Tuesday, 22 November 2011

बहुत बड़ा भूल

एक धन्यवाद प्रकाशन का दिन को मैं ने एक बहुत बड़ा भूल बनाया. पकाते पकाते मैं ने देखा की मेरी महान चाची मेरा घर पर पहुंची. "नमस्ते चाची" मैं ने कह. मुझे खुश लगा क्योंकि तिन साल के बाद मैं ने उसको देखि और मैं ने बहुत खाने तैयार किये - तुर्की, क्रेंबेरी चटनी, सेब पाई, वगैरह. सात घंटे के लिए मैं ने पका, और अब चाची यहाँ थी!
लेकिन यहाँ जहाँ है मैं ने अपनी भूल बनाया: जब चाची घर का अन्दर आई, उसको मालूम नहीं है की वहां एक कदम लगा था. उस ने कदम नहीं देखा और वह गिर गया.
मैं ने चिल्लाई.
मेरे पिता (एक चिकित्सा महायक) ने चाची को कह की "मत चलिए, शायद आपके पास टूटी हड्डी है." मैं ने सोची की मैं इतनी बेवकूफ थी क्योंकि मैं ने चाची को नहीं कही की वहां एक कदम था. मुझे रोने चाहिए थी.
फिर मैं ने हॉस्पिटल को फोन किया, और मैं ने कही की मेरी चाची ने गिरी और मैं ने पूछी अगर धन्यवाद प्रकाशन का दिन पर हॉस्पिटल खुला था. लोगन (मेरा दोस्त जो हास्पिटल में काम करता है, और वह मेरे साथ फोन पर था) ने कहा की "हाँ, हम धन्यबाद प्रदाशन का दिन खुला है, और जल्दी आये."
मेरे पिता मेरी चाची के साथ हॉस्पिटल को चले. मैं बहुत परेशान थी. 

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