Thursday 31 March 2011

Interview of Leader by Journalist (Priyang an

Interview of Leader by Journalist (Priyang an

Wednesday 23 March 2011

Shaadi

जब दो लोग शादी करते हैं, बहुत सारे काम होते हैं. बहुत सारी रस्मे करनी पढ़ती हैं. शादी की सबसे बड़ी रसम फेरे है. पर फेरों से पहले बहुत सारी रस्मे हैं. पहले तोह मंगनी होती है. और मंगनी के बाद जब शादी का वक़्त नज़दीक आता है, तोह और रस्मे करते हैं. लड़की का मामा चूड़ा पहनाता है और फिर हल्दी की रसम होती है. और भी बहुत सारी रस्मे हैं लेकिन आज कल सब लोग सारी रस्मे नहीं करते. कभी कभी लोगों के पास कम वक़्त होता है, और कम वक़्त के साथ वह कम रस्मे भी करते हैं. लेकिन जो बड़ी रस्मे हैं वह सब करते हैं. पहले जब बरात आती है, तोह मिलनी करते हैं. लड़का और लड़की के परिवार के सदस्य मिलते हैं. मिलनी के बाद मंतर पढ़े जाते हैं. मंतर के बाद, लड़का और लड़की सात फेरे लेते हैं. हर फेरा का कोई मतलब होता है. फेरों के बाद बिदाई होती है और लड़की लड़के के घर चली जाती है. भारत में बिदाई के बाद लड़की चली जाती है लेकिन अम्रीका में, शादी होने के बाद रिसेप्शन होती है. भारत में बहुत बारी ऐसा होता है के बिदाई के वक़्त लड़की बहुत रोटी है क्यूंकि वह अपने घर को छोड़ के जा रही है. लेकिन अम्रीका में शादी के बाद एक बहुत बड़ी पार्टी होती है. भारत में शाद और अम्रीका में शादी अलग तहरीके से करत हैं. इतने अलग तहरीके से शादी नहीं करते लेकिन कुछ कुछ चीज़ें लोग अलग तहरीके से करते हैं.

Monday 21 March 2011

मंगनी



हिन्दुस्तानी शादियाँअमेरिकन शादियों से बिलकुल अलग हैं क्योंकि हिन्दुस्तनों शादियों में बहुत ज्यादा रस्मों-रिवाज होते हैं| अमेरिकन शादियाँ सिर्फ एक दिन होती हैं लेकिन हिन्दुस्तानी शादियाँ सारा हफ्ता चलती हैं| हिन्दुस्तानी शादियाँ में जो रिवाज है वे सांस्कृतिक हैं और सब हिंदुस्तान के हर धर्म, राज्य में के अलग-अलग रिवाज हैं| शादी की रस्में कुछ दिन पहले शुरू हो जाती हैं| सब से पहला रिवाज है मंगनी| कुछ लोग सोचते हैं कि ये रिवाज विलायत से आया लेकिनअसल में ये भारत का ही रिवाज है| रस्मों के नाम अलग-अलग हैं वे मिसरी, नथिया का रस्म, आशीर्वाद, सगाई, और मंगनी हैं| सारे धर्मों में यह रस्म समान ढंग से मनाया जाता है लेकिन कुछ परिवार कुछ अलग से करते हैं| साधारणत रस्म दुल्हन के घर या किसी हॉल में होती हैं| दुल्हन और दूल्हा के परिवार वाले-रिश्तेदार आते हैं ताकि सब लोग शादी की पहेली रस्म शुरू कर सकें| परिवार दोनों को तोहफे, मिठाइयाँ और बधाइयाँ देते हैं| जब लोकाचारी नथिया का रस्म की जाती है तो रिश्ता पक्का हो जाता है| फिर दूल्हा और दुल्हन अपने-अपने परिवार का परिचय करवाते हैं| सब लोगों के लिए कोई भोज भी दिया जाता है| उत्तर प्रदेशों में जब शादी का रिश्ता पक्का हो जाता है तब उत्सव किया जाता है| नथिया के रस्म के साथ 'तिलक' का रस्म भी होती है| दक्षिण प्रदेशों में, रस्म कुछ अलग ढंग से होती है| दुल्हन और दूल्हा उत्सव में शामिल नहीं होते| दक्षिण में सब से महत्वपूरण रस्म टट्टू देना है|

सात फेरे

हिन्दुस्तानी शादियों में लोग खूब मानते हैं| शादी के पहले, शादी के बीच में, और शादी के बाद कई रिवाज़ मनाये जाते हैं| जैसे एन्ग्रेज़ी लोग की विवाह में दुल्हन और दूल्हा एक दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं वैसे हिन्दू विवाह में कुछ विशेष चीज़ की जाती है| एक महत्वपूर्ण रिवाज़ का नाम सात फेरे हैं| हिन्दुस्तानी शादियाँ सत फेरे के बिना शायद कभी नहीं होती होगी क्योंकि यह रिवाज़ इतनी मतलब से भरी हुई है| जैसे यहाँ की शादी में दूल्हा दुल्हन वओव्स (vows) लेते हैं, वैसे ही सात फेरे हिन्दुस्तानी शादी का वादा हैं| जब दूल्हा और दुल्हन सात फेरे में चलते हैं दोनों एक दूसरे से बंधे हुए हैं| दुल्हन की साड़ी दूल्हा के कपड़े से बांध जाती है| इस गांठ से दूल्हा दुल्हन की जोड़ी शुरू होती हैं| फिर सात फेरे शुरू हो सकते हैं| सात फेरे एक पवित्र अग्नि के आस पास (अरौंद) होते हैं| जब कोई वादा अग्नि के सामने बन जाता है तो हिन्दुओं मानते हैं की यह वादा नहीं टूट सकता| इसी लिए शादी के वादे अग्नि के चरों और में (?) किये जाते हैं| हर फेरा का मतलब अलग हैं| जब दूल्हा दुल्हन पहले फेरे में चलते हैं तो वे प्राथना करते हैं की दोनों को साथ साथ ही भोजन मिले| दुसरे फेरे में वे दोनों इश्वर से स्वस्थ और सफल जीवन मांगते हैं| तीसरे फेरे में वे प्राथना करते हैं की वे दर्द और ख़ुशी में हमेशा साथ ही रहे| वे इस फेरे में भगवान से धन भी मांगते हैं| चौथे फेरे में वे प्राथना करते हैं की आपने रिश्ते और परिवारों में हमेशा प्यार और सम्मान बड़ते रहें| पांचवे फेरे में दोनों आशा करते हैं की उनको सुन्दर प्यारे बच्चे मिलें| छठे फेरे में दूल्हा दुल्हन भगवान से शांत लम्बी जीवन मांगते हैं| वे प्राथना करते हैं कि इस जीवन में दोनों साथ में हमेशा रहें| अंतिम फेरे में दूल्हा दुल्हन प्राथना करते हैं कि दोनों के बीच में समझ, दोस्ती, और सच्चाई हमेशा रहें| सातवे फेरे ख़त्म करके दूल्हा दुल्हन पति पत्नी बन जाते हैं| पति पंतनी को मंगलसूत्र पहनता है और पति पत्नी के बाल के भाग में सिन्दूर लगता है|  
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शादी के पहले

