Thursday 16 December 2010

होमेवोर्क १४ अगर मैं भारत जाता

अगर मैं भारत जाता तो बहुत साडी चीज़ करता और बहुत सरे लोग को मिलता। मैं भारत हर साल जाता हूँ और मुझे भारत मैं बहुत मजा आता हैं। अगर मैं इस साल भारत जाता तो अहमदाबाद पहले जाता। वहाँ मेरे दादा दादी और नाना नानी रहते हैं। मेरे दादा दादी फ्लाट्स में रहते हैं। वहाँ मेरे बहुत दोस्त हैं। अगर मैं भारत जाता तो इन दोस्तों के साथ बहुत समय गुजारता। शायद हम सिनेमा में कोई फिल्म देखने जाते या कोई रेस्तौरांत में खाना खाने जाते। मैं अपने नाना नानी के घर भी जाता। उन के घर के पास भी बहुत दोस्त हैं। मेरे नाना नानी के घर के पास एक क्रिकेट फिएल्ड भी हैं। मैं और अपने दोस्तों वहाँ क्रिकेट खेलने के लिए जाते हैं। अहमदाबाद के बाद मैं सूरत जाऊंगा । सूरत में मेरे मासा मसि रहते हैं । सूरत मैं में समंदर के पास जाता। सूरत बहुत सुन्दर शेहर हैं और अब बहत साफ भी हैं। सूरत के बाद मैं मुंबई जाता। मुंबई में माँ के फूफा रहते हैं। वह घाटकोपर मैं रहते हैं। लेकिन वह मुझे पूरा मुंबई दिखाते हैं। हम सब जगह घूमते हैं। अगर मैं भराटी जाता तो मैं बहुत मजा करता ।

होमेवोर्क ११ सबसे अच्छा दिन

मैं बहुत खुशनसीब हूँ। मेरी ज़िन्दगी में बहुत सारे खुश दिन हुए हैं। जब में चोट्टा था तब में हर रोज़ घोड़े पर बेठथा था। तब मैं भारत में रहता था। जब मैं नों साल का था तब में भारत को छोडकर अमेरिका आया। हम अमेरिका आये क्यों की शायद मेरी ज़िन्दगी ज्यादा अच्छी हो। मैं ने बहुत मेहनत की ता की मेरे माता पिता मुझ पर खुश हो। इसलिए मेरी ज़िन्दगी मैं सबसे खुश दिन वह हैं जब मुझे उनिवेरिस्टी ऑफ़ मिचिगन में एडमिशन मिला। मुझे उनिवेर्सित्य ऑफ़ मिचिगन की होनोर्स कॉलेज में एड्मिशन मिला और इसलिए मेरे माँ बाप बहुत खुश हुए । उन को खुश देखकर मैं भी बहुत खुश हो गया। मेरी मेहनत के फल देखकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई। मेरी किस्मत बहुत अच्छी हैं की मुझे ऐसे माँ बाप मिले जो मेरी देखबाल करते हैं। मेरे सबसे खुश दिन जब मैं उनको खुश क्र सका। इसलिए जब मुझे उनिवेरिसिटी ऑफ़ मिचिगन में एडमिशन मिला मैं बहुत खुश हुआ ।

Sunday 12 December 2010

अनीथ hw 2 १०.२१.२०१०

अनीथ
hw 2
१०.२१.२०१०

मेरी सबसे खुशी की िदन

मेरे दो बिहन अौर एक भाई है। एक बड़ी बिहन है, दूसरी छोटी वाली है। जब मैं चोदहा महीने की उमर थी, मेरी छोटी बहन हुइी थी। इस करके, मेरे माता-िपता जी को िचंता थी िक मुझै परवाह अौर “अटेन्शन” नहीं िमलेगी। उस िदनों में, मुझे अपने माता-िपता जी के साथ बहुत टाईम नहीं िमलती थी। मेरा िपता जी ने हर रोज़ िदन बाहर काम के िलये जाना था, अौर वीकेंड़ में भी उसने काम करना था। मेरी ममी को तीन दूसरे बच्चे को देख बाल पड़ता था। में अाम तोर पर अपने-अाप रहती थी--िकताबें पती थी अौर खेलें खेलती थी।

