Wednesday 28 March 2012

होमवर्क उन्नीस

जब मैं छोटा था, मेरा मन पसंद  भारतीय त्योहार नवरात्रि था.  संस्कृत में नवरात्रि का अर्थ है नौ रातें (नव का मतलब नौ और रात्रि का मतलब रातें).  नवरात्रि नौ रातों और दस दिनों के लिए मनायी जाती है और दसवें दिन को विजयादशमी या दशहरा से जाना जाता है.  नवरात्रि देवी दुर्गा का उत्सव है और उन के नौ रूप है: इसी लिए नवरात्रि नौ दिनों के लिए हैं. मुझे अभी पता चला कि नवरात्रि साल में पांच बार मनायी जाती है: वसंत नवरात्रि  मार्च - अप्रैल में  मनायी जाती है, आशाधा नवरात्रि जून - जुलाई में  मनायी जाती हैशारदा नवरात्रि सितंबर - अक्टूबर में मनायी जाती हैपौष नवरात्रि  दिसंबर - जनवरी में मनायी जाती है, और  माघ  नवरात्रि  जनवरी - फरवरी में मनायी जाती है.  हम शारदा नवरात्रि मनाते है और यह सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रि माना जाता है.  भारत के अलग अलग प्रदेशों में नवरात्रि अलग प्रकार से मनाई जाती है.  गुजरात में नवरात्रि हमेशा गरबा और डांडिया - रास के साथ मनाई जाती है. इस लिये जब हम हर साल मंदीर जाते थे, मेरी माँ कुछ लोगों के साथ गरबा करती थी (मैं अपने दोस्तों के साथ खेलता था...यह अलग कहानी है) और फिर हम सब डांडिया - रास करते थे. नवरात्रि के दौरान, कुछ लोग उपवास भी करते हैं और अनाज नहीं खाते क्योंकि माना जाता है कि अनाज नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित और अवशोषित करता है. नवरात्रि के पीछे और कई कहानियाँ हैं. दुनिया में सबसे लम्बी नृत्य उत्सव है नवरात्रि और इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है.

Monday 26 March 2012

my favorite dance

मेरे मनपसंद भारतीय लोक नाच का नाम भंगरा है वह नाच यह सिर्फ नाच मुझ को मालूम है यह नाच एक "सलेब्रतिओं"का यह फसल है यह नाच भी एक सलेब्रतिओं का बैसाखी फेस्टिवल है यह बैसाखी फेस्टिवल में भंगरा या पहले  नाच है जो संघीत भंगरा में लोगों गाता है वह संघित दो भागों में गाता है और दो संघितों का नाम बोलिस है वह स्टेपस ब्लोइस में लोगों  कुछ कदम करता है ये कदम ये बोलिस के साथ करता है जब यह नाच शुरू करता है तब १४ या १५ का सन्तुरी में है. किसने इस नाच नाचता है क्यों की वे हार्वेस्ट के लिए इंतज़ार करता था भंगरा कहानी पुनजब की इतिहास के बारे में कहता है भंगरा की शब्द प्यार या रिश्ता या शराब के बारे में गाता है यह संघित भी पंजाबी की स्वतंत्रता की हेरोस के बारे में नाचता हैं एक हीरो का नाम भगत सिंह है भंगरा में लोगों कोस्तुमे पहनता हैं आदमी एक लम्बा चादर या सिल्क क्लोथ फंता हैं और आदमी एक लम्बा शर्ट पहनता है उस शर्ट का नाम कुरता है औरत एक लम्बा स्किर्ट पहनता है इस स्किर्ट का नाम घगरा है औरत भी रंग-रंगित दुपतास पहनता है

