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Sunday, 18 March 2012

Friday, 20 January 2012

बुर्ज खलीफा


मेरी खुश किस्मती है की मुझे बहुत साड़ी जगा घूमने की मौका मिल गयी | इसी तरह मुझे बुर्ज खलीफा जाना है क्योंकि मैं कभी नहीं दुबई गयी हूँ और मुझे दुनिया की सब्सी लम्बी इमारत देखने का मौका चाहिए | यह इमारत आठ सौ अत्तीस मीटर्स लम्बा है, सबसे ऊपर वाला कमरा को पौंचने के लिए आपको सबसे ऊपर चलने वाला एलेवाटर लेना परेगा | मुझे यह इमारत देखना है क्योंकि मैं हमेशा पुरानी इमारते देखती हूँ और हाँ वे ठीक हैं पर नया इमारतें देखने का मज्जा ही कुछ और है | सोचो कितना समय और तयारी करना पर्दा रूप खीचना करने के लिए | बुर्ज खलीफा एक फूल की सुन्दरता से प्रेरित हुआ | इसके अन्दर बहुत साड़ी दफ्तर हैं बारे-बारे कोम्पन्यों के और कुछ लोग भी रहते हैं नीचे वाले मंजिल में, सोचो कितना पैसा देना पड़ेगा इतनी सुंदर, लम्बी इमारत में रहने के लिए | यह "बुर्ज खलीफा" कहलाह जाता है क्योंकि वेह बनाया गया था एक चिकागो कंपनी से दो हज़ार चार में राष्ट्रपति खलीफा बिन ज़ायेद अल नहयान के लिए | देखते हैं कभी मुझे मौका मिलेगा मैं ज़रूर बुर्ज खलीफा देकने दुबई जाऊंगी |

Monday, 21 November 2011

क्या आपसे कभी कोई भूल हुई है?


एक बार, जब मैं छोटी थी अपनी सेकंड गर्दे क्लास में मेरा वक्त था अपनी क्लास चूहा को एक हफ्ता के लिए देख-बाल करना. में बहुत बेचैनी से आपनी मौका के लिए इंतज़ार कर रही थी, क्योंकि चूहा मेरे सबसे पसंदिता जानवर था. मेरा पहला शब्द 'चूहा' था तो स्वयम मुझे बहुत चूहा के सात खेलना और तैयार करना का शौक था. मेरे कभी कोई पाला हुआ जानवर नहीं रहा क्योंकि मेरे माँ-बाप मुझे रकने नहीं दिए. पहले दिन वह चूहा के सात मुझे काफी मज़ा आया, मैं उसको एक नाम दी, क्लास के नाम से अलग, मैं उसको बुलाती थी 'रानी' क्योंकि मैं उसको रानी की तारा साझा-धदाजी, उसके बारे में पहले सोचती, अगर उसको अच्छा खाना मिल रहा था, या उसको ठीक से पानी मिल रही थी. मैं तो खुद से भी ज्यादा, उसकी ख्याल रखती. जब मैं दूरी दिन क्लास में आई मैं सब को बताई जैसे-जैसे मैं उसके सात खेली और देखबाल की और एक दूसरा नाम भी दी, तभी कोई चालाक लड़का मुझे बोला कि मेरी प्यारी रानी लड़की चूहा नहीं, लड़का चूहा हैं. एकदनसे मैं उदास परगाई, और जब मैं वापस घर पौंची मैं चूहा कि तरफ देखि भी नहीं. धीरे-धीरे एक दिन गूजर फिर दो, फिर तीन, कोई उसको नहीं खाना या पानी या प्यार दे रहा था और जल्दी उसकी हालत बिगरती गयी, पहले वह दिन भर सोता, फिर वह अपने आप को साफ़ करने भूल गया, फिर वह पीला रंग हो गया, तब तक मेरी माँ मुझे बताई कि मेरा चूहा मरने वाला था. मैं सोची मेरे लिए सही, क्लास के लिए मुझे उसकी ख्याल रखनी चाहिए. बाकी तीन दिनों में मैं उसको वापस स्वस्त बनायीं और क्लास को पता भी नहीं चला कि मैं उसका ख्याल नहीं राखी कुछ दिनों के लिए.