शादी के पहले बहुत सारे रस्मे होते हैं। यह रस्मे हर प्रदेश में अलग हो सकते हैं। में गुजरात से हूँ। वह शादी के पहले बहुत साड़ी मजेदार परम्परा हैं। मेरा जन्म गुजरात में हुआ था इस लिए मैं बहुत साड़ी गुजरातीशादी में गया हूँ। अमेरिका आने के बाद में सिर्फ दो गुजराती शादी में गया हूँ लेकिन इस शादीयों में मेरी उम्र ज्यादा थी इस लिए जादा मजा आया था। मुझे शादी का दिन बहुत दिलचस्प नहीं लगता हैं लेकिन शादी के पहले के रिवाज़ बहुत मजेदार हैं। गुजराती शादी में शादी के दिन के पहले एक गरबा होता हैं। गरबा में रास भी हो सकता हैं। लड़के और लड़की के रिश्तदार और दोस्तों गरबा में आते हैं। सब खूब नाचते हैं और मजा करते हैं। आज कल गरबा में जादा वेस्टर्न संगीत भी होता हैं। रास में बहुत मजा आता हैं क्यों की डांडिया के साथ नाचना मुश्किल हैं लेकिन मजेदार भी हैं। कही बार दूल्हा या दुल्हन के भाई-बहन, मौसा-मौसी सब के सामने नाचते हैं। यह गरबा हो सकता हैं या बॉलीवुड के गीतों पर भी होता हैं। मैं ने मेरी बहन के गरबा में नचा था। मुझे बहुत मजा आया । मैं ने हिंदी फिल्म "भागम भाग" पर नाच किया था। कही बार गरबा में दारू भी होता हैं लेकिन कुछ परिवार दारू नही पीते हैं। गरबा शादी के पहले का आखरी रसम हैं। गरबा के बाद शादी का दिन होता हैं। गरबा बहुत मजेदार रसम हैं और गरबा में सब लोग नाचते हैं और मजा करते हैं। गरबा के बाद शादी का दिन होता हैं। गरबा बहुत मजेदार रसम हैं और गरबा में सब लोग नाचते हैं और मजा करते हैं।

Sunday 20 March 2011

हिन्दू शादी के रस्मे

हिन्दू शादियों बहुत लम्बे होते है और रस्मे भी बहुत होते है. हिन्दू लोग रस्मे को बहुत मानते है क्यों की यह रस्मे सब के रिश्तेदार हजारों साल से कर रहे है. जो हिन्दू लोग के रस्मे है कभी कभी बदलते है क्यों कि रस्मे स्थिति पर निर्भर होती है. तमिल नाडू के लोग के शादियों मे दूल्हा और धुलानिया एक दुसरे के ऊपर माला पहनते है. हिन्दू लोगों के शादियाँ पर यह हमेशा होती है, मगर तमिल लोगों के शादियाँ पर धुला और धुलानिया एक दुसरे पर माला तीन बारी पहनते यह. यह एक खेल बन जाता है दोनों जानो के परिवार भी खेलती है और कोशिश करती है कि धुला धुलानिया को माला न पहनवाए. 

मैं खुद कश्मीरी पंडित हु और हमारे भी अपने रस्मे है. एक बहुत ज़रूरी रस्म धुलानिया कि कान कि छेद होती है. हमारे रस्म मैं मंगल सूत्र ज्यादा ज़रूरी नहीं है लेकिन डूजौर बहुत ज़रूरी होती यह. डूजौर एक काँटा है जो कान के उंदर से गिरती है. पुराने दिनों मैं यह एक रस्म बन गयी ताकि जब औरते शादी करते थे, उनके पास कोई पैसे कमाने का तरीका नहीं था. तो जब वे शादी करते थे, वेह अपने घर से दुजौर लाते थे, जो हमेशा सोने के होते थे, और अगर बादमे कुछ हो गया, औरत अपने ससुराल के घर से जा सकती थी और उसके पास कुछ पैसे होते. यह बहुत पुरानी रस्म है मगर आज भी कश्मीरी लड़कियां यह करते है. मेरी माँ अब भी अपनी दुजौर पहनती है और मैं भी अपने छेद कारवां चाहती हु.

शादी के बाद

वैसे तो हिन्दु शादिया कई तरह की होती है, जैसेकि गुजराती, पंजाबी, मराठी, तमिल, परन्तु इन सभी शादियों में कुछ वैदिक नियम हमेशा एक्से ही होते है, जिनके बिना हिन्दु शादी पूरी नही होती. हिन्दु शादी हमेशा मंडप में ही होती जिसमे एक छोटा सा पीवत्र आगिन कुंड जरुर होता है. और इस शादी के मंडप में कोई चप्पल-जूते पहनकर नही जा सकता है. दुल्हन अक्सर लाल साडी पहनती है और बहुत सारे जेवर पहनती है और दुल्हा शेखानी और टर्बन पहनता है शादी के अगले दिन दुल्हन हाथो और पैरो में महंदी लगाती है और सब साथ में खाते पीते और नाचते गाते है. शादी के दिन दुल्हा और उसके परिवार और मित्रो के साथ सज-घज के थाट- माठ से नाचते गाते हुए बारात लेकर दुल्हन को लेने आता है. वधु की माता दुल्हे का पंडित के साथ पूजा विधि से स्वागत करती है और इसी समय दुल्हे के साले और सालियों उसके जूते चुरा लेते है, और तभी वापस करते है, जब दुल्हा उनके छोटे साले सालियों को मुह मागा पैसा देता है. मुझे इस रिवाज़ में बहुत ही मज़ा आता है. फिर दुल्हा मंडप में बैठता है और दुल्हन के माता पिता उसके पैर धोकर फिर अगिन के सामने स्वागत करते है. फिर दुल्हन मंडप में आती है और पंडित जी पूजा विधि के साथ एक दुसरे को वरमाला और अंगूठी पहनवाते है. फिर दुल्हा अपनी दुल्हन को मंगलसुत्र भी पहनाता है. फिर दोनों पीवत्र अगिन के सात मंगल फेर लेते है और दुख- सुख में हमेशा साथ निभाने का वचन देते है. वधु के माता पिता पूजा विधि के साथ अपनी बेटी असके पति को देते है जिसे " कन्या दान " कहते है. शादी की विधि पूरे होने के बाद वर- वधु के परिवार जन और मित्र मंडप में आकर उन्हें बधाई और उपहार देते है. और फिर वर-वधु सभी बड़े बूदो के पैर छूकर अपने शादी शुदा जीवन के लिएआशीर्वाद लेते है. अंत में दुल्हा और दुल्हन दोनों के परिवार साथ में बैठकर बहुत अच्छा भोजन करते है. और उसके बाद दुल्हन के घरवाले उसे अपने पति के घर बिदाई करते है. मुझे अच्छे अच्छे भारतीय कपड़े पहनने का
अच्छा भोजन करने का बहुत मज़ा आता है. शादियों में हम अपने सभी परिवार वालो और मित्रो से मिलते है, साथ में मिलकर खाते पीते है और नाचते गाते है. शादी हमेशा एक त्यौहार की तरह होती है.