Thursday 22 March 2012

मेरा मन पसंद भारत्या लोक नाच

मेरा मनपसंद भारत्या लोक नाच का नाम करागात्तम है. दक्षिण भारत में यह नाच बहुत मशहूर है. करागात्तम एक भगवान मरिंमन के लिए अभिनय करथे हैं. जो बारिश और उर्वरता की देवी है वह मरिंमन अधिकांश के ग्रामीण पूजा किया गया है. नाच के लिए कलाकारों अपने-अपने सर पर पानी की बर्तन तौलते. इस नाच में दो प्रकार के होते हैं. पहला प्रकार आटा करकम है. वह मनोरंजन के लिए अभिनव किया गया है. यह आनंद और खुशी का प्रतीक. दूसरी प्रकार सकती करकम है. वह मंदिर में नचा गया. एक लंबे समय से पहले यह नाच सिर्फ ढोल के साथ अभिनव किया गया. लेकिन अभी गाने के लिए भी अभिनव किया गया. यह नाच अकेले या जोड़ों में और दोनों पुरुष और महिला से प्रदर्शन किया जा सकते हैं. कुछ नृत्य सर्कस कृत्यों के लिए समान हैं. इन दिनों वे मिट्टी के बर्तन का प्रयोग नहीं करते हैं. बजाय वे धातु का प्रयोग करते हैं. बर्तन एक कागज तोता और फूलों से सजाया जाता है. जब वे नाचने पर कागज तोता भी घुमाता है उस नाचने की तरह से. जब आदमियों नाचने, बर्तन, कच्चा चावल से भरा गया है. वे पानी की एक थाली पर नाचते हैं. तथापि वे पानी नहीं गिर गयी. सबसे नर्तकियों तमिलनाडु में रहते हैं. क्यों की यह नृत्य तमिलनाडु में जन्माता है. लेकिन जहां लोगों को तमिल बोलते हैं वे भी रहते हैं. उदाहरण के लिए श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर. सब के ऊपर, यह एक धार्मिक नृत्य. लेकिन अब यह मनोरंजन के लिए प्रयोग किया गया है.

भारत में लोगों के कई प्रकार होते हैंवहाँ भी शादी के कई प्रकार हैं
आज हम हिन्दू  की शादियो  के बारे में बात करेंगे. 
वहाँ एक हिन्दू की शादी में तेरह पूजा हैं. 
 पारंपरिक हिंदू शादी पुरानी चीज़ें किया
जाता है, चीजें से वैदिक दिनों हैं.
उसके अनुसार हिन्दू की शादी संस्कृत भाषा में हैं.
 पहले शादी से  अंगूठी की रस्म है.
 इस रस्म में एक शपथ दिया जाती हैं.
शपथ दोनों कहा और लिखा है.
इस रस्म के बाद मेहंदी है.
मेहंदी में दुल्हन के हाथों में मेंहदी में पेंट करता हैं.
अगला संगीत रस्म हैं.
संगीत उसका नाम के तरह है. 
गाने में दुल्हन के आसपास गीत हैं. 
वारा सत्कारह में दूल्हा  दुल्हन का घर से आता है
उसे दुल्हन की माँ का स्वागत करता है.
अगला,  मधुपर्क  सरेमोनी  हैं.
एस रस्म में  दूल्हा, दुल्हन के पिता से उपहार दिया जाता है
कन्या  दान रस्म में  उसके पिता ने दुल्हन दूल्हे को दिया जाता है.
अगला विवाह होमा आग रस्म है. तब पानी ग्रहण हैं.  
यहाँ दूल्हा अपनी पत्नी के लिए दुल्हन लेती है
उसके अनुसार आग के आसपास दूल्हे और दुल्हन की पैदल है
शिला आरोहन  में मां बेटी को सलाह देता है. 

होमह लजा में दूल्हे और दुल्हन आग में चावल दे जबकि वह
अपनी हथेलियों उसके ऊपर रहती है.
परिक्रमा दुल्हन  और दूल्हे में आग आसपास की सात बार पैदल हैं. 
जब दूल्हे और दुल्हन अपने कपड़े के साथ टाई यह सप्तपदी कहा जाता है. 

पानी देने और ध्यान अभिषेक में होता है 
अन्ना प्राशन  में जोड़े आग और एक दूसरे का खाना देना. 
जब बड़ों के आशीर्वाद दे...तो आशीर्वाद की रस्म हो रहा है. इन तेरह एक
शादी के चरणों में हैं. 