जब मैं पांच साल थी, एक िदन मेरे माता-िपता जी ने मुझे “सर्प्राइज”़ िदया था। उनहें मुझे िशकागो से “कारिनवल” (मेला) से लेके गये। मैं अकेली गयी थी, अौर मैं बहुत खुश थी िक मेरे बहने घर पर रह गये थे। मेले मंे, मैं अपने माता-िपता जी के बीच वाली सीट में बैठी थी। मैंने “पोपकोर्न” अौर “काटन केंनडी” खाये। मुझे आज तक याद है िक मैं बहुत ही खुश, प्रसन्न अौर उतेजित थी। मैं पहेली बार मेरे माता-िपता जी के साथ अकेली थी, अौर मुझे मेला में इतना मज़ी अयी थी। अभी मुझे लगता है िक मैं अपना बच्चा से बहुत टाईम दूंगी। में इतना छोटी थी, लेिकन मेरा िदल में बड़ा मैमोरी है।

आनीथ hw 1 ९.२९.२०१०

आनीथ
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९.२९.२०१०

पैिरस, िशकागौ, अौर काम्पाला

मुझे बहुत शहर पसंद है, अौर मेंने बहुत जादा शहरे में रही थी। मेरा ख्याल में, मेरा सबसे पसंद शहर पैिरस है। मुझे पैिरस अच्छा लगता है कयोिक वहाँ बहुत जादा “एकाडेिमकस” अौर यूिनवर्िसटयाँ होते है। पैिरस में, आप सारा िदन मेंे चल सखते है। पारकस, मयूजी़मज़, अौर काफ़ी-वाले दुकाने मशूर हंै। पैिरस की “मेटरो” तेज़ चलती थी। बहुत कलाकार, संगीत गाने वाले अौर बाजाने वाले हंै। एक चीज़ मुझे नहीं पसंद है: पैिरस में जो लोग अफ़रीका अौर अरेब वाले देशे से अा रहे हैं, उनहंे िलये उसके िज़ंदगी जादा मुशकूल हो रेहे हैं। पलीस उनहोंने से पीछे-पीछे रहते है।

मुझे िशकागो भी बहुत पसंद है। मैं अपनी बचपन से िशकागो में रहती थी, ताकी मुझे यह शहर के िलये इतनी प्यार है। मेरा िदल बहुत लगता है जब मैं “डाउन्टाउन” में खुबसूरत ईमारते देखती है।

अंत में, मुझे काम्पाला शहर (यूगंन्डा में) भी पसंद है। मैं वहाँ क़रीब के दो सालों के िलये रही थी। यह शहर इतना सून्दर-सोना है, अाप को लगेगा जैसे अाप कोई जन्नत में हो। हर पासे हरे दरख़्त है अौर लाल िमट्टी हंै। सब लोग हसने वाले हैं। मैं एक टीला की उपर रहती थी, अौर मेरे नज़दीक से एक छोटी, पूरानी मसजिद थी। हर रोज़ िदन, पहले साड़े पांच बजे सवेरे, िफ़र चार अोर बार, मैं “अलाहू अखबार” सुनती थी। अाज कल जब में िमिशगेन में है, मैं कामपाला से बहुत याद करती थी।

Thursday 9 December 2010

अनीथ hw 14 ११.४.२०१०

अनीथ
hw 14
११.४.२०१०

अगर मैं भारत जाती

जब मैं भारत में जाती हँू मैं अक्सर पहेले पंजाब जाती हँू कयोिक मेरा पिरवार वहाँ रेतंे हैं। जब मैं छोटी थी, हम हमेशा गाँव में मेरी नानी जी के साथ रेतंे थे। हम िदल्ली पहुचंके, द्वितीय श्रेणी की ट्रैन लेके, दस घंटे के बाद, अमिरसार पुहंचतंे थे। जब मैं छोटी थी, मुझे यह सफ़र बहुत बूरा लगता था। उस िदनों में, हम ज़रूरी गरिमयों में भारत से जातंे थे। माई से अगस्त तक हमको तीन िमनों के छुट्िटयाँ िमलते थे।

अभी मुझे लगता है िक मैं बुहत “लकी” थी िक मेरा बचपन में मैं इतने बार भारत में गयी थी। अाजकल जब मैं भारत से जाती, मेरा सफ़र बहुत असमाल है। हवाई जहाज िशकागो से िदल्ली से अमिरसार जाती है। मैं गाँव से जाती, लेिकन में इतना देर से नहीं रेह सखती है। मुझे अपने “इन्टरिस्ट” है। उदाहरण के लिए, मैं एक-दो ह्फ़ते िलये अशराम में रहेना चाहती हँू। बंबइ से, मैं अपने कोलीग से िमलने चाहती हू। मैं हर रोज़ िदन अपना पिरवार के साथ नहीं रहा सकती हूँ। मैं बहार घूमने जाना चाहती हँू। मुझे िचतंा है िक मैं अोर कोई जगा भारत में देखा। अगला साल जब मैं भारत से जाउँगी, में सोच रही िक मैं िनपाल से जाउँगी।

