारी की दर बढ़ रही है। लेकिन अंतिम परिणाम जरीबी है।


भारत की आजादी के बाद से गरीबी अब भी एक प्रमुख मुद्दा है। भारत में गरीबी अब भी मौजूद हैं क्योंकि ग्रामीण भारतीयों अप्रत्याशित कृषि आय पर निर्भर करते हैं। कभी कभी मौसम बहुत अच्छे होते है और उनको बहुत फसल मिलते हैं। कभी कभी मौसम बहुत खराब होते हैं, और तब उनके फसलों के बहुत नुकसान होते है। उस समय के दौरान वे वास्तव में अपने आय के स्रोत पर नियंत्रण नहीं है। कई बार ग्रामीण भारतीयों बेहतर आय के स्रोत या नौकरी के लिए शहरों में उम्मीद लेकर जाते हैं। लेकिन गरीबी सिर्फ गांवों में प्रचलित नहीं है, शहेरों में भी बहुत गरीबी हैं।


शहरी भारतीयों दुर्लभ नौकरियों पर भरोसा करते हैं। शहर की जनसंख्या दिन पर दिन बढ़ती हो रही है और एक नौकरी मिलना बहुत मुश्किल है। जनसंख्या गरीबी के लिए एक प्रमुख कारण है। भारतीय परिवारों आमतौर पर बहुत बड़ा है और इसका मतलब है कि प्रत्येक परिवार के संसाधनों और रहने की जगह की बहुत जरूरत है। मगर उनके संसाधनों या रहने की जगह नहीं बढ़ती है। भारत में संसाधन और धन के वितरण असमान है। इस असमानता विभिन्न शहरों और गांवों के लिए अलग गरीबी अनुपात बनाता है। यह भारतीय केस्ट सिस्टम का एक परिणाम है। इसलिए गरीब लोग सबसे ज्यादा कष्ट करते हैं।


सरकार गरीबी दूर करने के लिए कई कार्यक्रम का विकसित किया है। लेकिन फिर भी अमीर लोग सिर्फ अमीर हो रही है और गरीब लोग दिन पर दिन सिर्फ गरीब हो रहे हैं।

पढाई लिखाई

मेरे विचार में भारत का सब से बड़ा विषय पढाई लिखाई है| भारत में सारे प्रदेशों के अलग-अलग पढाई लिखाई के प्रबंध हैं| कुछ स्कुल निजी और कुछ प्रजा सम्बन्धी हैं| भाषाओँ की स्कुल अलग-अलग हैं| कुछ स्कुल बच्चों का पहली भाषा का इस्तेमाल करते हैं और कुछ स्कुल दूसरी भाषाओँ का इस्तेमाल करते हैं कभी अंग्रेजी या हिंदी या दूसरी भाषा| अगर कुछ और समान्ते सिस्टम में होता तो सुधारने ज्यादा आसान हो| आमिर लोग अपने बच्चों को अच्छे-अच्छे स्कुल को भेज सकते हैं लेकिन गरीब लोगों को अपने बच्चों को दुसरे स्कुल भेजने पड़ते हैं| कुछ सरकार के स्कुल अच्छे हैं लेकिन सच में बहुत बुरी तरह से जारी रखते हैं| शिक्षक कभी कभी स्कुल नहीं आते हैं और बहुत स्कूलों के पास सहारे और पैसे नहीं है| इसीलिए बहुत जीवन अच्छी पढाई लिखाई नहीं मिलते हैं| मेरे विचार में छोटे बच्चों को अच्छी पढाई लिखाई अपनी पहली भाषण में देना जो सब से महत्वपूर्ण चीज़ है| बच्चे अंग्रेजी और दुसरे विषय सिख सकते हैं लेकिन बहेतर होगा की इसके बाद हो| दूसरी भाषा और विषय ज्यादा अच्छी तरह से सीखेंगे अगर उनके पास पहला अच्छा बुनियाद है|

भारत में पपढाई लिखाई सब से महत्वपूर्ण बात है क्योंकि जब लोग पढ़ी-लिखी हैं तब वे खुद अपने मुश्किल और परेशानी ठीक करें| लोग स्वास्थ्य के बारे में जानेगा और वे मुश्किल टाल जा सकेंगे| जब आपको मालूम है कि अपने सरकार कैसे चले तब लोग प्रमाणित करें कि सरकार के सदस्य अच्छी तरह से काम कर रहे हैं| पढाई लिखाई लोगों को जानकारी और बोध देता है तो उनसे नौकरी मिल सकते हैं और ज्यादा अच्छी तरह से जी सकते हैं| पढाई लिखाई के सिस्टम सुधारने में बहुत बड़ा काम है| हर प्रदेश और हर संस्कृत भारत में अलग हैं और देश में बहुत भाषाएँ बोली जाती हैं लेकिन सिस्टम सुधारने अनहोनी नहीं है| आवश्यक है कि सारे सरकार के स्कुल ज्यादा अच्छी से चलाए जाते हैं और लोगों को सरकार से हठ करना चाहिए के सारे स्कुल सुधरेंगे|

अतिजनसंख्या को टीख करना ज़रूरी है!