मेरी शादी की आश्चर्य


पिछले गर्मी गोवा में मैंने शादी की। शादी हिन्दू थी और क्योंकि मैं हिन्दू नहीं थी तो कुछ चीज़ें मेरे लिए बहुत अजीब थी। मुझे याद है कि दो चीज़ें खासकर अजीब थीं और वे शादी के बीच में और फिर शादी के बाद भी हुए थे। पहले चीज़ ने शादी से पहले शुरू की। यह मंगल सूत्र है। शादी से पहले मेरे पती ने मेरे लिए एक माला खरीद दिया। लेकिन ये आम माला नहीं था, ये मंगल सूत्र था। आज कल सभी भारत के लिए मंगल सूत्र बहुत खास है। मंगल सूत्र एक सोना रस्सी काले गुटके के साथ है। मैं सोचती हूँ कि सोना है क्योंकि सोन हल्दी की तरह है और अतीत में पती अपने पत्नी की गर्दन पर कोई तार हल्दी से तायी करते थे। लेकिन अब तार नहीं है, मंगल सूत्र है। खेर, शादी के बीच में वे पंडित ने मंगल सूत्र आशीवार्द दिया और उस के बाद मेरे पति ने मेरे गर्दन पर ताई किया। मुझे मालूम है कि पत्नियों को मंगल सूत्र हर दिन पहनना चाहिए, लेकिन मैं भी जानती हूँ कि कई हिन्दू पत्नियाँ मंगल सूत्र नहीं पहनतीं हैं क्योंकि किस्सी को मंगल सूत्र माडर्न नहीं लगता है। लेकिन माडर्न या नहीं मंगल सूत्र जरुरी है क्यों कि इस का मतलब है कि औरत शादी शुदा है। दूसरा मतलब प्रेम है, और जैसा अमेरिका में अंगूठी है ऐसा भारत में मंगल सूत्र है। इस लिए मैं अभी भी अपना मंगल सूत्र पहन रही हूँ। लेकिन शादी में मंगल सूत्र के पहेले मैंने एक तुकरे हल्दी से पहना। ये दूसरा अजीब चीज़ है। शादी के शुरू में मैंने अपने पती के हाथ पर एक हल्दी जड़ का टुकड़ा टाई किया और उस के बाद उन्होंने मेरे हाथ पर एक हल्दी जड़ का टुकड़ा टाई किया। इस का नाम कंकना धरणं है और इस का मतलब कि दोनों पती और पत्नी धर्म में एक जोड़ा हैं। यह जड़ सारा शादी की रस्म पहनता है और जोड़े के पहले रत के लिए भी पाहता है लेकिन उस के बाद यह जड़ मिट्टी में रखता है। तो सुबह में हम दोनों ने हल्दी जड़ मिट्टी में रख दिए। हल्दी बहुत जरुरी है, बहुत अनमोल है लेकिन हमरे हल्दी अभी भी गोवा में है।

शादी के बाद

शादी के बाद एक रसम जो है उसका नाम बिदाई है. इस रसम में लड़की आपने परिवार से विधा होती है. यह रसम बहुत दुखी वाली है क्यों कि माँ बाप और सब लोग रोतें हैं क्यों कि लड़की उनको चोर्ड के जा रही हैं. शादी के बाद जब लड़की पहले बार ससुराल जाती है तोह उसकी सास उसकी आरती उतार थी है और फिर लड़की घर में प्रवेश करती हैं और फिर उसकी धधि पैर के साथ एक चावल से भरा हुआ कलेश को घिरती हैं. इसका मतलब है कि घर में हमेशा धन और दान होगा.
एक और रसूम जो होती है वोह उन्गूती कि रसूम है. शादी के कुछ दिनों पहले सब लोग गणेश जी कि पूजा करते हैं. उस दिन पर पंडित जी दूल्हा और दुल्खन के हाटों पर कलावा दागा बंद ते हैं. इस दागा में बहुत कुछ गातें होती हैं. शादी के बाद में लड़की लड़का का दागा उतार थी है, एक हाथ से और लड़का लड़की का दागा भी खोल था है. इसका महत्वता यह हुआ कि अगर वे एक हाथ से खोल सकतें हैं तोह ज़िन्दगी कि सारे मुसीबतों को पर कर सकतें हैं. फिर वोह दागा और दूद और कुछ चीज़ों के साथ सब को एक प्याला में डालते हैं. वे अन्गूतियाँ भी डालते हैं. फिर दूल्हा और दुल्हन को अन्गूतियाँ दूंदने पार्टी हैं. जोह पहले दूंदता हैं वोह जीत जाता हैं. लोग मानते हैं कि जो जीता है वोह उस शादी में दोमिनंत है.

शादी (निकाह)


भारतीय शादी बहुत रंगीन है और कुछ दिनों के लिए मनाया जाती है। धर्म और रहने के क्षेत्र के अनुसार से शादी के लिए कई रिवाज है। मुसलमान शादियों में भी कई तरह के रस्में है। जिस मुस्लिम परिवार बहुत सख्त और पारंपरिक है, उनके शादी आदुनिक शादी के मुताबिक से अलग है। पारंपरिक शादियों में कम नाच-गान होते है। अगर होते भी है तो लड़के और लड़कियँ अलग-अलग कमरे में नाच-गान में शामिल होते हैं।
शादी के दिन में दूल्हा अपने बरात लेकर दुल्हन के घर में आते है। उसके बाद निकाह की आयोजित किया जाता है। मुसलमान की शादी में निकाह करना महत्वपूर्ण है क्योंकि तब एक मौलवी ख़ास परिबार के सदस्य और रिश्तेदारों की उपस्थिति में दूल्हा और दुल्हन के निकाह कराता है। कभी-कभी दूल्हा और दुल्हन निकाह के समय एक साथ बैठते हैं, लेकिन ज्यादातर वे अलग बैठ्ते हैं। मौलवी सबके सामने कुरान के कई छंद पढ़ता है। उसके बाद दोनों - दूल्हा और दुल्हन सबके सामने तीन बार कुबूल कहते हैं। कुबूल कहने पर शादी लेगल हो जाता है और मेरिज सर्टिफ़िकिट भी बनाया जाता है। फिर नवविवाहित के लिए मौलवी और बाकि सब लोग नमाज पढ़ते है और उनके लिए दुआ करते है।
निकाह के दिन, दोनों परिवार के बुजुर्ग सदस्य मेहर की रकम तय करते है। फिर निकाहनामा (मेरिज कोंट्राक्ट) रजिस्टर्ड करते है। उस निकाहनामा पर दोनों परिवार के नियम और शर्त लिखा है और दुल्हन उस निकाहनामा से आपने पति को तलाक देने का अधिकार पाती है। दोनों परिबार इस निकाहनामा के नियम को सम्मानित करना होगा। इस लिए दूल्हा- दुल्हन उस कागज पर साइन करते हैं। गवाह के लिए वालिस (दूल्हा और दुल्हन का पिता) और मौलवी भी उस कागज़ पर साइन करते हैं।
निकाहनामा साइन करने के बाद नवविवाहित बुजुर्ग लोग को पैर चुकार उनको सलाम करते हैं और उनसे आशीवार्द लेते हैं। तब साडी मेहमान और सब लोग खाते भी हैं। सब कुछ ख़त्म होने के बाद, दुल्हन की परिवार उसको शोकाकुल विदाई देती है। दुल्हन की पिता-जी आपनी बेटी के हाथ दूल्हा के हाथ पर देकर कहते है "मेरी बेटी को हमेशा रक्षा करना और उसको कुश रहना"।

