Tuesday, 8 November 2011

अगर मैं भारत जाती....

अगर मैं भारत जाती मैं अपने नाना, नानी, और दादी से मिलती। उनके साथ वक्त बेथाथी, उनसे मैं कहानियां सुनथी। मैं अपने नाना के साथ खेत में जाकर अमरुद और केले खाती। फ्हिर में बैल गाडी में बेट कर नानाजी के सुन्दर गाँव देक्थी। रात को नानी और में रोटी बनाते और फिर मौसी और मैं मचर्दानी लगाकर ब्स्थर बिचाठे। सोने से पहेले हम सब हिन्दुस्तःनी "टी वी सेरियल" देखते और फिर सोते। दादी के पास भी बहुत मज़ा आता। दादी के घर पर सुबह उत कर हम डोसा खाते। फिर "ऐ सी" वाले कुमरे में बेट कर हम सब अंग्र्र्ज़ी में बात कर ते क्यों की मेरे पापा का परिय्वार पुरी तेलगू बोलते हैं और बहुत ही अफ़सोस की बात है की हम (मैं और मेरी छोटी बेहें) तेलगू नहीं सिख पाए। लेकिन दादी को अंग्रेजी नहीं आती है थो वह धीरे धीरे बोलती हैं और हम समझने की कोशिश करते हैं। एक घंटे में दादी हमे खूब साड़ी बचपन की कहानियाँ बतातीं।
अगर में भारत जाती, में अपनी प्यारी मौसी और चार प्यारी प्यारी बुवान के साथ "शौपिंग" जाती। मैं खूब सरे लेहेंगे और जेवर खरीदती और अपनी मेहँदी लगवाती।
अगर में भारत जाती, में बहुटी सारा खाना खाती। ख़ास कर के चाट! में "मिनेरल पानी" के पानी पूरी खाती। में दो घंटे में सौ ख सकती हूँ! सच! मैं भेल पूदी भी खाती। मैं बहुत लस्सी पि थी और माता भी। मैं कुल्फी भी खाती।
काश मैं आभी भारत में होती!

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