अनीत hw 17 ११.२२.२०१०

अनीत
hw 17
११.२२.२०१०


कया अापसे कभी कोई भूल हईु है

मुझे बहुत बार भूल हो जातें है। कइ ह्फ़ते मुझे लगता है िक हर िदन कोई भूल हो जाता था। िपछले ह्फ़ते, मैं एक “फेलोिशप एपिलकेशन” िलख रही थी। यह फेलोिशप एक “पोस्त-डाक्टोरल पिज़शन” के िलये है। पिज़शन ट्रान्टो यूिनवर्स्टी में है। मुझे लगा िक यह पोिज़शन अगले साल में पहेली अगस्त शुरू हौगी। हाय! मुझे पता चला िक पोिज़सन पहेली जूलाई से शुरू होगी। मैं अपना डिसर्टेशन इतना जलदी नहीं खतम कर सखती हूँ। मैं बहुत परेशानी थी कयोिक मैंने अपनी एपिलकेशन से इतनी मेिनत दी थी।

एक बार, मैंने बहुत बड़ी गलती की। मैं भारत में थी, अौर मुझे अफ़रीका से जाना पड़ा। मुझे िदल्ली से “इिथोपीयन एयरलइन” दफ़तर से जाना पड़ा था। मेरा िटकट नहीं “कनिफर्म” हुअी, आौर दौ िदनों के बाद मुझे एक फ़लईट िमली। लेिकन िफ़र मुझे एक अोर गलती हुअी। बारा बजे दोपहेर के बजाय, मुझे लगा िक मेरी हवाई जहाज बारा बजे रात से जायेगा। मैं बहुत अराम से हवाई पत्तन से पहुंची, अौर मुझे इकदम पता चला िक मेरी फ़लाईट चूठ गायी थी। मैं बहुत परेशाानी हो गयी थी। मैं एक रात िलये होटेल में ठहरी, िफ़र एक अोर िदन के बाद अफ़रीका से पहुंच गयी थी।

अनीथ hw 18 ११.२४.२०१०

अनीथ
hw 18
११.२४.२०१०



थेनकसिगवंग में, अमरीकन लोग टुरकी, मसले अलू, अौर गरेवी खातंे हैं। जब हम लोग थेनकसिगवंग बनातंे हैं, हमको अामतोर दो िडनर हैं। हम अमरीकन खाना खातंे थे, अौर भारितयाँ खाना भी खातें थे। हम टुरकी, “सटुिफंग,” पाई, गरेवी, “केसेरोल,” अौर “ला़ज़ानया” पकातंे है. मैं अौर मेरे बहनें सब के िलये खाना पकातंे थे, अौर मेरी माँ दुकानें में जा-जा के सबिजाँ खरीद कर घर पर लेकर अाती थी। मेरी माँ भारितयाँ खाना भी पकाती थी: तनदूरी िचकन, राजमा, चावाल, नान, सामोसे, अौर चाठ. हमको खा-खा के बुहत मज़ा अाता था।

कई लोग थेनकसिगवंग िदन की बाद शुकरवार से सवेरे-सवेरे दुकानों में शोपंग के िलये जातंेे हैं। थेनकसिगवंग से बहुत जादा “सेलस” होते हैं, लेिकन हमारे घर पर पिरवार सोतेे है…। कई लोग फुटबाल के गेमंे देकतंे हैं। पारिटयाँ भी हो सकते हैं। मेरा “कमयूिनटी” में, बहुत जादा “फ़नकश” होते हैं। हर रोज़ िदन हम कीरतन, पार्टी, या िडनर में जाते हैं। मुझे लगता हैं िक थेनकसिगवंग बुहत मज़ादार छुट्टी है। वैसे नवम्बर की अंत से सारे पिरवार को थोड़ा सा अराम चाहता है, अौर यह छुट्ट में सब को थोड़ा अोर नीदं िमल जाता या। मेरी पिरवार में हम मूवी अौर टीवी भी देखते हैं। हमने थेनकसिगवंग बनाया जब हमने “लौसट सीसन फईव” देखी। मेरा भतीजा, िजस्से चोबीस महीने के उमर है, उसने भी देखा! । थेनकसिगवंग बनाने िलये बस पिरवार चाहता है।