मेहँदी

शादी के पहली लड़की को हाथ मेहँदी डाल करती है. सभी उसके सहलियो और उसके माथा जी, मौसी, चाची गर पर आती है. मेहँदी एक परंपरा है और जैसे लगता है. लेकिन मेहँदी स्थायी नही है. लड़की को हाथो और पैरों पर मेहँदी डाल करती है. कब मेहँदी डाल करती, पहली रंग हरी है. समय के बाद लड़की मेहँदी निकल करती है और जैसे टट्टू लगता है. मेहँदी का रंग लाल है. वहा कहावत है की अगर मेहँदी अँधेरी है तो उसके पति वह बहुत प्यार है. अक्सर यहाँ मेहँदी सरेमोनी लड़की का गर में है लेकिन कभी कभी बन्क़ुएत हॉल में है. यहाँ सरेमोनी बहुत मज़ा आता है. कभी कभी उसके पति का नाम मेहँदी में है और दुल्हन यह खोज करती है. उसके सहलियो गुलाबी और पीला कपरे पहनते है. दुल्हन लाल कपर पहेनती है. अक्सर गर में संगीत खेल रहा है और कभी कभी उसके सहलियो नाच करते है. मै सोचती हु की मेहँदी बहुत सुन्दर है लेकिन मेहँदी बहुत बदबू है. कब मेहँदी सुखा किया तो नीबू का रस मेहँदी को डाल करता है. फिर मेहँदी अँधेरी हो लगता है. एक बुरा बात है की कब मेहँदी पहेनती तो कुछ चीज़े नही हाथ लगा क्यों की फिर मेहँदी करब हो गई. यह सोचती है की मेहँदी बहुत अच्छी ओमें है और मेहँदी को मतलब शकित और प्यार है. शादी के पहली कई दुल्हन मेहँदी डाला और यह सरेमोनी बहुत मज़ा आती है. 

शादी के बाद

शादी के बाद कुछ खेल खेला जाएगा। हिन्दू के शादी के बाद "झूट छिपाना है" खेला जाएगा। शादी से पहले दूल्हा आपके झूठे हटाया जेअगा और दुल्हन की बहन उस के झूठे ले लेगा। वह उस के झूठे छिपा जाएगा। शादी के बाद दूल्हा न्यी पत्नी की बहन से आपके झूठे ली देगा। भाभी रंसोम मांग करा जाएगा और पति और भाभी बातचीत करे जाएगे तब अच्छा रंसोम मिला। दूसरा खेल "मछली पकड़ने रिंग है" खेल जाएगा। इस खेल में एक रिंग कटोरे के दूध में राखी देगी। नये पति और पत्नी रिंग खोजने पड़े जाएगे। एक पहले रिंग खोजेगे जीत लेगा और मकान जीवन के लिए राज्य करा जाएगा। हिन्दू के शादी के बाद कुछ खेल खेलाया था। शादी से पहले दूल्हा और दुल्हन के परिवारों नया घर पति और पत्नी के लिए तैयार कर देगा।

शादी

पंजाबी शादी में, जब एक लड़का और एक लड़की शादी के लिए मानते हैं, पहला सरेमोनी रोका होता है। यह है एक घोषणा जो कहता है की दोनों उन के हमसफ़र मिल गए हैं। दुल्हन का मामा उस को नथ देता है जो वह शादी के दिन पर पहनेगी। एक हफ्ता शादी के पहले टिक्का सरेमोनी होता है। इस में दुल्हन का परिवार दुल्हे के घर जाता है गिफ्ट्स और टिक्का के साथ। लड़की का पापा दूल्हा पर टिक्का लगता है और उस को कुछ पैसा देता है। दुल्हन का परिवार कुछ फल मिलता है। एक संगीत भी होती है। संगीत बहुत मज़ेदार होती है। लड़की का परिवार संगीत लगाती है। वे गाने गाते हैं और नाचते हैं। शादी के पहले महेंदी भी होती है। सब औरतें महेंदी लगते हैं। दुल्हन पर महेंदी हाथों और पैरों लगती है। शादी के दिन पर एक पेस्ट लगती है। उस के चहरे पर, हाथों पर, और पैरों पर लगती है। दूल्हा का परिवार दूल्हा पर बतना भी लगता है। फिर दूल्हा घोड़े पर चढाते है दुल्हन लेने के लिए। दूल्हा का परिवार घोड़े के साथ चलते हैं और इस को बरात कहते हैं। दुल्हन का परिवार बरात के लिए इंतज़ार करता है। एक और सरेमोनी है जहाँ एक दूध का पलते है और अन्दर एक रिंग है। फिर दोनों दूल्हा और दुल्हन अपने हाथ दूध में डालते हैं रिंग ढूँढने के लिए। जिस ने रिंग पहले ढूँढ़ते हैं जीत जाते हैं। शादी में आग है जो दूल्हा और दुल्हन के पास चलते हैं जब वे व्रत लेते हैं। शादी के बाद दुल्हन अपने नया पति का घर जाती है। पुराने दिन में दुल्हन एक डोली में बेठ जाती थी लेकिन आज वह कभी कभी होती है।

Pre-wedding Customs

भारत में बहुत सारे शादी से पहले समारोह होते हैं.  एक समारोह जो शादी से बहुत पहेले होता है तो सगाई की रस्म है.  बहुत तरह से सगाई की रस्म होती है.  उत्तर भारतीय की सगाई में शादी की विवार्ण के बारे में बात होती है, दुल्हे और दुल्हन की सगाई की अन्गुतियाँ पहनती है.  फिर तिल्लक करवाता जाता है.  लड़के वालो दुल्हे को गहरे देते है.  दक्षिण बारातियों में सगाई की रस्म बहुत अलग तरह से होता है. लड़की और लड़का रस्म में होना नहीं पड़ता है.  सगाई की रस्म दोनो परिवार की प्रतिबद्दता है.  इस रस्म में एक दुसरे को सगाई की थाली देते है.  दोनो तरह की सही की रस्म लड़के वालों के घर में होता है.  इस दिन पर शादी का दिनाक पक्का हो जाता है.  

