दीवाली के बारे में
दीवाली मेरा मनपसंद हिंदुस्तानी त्यौहार है. दीवाली की अर्थ दियों की कतार है. दीवाली की अर्थ भी दो कथे के बारे में है. मैं दीवाली नहीं मनाई क्योंकि मेरा परिवार हिंदू या हिंदुस्तानी नहीं है. मैं सिर्फ़ डोर्म का त्यौहार में मनाया था. परलोक में, मैं दोस्तों के साथ मनाना चाहता हूँ. मैं भी चाहता हूँ कि शायद एक दिन मैं भारत में मनाऊँगा.
हिंदू लोग दीवाली पर पूजा करते हैं. दीवाली का लंबा नाम दिपावली है. दीवाली पर परिवार दिये जलाते हैं. घर में, सब लोग सजाते हैं. दीवाली पाँच दिन के लिए मनाते हैं. भारत की कथाएँ और साहित्य में जीवन के लिए अत्यावश्यक है. भारत और नेपाल में देश का त्यौहार है.
इस त्यौहार में लक्षमी एक अत्यावश्यक देवी है. वह द्रव्य की देवी है. जो लोग वह मिलने जोते उनको बहुत द्रव्य है. लक्षमी सिर्फ़ आधिक साफ़ घर मिलने जाते हैं.
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Wednesday, 7 April 2010
Sunday, 4 April 2010
durga puja
मेरा मन पसंद त्यौहार दुर्गा पूजा है. दुर्गा पूजा का अर्थ है, शक्ति की पूजा करने में. माँ दुर्गा सभी लोग का माँ हैं और उसके भक्त को बचाते हैं. यह त्यौहार सितम्बर महीने में पड़ता है और भारतीय लोग इस त्यौहार छे दिन के लिए मानते हैं. बंगाली लोग के लिए, दुर्गा पूजा बहुत ही ख़ास है क्योंकि बंगाल और बंगलादेश में देवियाँ खूब प्यार की जाती हैं. कोल्कता में, सरे सरक में जनता बड़े और सुन्दर "पंडाल" लगते हैं. जनता के दिल की साडी ख़ुशी छलक पड़ती है. सभी लोग नए-नए कपडे पेहेनते है और दुसरे से बहुत मुबारक और प्यार देते हैं. मैं दुर्गा पूजा कभी नहीं मानती क्योंकि हर साल स्कूल था, लेकिन मिशिगन में बंगाली लोग साथ-साथ एक दिन के लिए मानते हैं. अक्सर औरतें लाल या पिली रंग साड़ियाँ पेहेंती हैं क्योंकि यह रंग शुभ हैं. आदमी भी नए कपडे पेहेनते हैं. * मुझे दुर्गा पूजा पसंद है क्योंकि सब लोग खुश है और ज़बरदस्त खाना है. मैं पुरानी सहेलियां के साथ समय बिताती है और कभी कभी प्रोग्राम के लिए में नाच करती है. हम सब दुर्गा पूजा प्यार से मनाते हैं और यह बहुत खास बात है. मेरी आशा है कि एक दिन में कोल्कता में दुर्गा पूजा मनाऊं.
- नीना
- नीना
मेरा मां पसंद त्यौहार
मुझे एक मां पसंद त्यौहार नहीं है। मेरा परिवार में हम बहुत नहीं मनाते है। मेरा पिता जी बहुत शांत है, और मेरी माँ बहुत धार्मिक है। इस लिए हम बहुत त्यौहार नहीं मानते है। बहुत वर्षो पहेले, जब में एक छोटा बच्चा था, तब हम हर साल नवरात्री के लिए देअर्बोर्ण में गरबा करने के लिए जाते थे। मेरी माँ उसकी सहेलियों के साथ गरबा करती थी, मेरा पिता उसके दोस्तों के साथ बैटते थे और बात करते थे, और में और मेरा भाई हमारे दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ खेलते थे। लेकिन यहाँ बहुत भीड़ था, और बहुत शोर था, और सिर्फ थोडा खाना , और सिर्फ भारतीय खाना, और मुझे यह खाना अच्छा नहीं लगा। और दीवाली में, हम समाज का दीवाली दिननेर में जाते थे, और यह बहुत ख़राब था। सुब बच्चे एक कमरे में डालते थे। खाना अच्छा था, लेकिन बहुत उदासी आती थी। और होली में हम होली की शो में जाते थे, और मेरी माँ में और मेरा भाई को एक साल नाच में डाला, और मुझे पसंद नहीं आया। हमारा नाच बहुत मुर्ख था, और हमारा पोशाके अच्छे नहीं थे। आज, हम त्यौहार नहीं मनाते है। हम दोनों भाइयो स्कूल में है, और मेरे माता-पिता कभी कभी त्यौहार पर मंदिर जाते है.