Wednesday 21 March 2012

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haldi ki rasam

हल्दी की रसम शादी से एक दिन पहले होती है. इस रसम में दुल्हन और दुल्हे के अंग पर सब रिश्तेदारों मिलके पीसी हुई हल्दी (जिसमे गुलाब-जल और चन्दन भी मिलायी हुई) की पेस्ट लगते हैं (लकिन दुल्हन और दूल्हा अपने आपके घर पर रहते हैं-- वे दोनों शादी से पहले एक दुसरे की शकल नहीं देख सकते). हल्दी का रंग पीला होता है, और कहते हैं की हल्दी लगाने से चेहरे और अंग का रंग सुनेहरा होता है, चन्दन और गुलाब-जल से त्वचा बहुत मुलायम हो जाती है. और दुल्हन/दुल्हे को अपनी शादी में सुन्दर दिखना चाहिए, हैं न? (और एक दुसरे के लिए भी--सुहाग रात के लिए :) )

इस रसम में बहुत नाच-गाना भी होता है-- घर की औरतें मिलकर ढोलक बजाके गाने गाती हैं. हल्दी की पेस्ट लगाने के बाद दुल्हन और दुल्हे को निलया जाता हैं और वे बहुत अच्छे दिखते हैं!

Tuesday 20 March 2012

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Shaadi ke baare mein

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Wedding Customs

आठ या नौ साल पहले, मैं, मेरी बड़ी बहन, और मेरे पिता जी एक शादी के लिए भारत गए थे । क्यूँ कि तब मैं बहुत चोट्टी थी, मुझको सिर्फ थोडा कुछ याद है । मुझे यह मालूम है कि भारतीय शादियाँ बहुत मजेदार होते है और शादी धूम धाम से मन जाती है । मैं हर दिन एक नया साड़ी या सलवार कमीज़ पहन रही थी । मैं बहुत नाची और बहुत खाना खायी, और मुझे याद है कि हर रात मैं बहुत थक जाती थी । मेरा पूरा परिवार एक घर में था । 
पिछले साल मेरा चचेरा भाई की शादी थी, लेकिन इस बार शादी अमरीका में थी । क्यूँ कि मैं अब बड़ी हूँ, में शादी का खाना और नाचने के साथ शादी की संस्कृत और रियाज़ को ध्यान राखी ।
मेरा भाई का शादी बहुत बड़ा था । शादी के दो दिन पहले सब लड़कियां ने मेहँदी लगायी । मेरी बहन ने दुल्हन की मेहँदी कि । चार या पाच घंटे बाद मेरी बहन ने मेहँदी की अंत कि, और दोनों हाथ आगे और पीछे कोहनी तक महेंदी लगा था । जब दुल्हन सुबह उठी, तब उस ने मेहँदी निकली और एक सुन्दर लाल रंग उसके हाथ पर रह गयी । शादी के दिन पर हल्दी थी । इस रियाज़ में दूल्हा और दुल्हन के परिवार दूल्हा और दुल्हन पर हल्दी लगते है । मैं भी अपने चचेरा भाई को गाल पर हल्दी लगायी । 
शादी एक बहुत खुबसूरत मंडप में हुई । दूल्हा और दुल्हन ने सात फेरे कि । साथ फेरे में पंडित शादी का अर्थ बताता है । दूल्हा दुल्हन के सिर पर सिन्दूर लगता है । जब लड़की का सिर पर सिन्दूर होती है, लोग को मालुम पड़ जाता है कि लड़की की शादी हो गयी है । शादी के बाद खाना और नाच था । मैं अपनी बहन के साथ दूल्हा और दुल्हन के लिए एक नाच तैयार की । मुझ को मालूम है कि अमरीका में एक भारतीय शादी मानना थोडा मुश्किल है, लेकिन मेरा परिवार ने पूरा कोशिश कि कि यह शादी ऐसा मन जाये जैसे भारत में मन जाती है । 

Monday 19 March 2012

HW 14: Shaadi

हिन्दुस्तानी शादी में, बहुत सारे रिवाज हैं. एक आचार है, की दुल्हन की बहनें दुल्हे के जूते लूटती हैं. यह होता है जब दुल्हे मंडप पर जाते हैं, क्योंकि उसको जूते उतारने पड़ते है. जब तक दुल्हे बहनों को पैसे न देगा, तब तक वह अपने जूते नहीं मिलेगा. लेकिन उसका मोक्का है, जूते "मुक्त" मिलने. उसके भाई जूते ढून्ढ सकते. अगर वे जूते खोज कर सकते, तो वे जूते वापस लूट सकते हैं और जूते दुल्हे को वापस कर देंगे. इसलिए, दुल्हन की बहनें को जूते अच्छी तरह से छिपाने पड़ते हैं.