दूसरा शादी से पहले रस्म तो मेहँदी की रस्म है.  यह रस्म दुल्हे के घर होता है.  इस रस्म में सिर्फ लड़कियां और औरतें आ सकती है.  सिर्फ एक शादी शुदा औरत पहले दुल्हे को मेहँदी लगा सकती है.  मेहँदी दुल्हे को हाथों, काली, बाँहों, टांगों, और पैरों पर लगाये जाता है.  लोग कहते है कि मेहँदी का रंग जितने गहरे लगता है उतना ज्यादा दुल्हे की होने वाली सास उस से प्यार करेगी.  

शादी से पहले दिन शादी के संगीत होता है.  इस रस्म पर दुल्हन के सारे परिवार और दोस्त एक साथ खुशी मानते है.  वे गाने गाते है और बहुत नाचते भी है.  

सगन की रस्म एक पंजाबी रस्म है.  दोनो परिवार एक साथ आते है.  यह रस्म चुन्नी चड़ना रस्म के साथ होता है.   दुल्हे को लाल साडी पहनता जाता है.  फिर उसको गहरा पगानाए जाता है.  

शादी के दिन दुल्हन घोरे पर आता है.  शादी के दिन दुल्हे डोली में आती है. 

बरात


भारत में बहुत हिन्दू शादियाँ होती हैं. उन में बहुत पारिवारिक रिवाज हैं. शादी की दिन पर बहुत रसम होती हैं. एक रसम बहुत मशहूर है. यह रिवाज बरात कहते है. यह रसम शादी के दिन पर होता है. यह रिवाज शादी के बाद नहीं होता, शादी के पहले होता है. शादी में एक दुलहा और एक दुलहन है. बरात में दुलहा उसकी दुलहन को मिलने जाता है . दुलहा एक घोड़ी पर बैठता है और बरात में जाता है. घोड़ी पर चड़ना और शादी में जाना एक रिवाज है. दुलहा का सारा परिवार उस के साथ शादी में जाते हैं. कुछ जिगरी दोस्त उस के साथ भी जाते हैं. आमतौर पर सब लोग बरात में नाचते हैं. दुलहा घोड़ी के साथ सड़क पर जाता है और सारा परिवार दुलहे के आस पास नाचते हैं. कभी कभी एक ढोली ढोल बजता है. दुलहा का रिश्तेदार सड़क पर शादी में नाचते जाते हैं. कभी कभी एक छाता दुलहे के ऊपर रखते है. इस रिवाज का मतलब मुझे बहुत नहीं मालूम, लेकिन मुझे यह खबर है कि यह रिवाज करते है क्यों कि दुलहा को कुछ नज़र न लगे. दुलहन और उसकी सारा परिवार इंतज़ार कर रहे हैं जहां शादी होने वाली है क्यों कि दुलहा और उसका परिवार वहां नाच कर आने वाला हैं. जब बरात शादी कि जगह पर पहुंचता है, तब दुलहन कि परिवार दुलहा का परिवार को स्वागत करते है. दुलहा उसका होने वाले ससुराल को मिलते है और गले लगाते है. हिन्दुस्तानी शादियों में बरात एक पुराणी रिवाज है, दुलहा का परिवार का.

भारतीये शादी




भारतीय शादियों में बहुत परम्परे है। भारतीये शादियाँ सिर्फ एक दिन नहीं होते है। यह शादियाँ पुरे हफ्ते चलती है। बहुत तयारी करनी चाहिए क्यों की शादी में बहुत सारे चीज़े करना पड़ता है। पहेले, लड़कीवालों को शादी के निमंत्रण सब दोस्तों और परिवार को भेगना है। भारतीये शादी में पहेले एक मेहँदी होती है। मेहंदी कुछ दो तीन दिन शादी से पहेले होती है। कुछ लोग महेंदी और संगीत एक साथ करते है, और दुसरे लोग यह दोनों करेक्रम अलग करते है। एक मेहंदी सिर्फ लड़कियों के लिए है। इस करेक्रम में, दुल्हन अपने हाथों पर मेहंदी लगाती है। किस्सी और लड़की दुल्हन को मेहँदी लगाती है। सब औरते मेहंदी भी लगते है। बहुत औरतें इस पर आते हैं और एक दुसरे से बात करते हैं। यह एक ख़ुशी का करेक्रम है। संगीत में सब लोग नाचते है और गाते हैं। यह मेरा सबसे मनपसन्द रात है। मुझे हिंदी गाना बहुत अच्छा लगता है तो फिर यह मेरे लिए बहुत मज़ेदार है। शादी के दिन में दूल्हा और दुल्हन एक दुसरे को देख नहीं सकते क्योंकि यह दुर्भाग्य है।



दूल्हा अपने परिवार और रिश्तेदारियों के साथ घोड़ी पर आता है। यह बारात कह जाता है। जब दूल्हा शादी के मदप पर आता है तो फिर शादी के रसम शुरू हो जाता है। दूल्हा और दुल्हन साथ फेरे लेते है। यह साथ फेरे साथ अलग अरथके लिए है। फिर वह दोनों एक दुसरे गो फूल का हार पेहेनते हैं और लड़का लड़की को एक मंगलसूत्र पेहेनता है। उसके बाद लड़का और लड़की अब पति-पत्नी है।

शादी का दिन

भारतीय शादी दिनों सभी रस्में कर रहे हैं. हिंदू शादियों में, दूल्हा दुल्हन के घर आती है. वह बहुत सारी चीजें लाती है. वहाँ एक स्वागत आरती है. इसका मतलब यह दूल्हा घर में आ रहा है.स्वागत आरती के बाद दूल्हा दुल्हन के लिए इंतजार कर रहा है. दुल्हन के बाद आती है, वे एक दूसरे पर माला डाल है. इस के बाद, वे मंडप में ले रहे हैं. मंडप बहुत रंगीन है.मंडप एक सुंदर जहां दो लोगों को शादी करने के लिए है.यह फूलों के साथ किया जाता है.परिवार मंदा पीछे बैठना.सभी रस्में मंडप में हैं. एक आग के मध्य में शुरू होता है. दूल्हे और दुल्हन अग्नि के चारों ओर चलना. वे सात चरणों चलना है और यह बहुत ही खास है. इस चलने के लिए शादी करने का मतलब. एक दूसरा रिवाज दूल्हा दुल्हन सिंदूर पर सिर. इस शादी का मतलब. एक तिहाई रिवाज मंगलसूत्र है. इस गर्दन के चारों ओर बंधा हुआ है. शादियों बहुत भारत में बड़े हैं. भारतीय शादियों में बहुत से लोगों को आना. शादी के दिन पर वहाँ एक बड़ी पूजा है. दुल्हन के भाई लड़की दूर देता है. शादी के दौरान, जूते मंडप में नहीं पहना जा सकता है. इस समय, लड़कियों को लड़कों के जूते चोरी है. लड़कों के लिए जूते खोजने के लिए है. अगर लड़कों को यह पता नहीं है, वे लड़कियों को पैसे देने हैं. यह भारत में एक बड़ा रिवाज है. इंडिया में अलग जागो में रिवाजो में फरक होता है