अतिजनसंख्या भारत का बहुत बड़ा समस्या है इन दिनों. जब से भारत को आजादी मिली, तब से भारत का जन संख्या बाद रहा हैं. यह क्यों हो रहा हैं, वैसे तो मुझे मालूम नहीं है, मगर मुझे इतना मालूम हैं की अगर सर्कार कुछ ना करे, तो फिर जन संख्या बदती रहेगी और वे कुछ नहीं कर पाएँगे. 

अभी भारत में एक अरब से ज्यादा लौग हैं. चाइना के बाद, भारत का सबसे बड़ा जन संख्या मगर भारत में जगह बहुत कम हैं. चाइना में लौग बहुत हैं लेकिन जगह भी है. भारत की ज़मीन चाइना का आधा भी नहीं है. इस लिए अतिजनसंख्या भारत में ज्यादा समस्या हैं. चाइना में सर्कार ने कोशिश की हैं जन संख्या को कम करने के लिए. सर्कार ने एक नियम बनाया हैं जिसके निचे एक घर में एक बच्चा से ज्यादा नहीं हो सख्त है. अगर किसी परिवार में बहुत पैसा हो, तो फिर वेह और बच्चे रक सखते हैं मगर उनको सरकार को बहुत पैसा देना पड़ता है. इस तरीके से चाइना के सर्कार ने कोशिश की है की वेह अपना जन संख्या कम करे. मगर इस नियम के कारण, लौग ढंग से अपने बच्चो को नहीं पलते हैं. चाइना में अब बहुत कम लड़कियां पहदा होती हैं क्यों की लौग लड़के चाहते हैं. 

मुझे नहीं लगता हैं की ऐसी नियम भारत में चलेगी. यह नियम भारत के पुरे परंपरा को भूल जाती हैं और फिर गरीब लौगो पर बहुत मुश्किल लगाती हैं. भर्तियाँ लौगो के लिए परिवार बहुत शुब चीज़ होती हैं और अगर हमारा सर्कार यह चीज़ भूल जाये तो फिर भारत के लौग के लिए अच्छा नहीं होगा. 


दहेज़ का नुक्सान


पुरानों में जब कन्यादान की जाती थी तब दुल्हन का परिवार से दूल्हा का परिवार को पैसा या कोई और कीमती चीज़ दी जाती थी|इतिहास में ऊंचे जाती के परिवारों दहेज़ सिर्फ तौफा में देते थेलेकिन इस ज़माने के बाद दहेज़ का रिवाज़ बदल गया|कुछ सालों बादलोग ऐसे मानते थे की दहेज़ नयी पत्नी का सुरक्षा के लिए दी जाता थाअगर अच्छा दहेज़  मिलें तो कभी पत्नी को उसके नए घर में बूरी तरह से व्यवहार की जाता थामेरे ख्याल में, दहेज़ का रिवाज़ हमें पुराने ज़मानों में छोड़ देना चाहिए|आज कल दहेज़ का रिवाज़ सिर्फ लालच (ग्रीडके वजह से होता है| भारतीय समाज मेंकभी कभी महिला कमज़ोर मानी जाती है और पुरुष ज्यादा शक्तिशाली मने जाते हैं|लेकीन अभ भारत ने भी बदलना शुरू किया है|भारत ने दहेज़ का रिवाज़ 1961  में रोक दिया|लेकिन फिर भी छोटे गाँव में यह नियम माना नहीं जा रहा है| असल में, दहेज़ के कारण औरतों का नुक्सान अभी भी किया जाता है|हर साल कई औरतों का देहांत हो जाता है दहेज़ के कारणकभी पत्नी जलाई जाती है उसका पति और ससुराल के हाथ सेफिर पुलीस को कहा जाता है की पत्नी की मौत दुर्घटना या आताम्हात्य  से हुईकई औरत ससुराल के घर पर गली और दर्द सहनाती हैं क्यों की ससुराल को लगता हैं की दहेज़ योज्य नहीं था|1993  में लगभग 5373 औरत जलने से मर गयीइन में से सिर्फ 5 प्रतिशत हत्या माने गये हैं| जाब मैने ये मामले पार पढना शुरू किया तो मैं मेरे हृदय में गहेरा चोट जैसा दर्द महसूस करने लगी| मुझे मालूम भी नहीं था कि भारत में अभी तक औरतों के लिए इतनी मुसीबत है| मेरे पहले सोच में, भारत में "सेक्सिज्म " कम होने लगा था| यह सब पढकर मुझे लगने लगा की दहेज़ की समस्या कम हो जाएगी ताकि हम सब लोग कुछ करें या कहें| कोई भी छोटे गाँव या बड़े शहर में दहेज़ देने का रिवाज़ नहीं होना चाहिए| सर्कार को यह महत्वपूर्ण मामले को ध्यान जरूर देना है|