यह परंपरा मशहूर हो गया जब फिल्म "हम आपके हैं कौन" बना है. इस फिल्म में एक गाना है "जूते दे दो, पैसे ले लो." यह गाना बहुत लोक है और लोग उनके शादी पर इस गाना बजाते हैं.

हमने इस खेल खेला मेरी चचेरी बहन की शादी में. जब से उसकी (अब) पति मंडप पर गया, तब से मैं ने जूते चुराया. दुल्हे के रिश्तेदार हार गया तो मेरा नया जीजा मुझे  और दूसरी कजिन्स को पैसे दिया. पहले उसने जाली पैसे की इस्तिमाल कोशिश किया लेकिन अंत में उसने असली पैसे दिए. इस खेल में बहुत मज़ा है!

शादी

शादी भारत में बहुत ही रंगीन होते है. भारत में शादी दिनों के लिए मना जाते है क्यों की बहुत सारे अनुष्ठान होते है. कम से कम १००० लोग शादी पर आते है और कभी कभी ये लोग दूल्हा और दुल्हन को भी नहीं जानते है.  अक्सर तयशुदा शादिय होते है, पर कभी कभी प्रेम विवाह हो सकता है.  लोग जो प्रेम विवाह करते है, वे अक्सर बड़े शहरों से होते हैं. भारत में जब दो लोग शादी कर रहे हैं, परिवार जितना भी ख़ास हैं उतना दूल्हा और दुल्हन.  
शादी के पहले, सगाई होती है.  शादी में अलग अलग लोग अलग तरह से अनुष्ठान कर सकते है. ज्यादातर लोगों सात फेरे करते है. मंडप पर एक आग है, जहा पंडितजी शादी के पूजा करवाते है. सात फेरे में दूल्हा और दुल्हन साथ साथ सात बार चक्कर लगाते हैं. रिश्तेदार और मेहमान इस समय फूल बरसाते हैं. हर चक्कर एक वडा है जो दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे के लिया बनाते हैं. 
बारात में दूल्हा दुल्हन के घर घोड़े पर आता हैं. संगीत बजती है और दूल्हा के रिश्तेदार सब नाचते है.  कभी कभी लोग जो शादी में नहीं है, वोह भी बारात में नाचते है. बारात में बहुत मज़ा आता है क्यों की बहुत शोर मचती है. 
जब दूल्हा मंडप पर पहुँचता है उस को अपने जूते निकालने परते हैं. इसी समय दुल्हन के रिश्तेदार जूते चुराते है और फिर वे जूते छुपाते भी है. शादी के बाद लड़के वाले जूते का खोज करते है.  अगर जूते नहीं मिलते है, तो वह जूते के लिया लडकी वाली को पैसा देने पड़ते हैं.  इसमें लोगो को बहुत मज़ा आता है, खास्टर बच्चे को. 
दुल्हन शादी के पहले मेहँदी हाथो पर लगाती है. लड़के वाले मेहंदी वाले को लडकी के घर भेजते है.  शादी में दुल्हन बहुत सजती है और शादी के बाद दूल्हा दुल्हन को मंगल सूत्र पहनाता है और सिन्दूर माथे पर लगाता है.  दोनों एक दूसरे को माला भी पहनाते हैं. 
भारत में शादिय बहुत मज़दार और खुबसूरत होते हैं. 