हिन्दू शादियाँ के पहले तीन अनुष्ठान





भारत में अनेक धर्म हैं और सब धर्मो में दुसरे दुसरे समारोह होते हैं. हर धर्म के शादियों में विशष्ट खाना, अनुष्ठान, परम्पराओं, ओत समारोह हैं. हिन्दू शादियाँ में बहुत सारे समारोह होते हैं. शादी के पूर्व के बाद शादी के दिन के समारोह होते हैं. पहली वाली अनुष्ठान है वारा यात्रा. यह होता है जब दुल्हन और दुल्हे दावत पर आते हैं. जब दुल्हे और उनके परिवार दावत पर आते हैं, तो दुल्हन के परिवार, और दोस्त उनको पूजा करते हैं. पूजा के लिए वे चावल फेकते है. दुल्हे को तिलक भी करते है. दुल्हे को दिया के साथ आरती करते है. दुल्हे पर फुले के माला भी रखा जाता है. इसके बाद अगला अनुष्ठान है ग्रहशांति. इसमें नौ ग्रहों को नाम से आह्वान करते है कि दुल्हन और दुल्हे सदा साथ और सुख रहेंगे. इसके बाद कान्यदान होता हैं. इसमें दुल्हन के माता पिता उनको दुल्हे को पेश करते हैं. दुल्हन उनके भाई या चाचा के साथ मंडप पर जाता है जहां दुल्हे खड़ा होता है. अब दुल्हे और दुल्हन माले को विनिमय करते, पेरो को दूध और पानी में साफ करते हैं. इसके बाद दुल्हे और दुल्हन अपने हाथ और पेरो एक दुसरे को विस्तृत करते.और दुल्हन के पिता दोनों के ऊपर अपना खुला हथेली रखता है, और माँ हथेली पर पानी डालती है. ऐसे पानी दुल्हे और दुल्हन पर गिरता हैं. ये पहले तीन अनुष्ठान है.

भारत की शादियाँ

भारत में हर दिन बहुत सारे शादियँ होती हैं। जेसे अमेरिका में शादियाँ मनाया जाते हैं, वेसे भारत में शादियाँ नहीं मनाया जाते हैं। भारत में सादियाँ कोइ तिन-चार दिन के लिए चला जाते हैं। यह समय में, बहुत सारे रिवाज हैं। हिनदू शादियाँ का रसम बहुत अचछा अौर रोमांचक हैं। पहेले रसम हालदि हैं। हालदि में दुलहन अौर उसके पूरे परिवार होते हैं. कुछ गीते गाकर, पूरे परिवार दुलहन को हालदि डालते हैं! यह रसम दुलहा के घर में भी होता हैं, दुलहा के लिए। यह रसम में बहुत मजा अाता है। हालदि के बाद, मेहंदी अाता है। मेहंदी में दुलहन, दुलहन की रिशतेदारों, अौर दुलहन की सहेलियां मिलकर उनके हातों पर मेहंदी लगाते हैं। मेहंदी की नमूने बहुत सुंदर है। मेहंदी के बाद, संगीत होता है। मुझे संगीत बहुत पसंद है। संगीत में, सारे लोग गीत गाते है अौर नाचते हैं। संगीत में बहुत मजा अाता हैं। संगीत के बाद, शादी होती हैं। भारत में, बहुत अलग रसम है, शादी के लिए। कुछ लोग सात फेरस करेते हैं। सात फेरस में, दुलहन अौर दुलहा अाग से सात बार चलते है अौर कुछ कहते हैं। अलग अलग परदेश अलग चिज करते हैं। शादी के बाद, डोली होती है। यह रसम में, मायका बहुत उदासी है कयोकि यहा सें, दुलहन दुलहा के घर में रहती है।

Saturday 19 March 2011

भारत के शादी के रिवाजे







भारत में तरह-तरह के शादी के रिवाजे हैं। हर प्रदेश में कोई अनोखा रिवाज है। आज मैं हिन्दू शादी के रिवाजे की बात करूँगा। मैं भारत के गुजरात प्रदेश पर ध्यान रखूँगा। गुजरात के बड़े शहरों जैसे वड़ोदरा और अहमदाबाद में दोनों तयशुदा और प्रेम शादियाँ होती हैं। लेकिन आम-तौर पर गुजरात के गाँवो में तयशुदा शादियाँ ज्यादा होती हैं। शादी से पहले लड़का का परिवार लड़की के घर पर उसका हाथ माँगने के लिए जाता है। लड़की के परिवार की अनुमति के बाद सबसे पहले लड़के और लड़की की सगाई का रसम होता है। कुछ समय बाद, शादी के थोड़े दिन पहले, मेहँदी, एक घर की शांति के लिए पूजा और गरबा के प्रोग्राम होते हैं। शादी के दिन दूल्हा एक घोड़ा पर बैठकर, और उसके रिशतेदोरों और दोस्त नाचते हुई शादी के मंडप पर आते हैं। लोग इस वक़्त कभी-कभी गरबा भी करते है। जब दूल्हा हॉल पर आता है, तब दुल्हन की माँ दुल्हे की आरती उतरती है। फिर दुल्हन आती है और दुल्हे उसको एक फूल की माला पहेनाने की कोशिश करता है। परन्तु, लड़की के भाई दुल्हन को उठालेते है और यह काम दूल्हा के लिए मुश्किल करते है। यह रसम के बाद सब मंडप पर जाते है। पंडित जी मंडप पर दोनों की शादी करवाते है। वह कुछ पूजा करते है और फिर दूल्हा दुल्हन को सुहाग माला पहनाता है, सिन्दूर लगाता है और दोनों सात फेरे लेते है। शादी के बाद, विदाई का रसम आता है जब लड़की का परिवार दुल्हे और उसके परिवार को दुल्हन को दे देते है। इस समय लड़की का परविर खूब रोता है। जब दुल्हन दुल्हे के घर पर आती है, तब वह घर के अन्दर आने से पहले एक चावल भरे बर्तन को अपने पाव से लात मारती है। उसके बाद, दुल्हन और दूल्हा
एक अंगूठी का खेल खेलते है। अंत में एक भोजन का रसम होता है। दुल्हन और दुल्हे के सारे रिश्तदार और दोस्त एक हॉल में मिलते हैं। सब वहाँ खाते है और दुल्हे और दुल्हन के दोस्ते कुछ नए हिंदी फिल्मों के गाने पर नाचते है।