Saturday, 3 April 2010
हिमाचल प्रदेश के मेले
इस गर्मियों में मैं हिमाचल प्रदेश जाउंगी और इस लिए मैं हिमाचल प्रदेश का मेलों के बारे में लिखूंगी | हिमाचल का राजधानी में, शिमला, 'लावी' का मेला नवंबर में मनाया जाता है | कहा जाता है कि लावी मनाया जाता है क्योंकि एक बहुत ख़ास अनुबंध तिबेट और बुशहर प्रदेश के बीच में हस्ताक्षर किया था | लावी मेले के लिए गल्लाबान रामपुर आते हैं और ऊन, किशमिश और औषधि बेचते हैं | लोगों गुल्लाबान को कपड़े और अनाज बेचते हैं | अधिकतर लोग बहुत सारी चीजें बेचते-खरीदते हैं लकिन लोग भी लावी मेले के लिए नाचते - गाते और कुछ संस्कृतिक तमाशा देते हैं |
एक दूसरा मेला हिमाचल में मनाया जाता है 'पत्थर का खेल' है | मैं सोचती हूँ कि एक बहुत अजीब त्यौहार है क्योंकि लोग दुसरे लोग पर पत्थर मारते हैं | कहते है कि जब कोई खून देते हैं तब लोगों को देवी काली को प्रदान करना चाहिये | कहते हैं कि प्रदेश के नेता कि पत्नी 'पत्थर का खेल' का दिन पर 'सटी' की हैं | इस त्यौहार नवम्बर मैं भी हैं |
तीसरा मेला है गसोता में मनाया जाता है | कहते है कि बहुत साल से पहेले एक आदमी ख़त में काम कर रहा था और अपना 'plough' एक बड़ा पत्थर टकरा गया और पत्थर से दूध और खून छलक गाये | लोगों ने पत्थर चलानी कि कोशिश किया लेकिन आधिक सघन (heavy) था और लोग पत्थर नहीं चला पाए | इस लिए लोगों ने एक मंदिर इस जगह पर बनाए | त्यौहार जेष्ठ में (मई -जून) मनाया जाता है और लोग पत्थर पर पूजा करते हैं | आजकल इस जगह पर एक बड़ा गाय का तमाशा देते है |
त्यौहार
गणेश चतुर्थी भारत में एक हिन्दू त्यौहार है। वह श्री गणेश के आदर में मनाया जाता है। कहा जाता है कि त्यौहार के दिनों पर श्री गणेश अपने भक्त के लिए संसार आते हैं। वे शिव और पारवती का बेटा हैं, और उनके हाथी का सिर है। श्री गणेश अक़्ल और शुभ का भगवान हैं। त्यौहार हिन्दू कैलेण्डर के भादों महीने में दस दिन के लिए मनाया जाता है। वे दिन अगस्त-सितम्बर के पास हैं। भारत के बाहर, वह यू-के, नेपाल , श्रीलंका, और दूसरे देशों में भी मनाया जाता है।
त्यौहार के लिए मिट्टी की प्रतिमाएं बनाये जाते हैं। वे बहुत आकारों में खरीदे जा सकती हैं। वे एक इंच ही से कोई पच्चीस फुट को बनाए जाती हैं। त्यौहार में प्रतिमाएं मंडपों में पाए जाती हैं। मंडपों फूलों, रोशनियों, वगैरह से साजाये जाते हैं। प्रतिमा को प्रसाद दिये जाते हैं और समारोह में गीत गाये जाते हैं। त्यौहार के अंत में, प्रतिमा धारा को ली जाती होकर धारा में पायी जाती है। सब लोग अगले साल में श्री गणेश के लौटने के लिए पूछते हैं। आधुनिक दिनों में कभी-कभी प्लास्टर की प्रितमाएं का प्रयोग किया जाता है। इस तरह का प्रतिमा धारा में परिवेशी समस्या हो सकता है।
त्यौहार में प्रचलित खाना मोदक है। मोदक नारियल और फूलों से गुलगुला है। सड़क में उत्सव प्रचलित हैं। गाने गाने जाते हैं और नाटक किया जाते हैं। त्यौहार में कलाकार अपने कला देखते हैं। शहर अपने समुदाय के लिए गतिविधिएं करते हैं। शायद फ्री मेडिकल चेक-अप है, और दान ग़रीब को दिया जाता है।
त्यौहार के लिए मिट्टी की प्रतिमाएं बनाये जाते हैं। वे बहुत आकारों में खरीदे जा सकती हैं। वे एक इंच ही से कोई पच्चीस फुट को बनाए जाती हैं। त्यौहार में प्रतिमाएं मंडपों में पाए जाती हैं। मंडपों फूलों, रोशनियों, वगैरह से साजाये जाते हैं। प्रतिमा को प्रसाद दिये जाते हैं और समारोह में गीत गाये जाते हैं। त्यौहार के अंत में, प्रतिमा धारा को ली जाती होकर धारा में पायी जाती है। सब लोग अगले साल में श्री गणेश के लौटने के लिए पूछते हैं। आधुनिक दिनों में कभी-कभी प्लास्टर की प्रितमाएं का प्रयोग किया जाता है। इस तरह का प्रतिमा धारा में परिवेशी समस्या हो सकता है।
त्यौहार में प्रचलित खाना मोदक है। मोदक नारियल और फूलों से गुलगुला है। सड़क में उत्सव प्रचलित हैं। गाने गाने जाते हैं और नाटक किया जाते हैं। त्यौहार में कलाकार अपने कला देखते हैं। शहर अपने समुदाय के लिए गतिविधिएं करते हैं। शायद फ्री मेडिकल चेक-अप है, और दान ग़रीब को दिया जाता है।
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