Wednesday 8 December 2010

Saturday 4 December 2010

वाला

आना: चलो! हम को जल्दी जाना चाहिए!
भावना: तुम मेरा इंतजार हो ! मैं रोटी सेकने वाली हूँ।
आना: मैं नहीं सतकी हूँ क्या तुम करने वाले है। हम देर से नहीं सकती हों । कितना देर लगेगा ?
भावन : तुम दस मिनुत लगेगा.
आना: टिक है। लेकिन जल्दी है! क्या तुम रोटी वाला है? हमको प्रदर्शन जाना चाहिए। आभी!
भावना: चाय वाला वहां होगा?
आना: जी हा। मैं सोचती हूँ कि वह भी बहुत लोग और फल और फुल वाले । मैं सकती हूँ कि अच्छा हो। तुम अभी जाना चाहती हो ?
भावना: लेकिन मैं आपनी रोटी का इंतज़ार करना चाहती हूँ क्योंकि मैं सबसे आच्छी रोटी बनाती हूँ।
आना: चल चल! मैं अकेला जाऊं ?
भावना: मैं लगभग कत्म होने वाली हूँ! मेरा इंतज़ार कीजिये !
आना: नही! हम कोई समय नहीं होगी चाय वाले देखना या फुल मिलना । तब, प्रदर्शन याद करेंगी ! यह बड़ा होंगी !
भावना: अरे! सचमुच! दस मिनुत में हम चलो! उसके बाद रोटी ठड करके हम जाएँ ।
आना: हे भगवन! तुम बताना बताना लेकिन नहीं होती। में तुमको बुलाना शुरू करना रोटी वाली।
भावना: में रोटी वाली से मिलना चाहती हूँ। तब मुझे रोटी के बारे में कोई सिख चाहिए । किनते पैसे प्रदर्शन हैं?
आना: छे डोल्लर वाला टिकेट । क्यों?
भावना: क्योकि इस सवेरे में सब्जियां वाला को अपने पैसे सब दे दो । मुझे सब्सियाँ खाना रोटी के साथ पसंद है ।
आना: बाप रे बाप। तो, प्रदर्शन सात बजे को शुरू हुआ, हम बता रही हैं

Wednesday 1 December 2010

थान्क्स्गिविंग मनाना

अमेरिका में हम लोग यह उत्सव हर साल मनाते हैं लेकिन हम लोग एक जैसे नहीं मनाते हैं। मेरी दोस्त कैलिफोर्निया से अपने परिवार के साथ एक चीनी बतख खाती है। उस का परिवार जापानी-अमेरिकेन है और वे दोनों गुरुवार और शुक्रवार मनाते हैं। बतख के बाद वे "मेल तुर्की" खाते हैं। यह "मेल तुर्की" बहुत गनते के लिए ज़मीन में दफनाती है. खाने के बाद ये पूरा परिवार क्रिस्त्मस का पेढ़ पाने के लाइफ जंगल में जाते है। दुसरे लोग "मेल तुर्की" नहीं खाते हैं। कुछ लोग तली हुई तुर्की बनाते हैं और फिर दुसरे लोग भुनी हुई तुर्की बनाते हैं। मुझ को नहीं मालुम कैसी तुर्की की स्वाद है क्योंकि मैं घोषत नहीं खाती हूँ। अगर आप शाकाहारी है जब थान्क्स्गिविंग आप के लिए अछ्चा दिन नहीं है क्योंकि कोई नहीं अपने घर पर आप से बुलाना चाहते हैं।

मेरी गलतियाँ

इमानदारी में मैं अपने जीवन में ध्यान से नहीं काम करती हूँ। वैसे मेरा जीवन बहुत अस्त-व्यस्त है। इस के बारे में मैं बहुत उदास हूँ लेकिन जो है वो है। और क्योंकि मेरा जीवन अस्त-व्यस्त है मुझ से बहुत भूलें हुई हैं। पहले, क्योंकि हमेशा बातें हो रहे हैं, मैं अक्सर चीवें भूलती हूँ। कभी-कभी यह होमवर्क है, लेकिन दूसरी बार मेरी सेल-फोन या मेरा बटुआ या मेरी चाबियां वगैरह। कभी-कभी ये सामान नहीं भूलती हूँ लेकिन घटनाएँ भूलती। उदारहण के लिए दो नवंबर को मेरा पास एक सम्मलेन अपने बेटे कि अध्यापिका के साथ थी लेकिन एक ही समय मेरी पास एक जरुरी विज्ञान कि गोष्ठी थी। दोनों बहुत महत्त्वपूर्ण थी। उस समय मैं अपना सम्मलेन अपने बेटे कि अध्यापिका के साथ भूल गई। इस के बारे में मैं बहुत ख़राब महसूस कर रही थी। अगले दिन मैंने अध्यापिका के साथ एक और सम्मलेन का इन्ताम किया लेकिन फिर भी मैंने अध्यापिका से मिलना भूली। दरासन, तीन बार मैंने अध्यापिका से मिलना भूली। हर बार मैं बहुत शरमिंदा है थी।