संगीत

हिन्दुस्तानी शादी बहुत समारोह है. प्रत्येक  समारोह अलग अलग अर्थ है. शादी लगभग एक हफ्ते टिकती है. संगीत बहुत लोकप्रिय समारोह शादी से पहले है. केवल औरतें संगीत को उपस्थित होती हैं. प्रथानुकूल स्त्री दुल्हन का पक्ष आ सकती थी लेकिन आजकल स्त्री दोनों का पक्ष आ सकती हैं. प्रथानुकूल समारोह केवल उत्तर भारतीय शादियों में देखा जाता है. संगीत एक या दो दिन शादी से पहले है. क्योकि यह बहुत महत्वपूर्ण घटना है कि दुल्हन के परिवार ने बहुत तैयार किया. उने हांल या घर रगीन सजाया. मेहमान शाम को आ लगते है और देर रात से ठहराते हैं. औरत बहुत गीत गाती थी. ये लोक की गीतें दुल्हन और शादी के लिए. लोग दोल भी बाजते है. वहां बहुत नाचे नाचते हैं. संगीत पर बहुत अच्छा खाना है लेकिन मुख्य भाग गीह है. गीत दुल्हन और दूल्हे के प्यार के बारे में हैं. गीत ससुराल को प्रकाश हंसी उड़ाती हैं. यह बंधन परिवारों के बीच मज़बूत बनाता है. संगीत बहुत प्रकाश- दिल और मज़ा शागी का हिस्सी है. यह हिन्दुस्तानी शादी का आकर्षण जोड़ती है. यह मनोदशा शादी के लिए लगती है. सब लोग बहुत खुश निकलते है और शादी तैयार होती है. 
मेरी बहन की शादी में मेरा मनपसंद समारोह संगीत है. हमें सब औरतिओं और अदामीओं से दुल्हन और दूल्हे के पक्ष को बुलाया. मैं और अपनी दूसरी बहन ने एक नाच खेला. मेरा पूरा परिवार अच्छा मनोदशा था और हम पूरा रात मनाया. हिन्दुस्तानी शादी बहुत खुयी के मौके हैं. 

शादी का रिवाज

शादी के दिवस में बहुत रिवाज हैं। एक बहुत मज़ेदार रिवाज जूते छिपते है। यह रिवाज एक परिवारिक रिजाय है, अौर सब बच्चे करते हैं। अवसर में दुलहे को अपने जूते उतारना है। जब वह अपने जूते उतारता है, दुलहन का परिवार उसके जूते चुराना कोशिश करते हैं। इस के बाद, दुलहन का परिवार वे जूते छिपाते हैं। लेकिन दुलहे का पारिवार दुलहे के जूते बचाना कोशिश करते हैं। अगर दुलहन का परिवार जूते छिपाते हैं, तो दुलहे का परिवार को जूते खोजने पड़ेंगे हैं। अगर दुलहे का परिवार न खोजें, अवसर के बाद दुलहन का परिवार दुलहन से पैसे लेंगे, जूतों के लिये। दुलहन का परिवार बहुत पैसे लेना चाहते हैं, इस लिये दुलहे का परिवार उसके जूते बचाते हैं। जब दुलहा अपने जूते उतारता है, दुलहे का परिवार भी जूते लेना कोशिश करते हैं, बचाने के लिये। अगर दुलहे का परिवार जूते लें, तो वे जूते समाते हैं। अगर अवसर के बाद, जूते दुलहे का परिवार के पास है, तो दुलहन का परिवार कुछ पैसे नहीं लेते हैं। लेकिन अाजकल सब लोग योजना बनाते हैं। दुलहन का परिवार जूते एक गाड़ी में छिपाते हैं, क्यों कि सिर्फ़ दुलहन का परिवार जूते ले सकते हैं। दुलहे का परिवार भी करते हैं, अौर कभी-कभी वे लोग जूते नहीं छिपाते हैं, सिर्फ़ अपने पास रखते हैं। अौर अगर दुलहे का परिवार के पास दुलहे के जूते हैं, तो जब दुलहे का परिवार दुलहे को अपने जूते देना कोशिश करते हैं, दुलहन का परिवार जूते चुराना कोशिश करते हैं, एक अाखिरी बार। कभी-कभी लोग लड़ते हैं, जूतों के लिये। लेकिन किसी नहीं को चोट लगती है, सिर्फ़ मज़ा है।

शादी रिवाज -- कर्नाटका और बंगाल

मेरी माँ कन्नडा है और मेरे पिताजी बंगाली है। इस लिए में दोनों शादी रिवाज के बारे में जानती हूँ।
कर्नाटका में, शादी से पहले, दूल्हा दुल्हन दोनों बहुत काम है। हल्दी रसम की जैसा हमारा एक रिवाज है। दुल्हन और सबसे बड़ी चचेरा बेहें शास्त्री जी के साथ एक पूजा करते थे। उस के बाद, दुल्हन का परिवार और ससुराल दोनों पूजा में आयेंगे और दुल्हन के लिए आशीर्वाद दे दौंगी। जब सारा संस्कार होगया, शास्त्री जी और दुल्हन के माँ/बाप दोनों उसे पर पानी डाल दिया। यह बहुत विशेष रिवाज है। मेरी माँ का परिवार ब्रह्मिन है और हम सब को हिन्दुइस्म में बहुत विश्वास है। इस रिवाज का नाम है, "नांदी"। आमतोर पर, यह शादी ग्यारा दिन से पहले होते है।
बंगाल में, हल्दी रसम की जैसे एक रिवाज है। बंगाली में कहते है "होलुद कोटे" । सब को दुल्हन में हल्दी डालते हैं और सब उन को आशीर्वाद देते हैं। यह उत्तर भारत का हल्दी रसम बहुत समानता हैं। जैसे यह दुल्हन को होता हैं, वैसे यह भी दूल्हा को होता हैं। दोनों बंगाल और कर्नाटका में, हम सब शादी से एक दिन पहले, हम मेहँदी लगते हैं। बहुत मज़ा मस्ती होते हैं और सब अच्छे समय लग रहे हैं।
कर्नाटका शादी में, बरात का जैसा रिवाज भी हैं। दूल्हा का परिवार और दोस्त धूम धाम से मंदिर जाते हैं और दुल्हन का परिवार सब जो स्वागत करते हैं। इस के बाद दूल्हा अन्दर जाता हैं और शादी शुरू होती हैं।
बंगाल में बरात होती हैं और मज़ा मस्ती, उत्तर भारत का जैसा, होती हैं। जब दूल्हा का परिवार मंदिर पौंचता हैं, दुल्हन का परिवार सब को स्वागत करते हैं और फिर शादी शुरू होती हैं।
दोनों का शादी बहुत मज़ा हैं, लेकिन दोनों में कोई गोदा नहीं हैं। शादी दिन का रिवाज अलग होती हैं लेकिन दोनों भी बहुत मस्त से करते हैं।

