Monday, 7 November 2011

अगर मैं भारत जाती...

अगर मैं भारत जाती, तो मैं अपने सहेलियों से मिलने सकती| अगर मैं भाररत जाती, तो पहले मैं दिल्ली जाती| अगर मैं दिल्ली जाती, तो: विश्वविद्यालयों में मैं कुछ मानवविज्ञान और समाजशास्त्र के प्रोफेसरों से मिलती मेरे खोज करने के लिए; मैं अपनी सहेली, सुनयना, से मिलती और उस की घर में रहती; मैं सुनयना का अच्छा हिन्दुस्तानी खाना खाती; मैं सुनयना के साथ फिल्म देखती; मैं कुतब मीनार, जामा मस्जिद, और लाल किला जाती; मैं कोनाट प्लेस के पास स्कार्फ खरीदती; मैं पुराणी दिल्ली जाती और खारी बओली में हल्दी और दुसरे मसाले अपनी माँ और अपने प्रोफेसरों के लिए खरीदती; मैं अपनी सहेली नवीना का घर जाती और उसके घर की खिर्कियों से हुमायूँ का मक़बरा देखती; और मैं अपनी हिंदी सुनयना के साथ अभ्यास करती|  अगर मैं भारत जाती, तो मैं चंडीगढ़ भी जाती|  अगर मैं चंडीगढ़ जाती, तो: मैं एक मानवविज्ञान के प्रोफ़ेसर से मिलती; मैं मानवविज्ञान म्यूज़ियम मानवविज्ञान के विभाग में जाती; मैं "रॉक गार्डेन" जाती; और मैं सुखना झील जाती|  अगर मैं भारत जाती, तो मैं लखनऊ भी जाती|  अगर मैं लखनऊ जाती, तो: मैं अपनी सहेली, लिज्ज़ी, से मिलती; मैं अपनी उर्दू की शिक्षक, फहमीदा साहिबा, से  मिलती; मैं अपनी सहेली, ईसाबेल, के साथ फिल्म देखती; मैं राम अडवाणी की किताबों की दूकान जाती और राम अडवाणी जी की ज़िन्दगी की कहानियां सुनती और किताबें खरीदती; मैं अपनी "होस्ट परिवार" से मिलती; और मैं पुराणी लखनऊ जाती और वहां इमाम बारह देखती, कुलचे नहारी खाती, और लखनवी कबाब खाती|  अगर मैं भारत जाती, तो मैं कोल्कता भी जाती|  अगर मैं कोल्कता जाती, तो मैं "विक्टोरिया मेमोरियल" जाती और कुछ प्रोफेसरों से मिलती|

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