Wednesday 7 December 2011

kab mujhe bhul huy

यह सही है की मैं बहुत भूल करता है. एक बार में मैं एक बहुत ज़रूरी पेपर दुए होता यह पेपर एक हफ्ते के बाद दुए होता. और मुझ को आपना शिद्षक मिल करना चाहिए. इस क्योंकि मेरे पेपर बहुत ख़राब था. मुझ को मालूम नहीं है की क्या मैं आपना पेपर में लिखना चाहिए. ये बहुत चीज़ों के बारे में लिख सकता है. तो मुझ को आशा था की मुझ को आपना शिद्षक मदुद करता था. तो मुझ को एक मीटिंग आपना शिद्षक के साथ जाना चाहिए था. मैं आपना शिद्षक को पुचा है की "आपकी ऑफिस कहाँ है?" और वह मुझ को कहा: "मेरी ऑफिस अंगेल हॉल में है" तो मैं सोचा था की मैं सी-टूल्स पर कमरा का संख्या के लिए ढेक सकता था. लेकिन यह दिन में सी-टूल्स कम नहीं करता था. तो मैं कमरा का संख्या मुझ को मौलुम नहीं था. इस लिए मैं सिर्फ संबव मीटिंग नहीं जाना सकता था. इस लिए मैं बहुत ख़राब पेपर लिकता था. मुझ को महसूस है की मैं एक बेवकूफ है क्यों की मैं आपना शिद्षक का कमरा का संख्या लिखा चाहिए. मैं कमरा का संख्या लिखना के बजाय मैं बहुत अलसी और सोचा था की मैं सी-टूलस पर कमरा का संख के लिए था. मुझ को ध्यान से सब करना चाहिए. अगर मैं ध्यान से सब करता है तो मैं बहुत कम भूल कर सकता है.  भी मैं बहुत अधिक लिखना चाहिए. इस क्योंकि सी-टूल्स में अक्सर समस्या होता. और सी-टूल्स कुछ समय में भी धीमा से कम करता है. 

Monday 5 December 2011

क्या मुझसे कभी कोई भूल हुई है?

क्या मुझसे कभी कोई भूल हुई है?  हाँ, सब लोगों से भूल हुई है, और मुझ से भी|  एक दिन दो महीने पहले मैं अपनी प्रोफेसर से मिली|  हम एक हिन्दुस्तानी मानवविज्ञान की किताब के बारे में बात कर रही थीं|  उस किताब में "रेस" के बारे में लिखा गया था|  मेरी प्रोफेसर ने कहा कि अपनी क्लास में एक दिन पहले उन्होंने "रेस" के बारे में बात किये थे|  इस लिए मेरी प्रोफेसर अपनी क्लास को एक ई-मेल भेजी जिस में दो फाइलें "रेस" के बारे में थीं|  मेरी प्रोफेसर ने कहा कि वह मुझे यह ई-मेल भेजेगी|  जब मैं ने पहली फ़ाइल को देखा, तब मैं ने देखा कि इस में कुछ "रेफ्रेंसेज़" रेस के बारे में थे|  दूसरी फ़ाइल में भी कुछ रेफ्रेंसेज़ थे और उन के बाद तीन पैराग्राफ थे|  एक पाराग्राफ में लिखा गया था कि "क्यों कि मैं जेम्ज़, संतायाना, और रोय्स का छात्र/छात्रा था/था..."|  मैं ने सोचा कि अपनी प्रोफेसर ने यह पैराग्राफ लिखा|  क्या हो सकता है कि मेरी प्रोफ़ेसर ये मशहूर प्रोफेसोरों कि छात्रा थी?  मैं ने "विकीपीडिया" पर पढ़ा कि प्रोफ़ेसर संतायाना हार्वर्ड में पढ़ाता था|  मेरी प्रोफ़ेसर हार्वर्ड में लगभग १९५० पढ़ती थी|  संतायाना १९५२ मर गया तो मैं ने सोचा कि यह बात सच है|  मैं ने अपनी प्रोफ़ेसर को एक ई-मेल लिखा कि "क्यों आप ने इस से पहले मुझे इस के बारे में नहीं कहा? क्या मुझे अपनी प्रोफ़ेसर इंटरव्यू करना चाहिए?!" एक दिन बाद, मैं विकीपीडिया पर जेम्ज़ और रोय्स के बारे में पढ़ रही थी|  विल्यम जेम्ज़ १९१० में मर गया और जोजाया रोय्स १९१६ में मर गया|  वह पैराग्राफ मेरी प्रोफ़ेसर से नहीं लिखा गया, लेकिन दाबलयू-ई-बी- दुबोय्ज़ से लिखा गया| रवीन्द्रनाथ त्यागी जी कि तरह उस रात को शर्म के  मारे नींद नहीं आई|

गाय और शेर

गाय और शेर

एक दिन कुछ गे थे. वे साथ साथ पानी की तलाश कर करे थे. पहले गाय अपने बेटे गे को कहा, "हमको पानी पाना है,  पानी देखो. हमें बहुत प्यास लगी." दूर में, छोटा गाय कुछ आन्दोलन देख सकता था. उसने दुसरे गाय को कहा, "उधर देखी, एक पशु है, इसलिए यहाँ के पास पानी होगा. तब तीसरे गाय पहले बार से कहा, "सही होगा, चलो, हम उससे पूछेंगे." इस तरह सब तीनों  गाय ने पशु का पीछा किया. थकावट के मारे, उन गाय को शेर अच्छा पशु लगता था. लेकिन सावधानी से नज़र दौडकर उन्होंने देखा कि एक खतरनाक पशु था. यह बुरी बात थी क्योंकि शेर को बुख लगी..और छोटे गाय शेर को रात का खाना की तरह लगता था.
तभी शेर तीन गाय को देखकर, वह गाय की ओर चुपचाप से आने लगा. इसी वजह से तीन गाय को डर लगा.
गाय पहुंचकर शेर ने उनसे कहा, " डर की ज़रूरत नहीं है, मुझे आपकी तरह सिर्फ पानी की खोज कर रहा हूँ. मुझे केवल प्यास लगी, बुख नहीं. मैं आपके साथ पानी ढूंढूंगा. मैं आपको वैर करने नहीं चाहता हूँ."
"ठीक है," गाय सोचे.
इस तरह सब पशु पानी की खोज करने गए.
थोड़ी देर बाद, शेर छोटे गाय ने की ओर कूदकर धावा किया.
दूसरे गाय छोटे ने गाय की मदद करने की कोशिस की लेकिन शेर बहुत ज्यादा मजबूत था. इसके बाद, गाय शेर को कभी नहीं विशवास कर सकते थे.