Friday 18 March 2011

शादी - सपना


भारत में शादियाँ धूम धाम से मनाया जाते हैं | हिन्दू शादियाँ और रिवाज बहुत अच्छे और अलग है | मुझे हिन्दू शादी बहुत पसंद है | मुझे हर रसम पसंद है | सब कुछ अच्छा है हिन्दू शादी के बारे में | हिन्दू शादी में बहुत मजा आता है | गुजराती शादी में तिन या चार दिन के घटनाओं होते हैं | पहले दिन में पीथी और संगीत का रसम होता है | संगीत में सिर्फ औरतों के लिए है लेकिन अब आदमी और औरत संगीत में जाते है | पीथी का रसम दूल्हा और दुल्हन के घर पर होता है | पीथी में हल्दी का लेप दूल्हा और दुल्हन पर लगाया जाता है | यह रसम शुभ माना जाता है और यह रसम सुन्दरता के लिए है | दुसरे दिन में मेहँदी की रसम होती है | दुल्हन और दुल्हन की रिश्तेदारों और सहेलियां एक साथ मिलकर यह रसम पूरे करते है | शादी दिन के पहले गणेश स्थापना और मंडवा मूरत होता है (हिंदी में मंडप महूरत) | गणेश स्थापना हिन्दू शादी की सब से महत्वपूर्ण रसम है | यह पूजा सौभाग्य और समृद्धि के लिए होता है | यह दिन के शाम में गरबा होती है | गरबा में दूल्हा और दुल्हन के रिश्तेदारों और दोस्तों शामिल होते हैं | गरबा में रास भी होता है और रास में सब डंडिया के साथ खेलते है | शादी के दिन शादी होता है और शादी के बाद शाम को रिसेप्शन होता है | शादी में बहुत कुछ करना पड़ता है | पहले दूल्हा और दुल्हन वरमाला एक दुसरे को पहनते है | फिर दुल्हन के पापा उस का कन्यादान करते हैं | फिर हवं होता है | शादी में सप्तपदी होता है और सात फेरे होता है | इस के पहले दूल्हा और दुल्हन के दुपट्टे बंधे गये जाते है | इस के बाद सिन्दूर और मंगलसूत्र का रिवाज होता है | फिर दूल्हा दुल्हन पति पत्नी बनकर माता पिता के आशीर्वाद लेते हैं |

बरात- Anisha

हिन्दू शादियाँ बहुत मजेदार होती हैं. ये शादियाँ में बहुत पारिवारिक रिवाज होते हैं. शादी के पहले और शादी के बाद अलग अलग रसमें होती हैं. और सब रसम का एक अर्थ होता है. एक बहुत प्रभाव का रसम बरात है. बरात शादी से दिन पर होती है, लेकिन शादी के पहले. बरात में दुलहा अपनी दुलहन से मिलने रहा है. दुलहा का सारा परिवार उस के साथ जाता है, और उस के दोस्तो भी जाते हैं. सब रिश्तेदार सड़क पर नाचते जाते हैं. दुलहा एक घोडी पर बैठकर जाता है. इस लिए वह नहीं नाच रहा होता है. जब लोग बरात को जाते देखते हैं, उन को मालूम होता है कि किसी की शादी होने वाली है. जहां शादी होने वाली है, वहां दुलहन और उस की सब रिश्तेदार और दोस्त इंतजार कर रहे होते हैं. घोडी पर दुलहा के साथ, उस के परिवार से, एक छोटा लड़का कई बार बैठता है. जब लड़का का बरात लडकी के घर पहुंचती है, मिलनी होती है. मिलनी में लडके वाले लडकी वाले से मिलते हैं. लडकी के पिताजी लडके के पिताजी से मिलते हैं, और इसी तरह से सब रिश्तेदार बराबर रिश्तेदार से गले लगाते हैं. उदहरण के लिए लडके के नानाजी लडकी के नानाजी से गले लगायेगे, भाई भाई से, वगेरा. मिलनी कि रसम आदमियों करते हैं. बरात में बहुत संगीत होती है. एक ढोल बजाने वाला होता है, और शायद एक बांड भी. शादी के पहले बरात बहुत पुरानी और जरूरी रसम होती है. यह रसम दुलहा के परिवार का है, लडकी का परिवार का नहीं.

Wednesday 16 March 2011

भारतीय शादी

भारतीय शादियों रंगीन है। शादी में बहुत रिश्तेदार और परिवार और दोस्त है। शादी बहुत मज़ा है! अमेरिकेन शादी सिर्फ एक दिन के लिए पिछले करती है। लेकिन भारतीय शादियों कई दिनों के लिए पिछले। शादी से पहले कई समारोह है। मेरी शादी का पंसदीदा हिस्सा शादी के बाद और शादे से पहले। पिछले साल मेरी चाची शादी कर ली। उसकी शादी से पहले मैं बहुत भोजन खा ली और मैं बहुत रिश्तेदार मिली। यह बहुत मजेदार था। मैं भी मेहंदी मिली। मेहंदी बहुत नतिल और सुन्दर था, लेकिन वह बुरा सूंघी था।

शादी से पहले तीन हिस्से है। पहले हिस्से बरात है। बरात आदमी के लिए है। मेरे परिवार में आदमी एक कार में आता है। एक शादी में आदमी एक हाथी पर पहुंचा। लेकिन कभी कभी आदमी एक घोड़ी पर आता है। आदमी के साथ अपने रिश्तेदार है। बरात बहुत बड़ी है। जुलूस में गायक, नर्तकी, और संगीतकार है। मेरा परिवार की शादी में हमेशा ढोल संगीतकार है। दूल्हा जुलूस के सामने है। शुरू में जुलूस में सिर्फ दूल्हा के रिश्तेदार है। फिर उसके रिश्तेदार और दुल्हन का माता-पिता मिलते है। बरात के दौरान हमेशा रिश्तेदार नाचते हैं। वे एक चक्र बनाते हैं और एक आदमी चक्र के बीच में नाचते है।

मेरे परिवार में दूल्हे के परिवार दुल्हन के लिए उपहार खरीदता है और चचेरे भाई दुल्हन के लिए उपहार देते हैं। दुल्हन कई खूबसूरत उपहार लेती है! इस समय सब रिश्तेदार दुल्हन के घर में है। घर में बहुत मिठाई और रस है।

सबसे अच्छा शादियों भारतीय की शादियों है! वहां अच्छा भोजन, कई दोस्त, कई रिश्तेदार, और बहुत मजा है। शादी पांच दिनों के लिए एक बड़ी पार्टी है! कभी कभी शादी के दिन के उबाऊ है लेकिन अन्य सभी दिन बहुत मजा है। जब पूरी शादी के बाद ख़त्म हो गया तब मैं बहुत थका हूआ!