भारतीय शादी- Ganman Singh

भारतीय शादी एक बहुत अच्छी और अलग चीज़ थी मेरे लिया. मैं भारत गया था पहली बार सात सालों में. मुझे थो याद भी नहीं था भारत है कैसे. लेकिन जब मैं जालंदर पुहंचा मैंने देखे की यहाँ थो शादी का माहोल था. मेरे छोटे चाचा की शादी हो रही थी. इस बात को अब थो कई बरस हो गया लेकिन मुझे अभी भी याद है. हम घर के बहार पुहंचे और महने देखा की तीन बरदे बरदे टेंट लगे हुए हैं. उन में कई कई तरह की मिठाई और खनना बन रहा था. मैं थका हुआ था इसलिए मैं अपने कमरे में सो गया. जब मैं उत थो बहार रात थी लेकिन शोर-शराबा बहुत चल रहा था. मैंने बहार जा के देखा की बहुत लोग लिविंग रूम में थे. कुछ लोग नाच रहे थे और कुछ मेरे चाचा के पास बाते हुआ थे. मेरे चाचा को लोग मेहँदी लगा रहे थे मेरे पापा ने मुझे बताया. मेहँदी एक रसम हे जो पहले सिर्फ लडकियों को लगती थी लेकिन आज कल लड़कों को बे लगती है उन्होंने बताया. यह लगती है हाथ और पैर पर. इस से दूल्हे और दुल्हान बुराई से बच कर रहते हैं. जितनी जादा गहरा मेहँदी लगे उतना शूब मन जाता हैं. यह शादी के दो-तीन दिन पहले लगती है. यह एक रसम हेई जो भारत में हर जगह लगभग मनाई जाती है. इस में कोई जाति, संस्कृति, धर्म का रोक टोक नहीं होता. मैने यह पहले बहार देखा था ज़िन्दगी में लेकिन मुझे बहत मज़ा आया. वह हसी मजाक का माहोल और महने देखा की सिर्फ हात और पैर पह नहीं लेकिन मेरे चाचा के चेहरा पर भी मेहँदी लगी हुई थी. छोटे छोटे बदलो आते ही रहते हैं रस्मों में लेकिन रस्मे वाही हैं पिछले हजारों सालों से.

Shaadi

मैं सात साल की थी जब मैंने अपनी पहली शादी में गयी थी. मेरी बुआ की शादी थी और मैं और मेरी पूरी परिवार ने भारत गए थे उनकी शादी के लिए. उनकी शादी में मैंने बोहुत सीखी शादी और शादी के रस्मे के बारे में. उनकी शादी में बोहुत रस्मे थे. पहले सगाई के समारोह थे. वोह अमरीका में हुई और उस रस्मे में मेरी परिवार ने एक बोहुत शानदार उत्सव मानी एक बाग़ में. फिर हम सबने भारत गए शादी के लिए. वहां सब कपडे और आभूषण खरीदने के बाद हमने शादी की दुसरे रस्मे की, हल्दी. हल्दी में मेरी बुआ ने पूरी तरह उनकी हाथों, पैरों, और चेर्हरा को मेहँदी से कवल की. लड़कियाँ हल्दी करते है क्योंकि लोग कहते है के हल्दी अप्पके शारीर को गोरा करता है. भारत में लड़कियां गोरा दिखाना चाहता है इस लिए वोह शादी के लिए हल्दी करते है. हल्दी के बाद मेरी बुआ ने मेहँदी की. मेहँदी में उनकी हाथों और पैरों पर मेहँदी लगाती है खूबसूरत डिजाइन में. मैंने भी मेहँदी की और मुझे बोहुत पसंद थी. मेरी माँ, मेरी चची ने, और सब लड़कियां ने मेहँदी की और फिर हमने पूरा दिन हमारी मेहँदी को दिखावा करते थे. मेरी और मेरी बुआ के मेहँदी के लिए एक पेशेवर मेहँदी वाली ईई थी लेकिन मेरी माँ और चची के लिए मेरी दादी ने की थी. उसके बाद फिर शादी हुआ और मुझे शादी में भी बोहुत मज़ा आया और में एक और शादी में जाना चाहती हूँ. 

हिन्दू की शादी भारत में - Lauren Harper

सात फेरे बहुत महत्वपूर्ण रिवाज हिन्दू शादी में हैं. पति और पत्नी सात बार आग के आस पास चलते हैं, और वे दौर प्रति एक वादा करते हैं. पहले दौर को, वे वादा करते हैं  कि वे एक समृद्ध जीवन बनाएँगे. दूसरा दौर को, वे भगवान् को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक शांति के लिए पूछते हैं. तीसरा दौर को, वे पूछते हैं कि वे पैसे न्यायपूर्वक अर्जित करेंगे. पांचवां दौर के लिए, वे वादा करते हैं कि वे सुन्दर बच्चें उत्पादन करेंगे और वे बच्चों को प्यार देंगे. छठा दौर के अवधि में, पति-पत्नी वादा करते हैं कि वे एक शांतिपूर्ण और लंबे समय तक शादी करना होगा. अंत में, सातवाँ दौर को, वे वादा करते हैं कि वे प्रतिबद्ध हैं और एक दूसरे कि समझ वादा करेंगे.

सोलह श्रृंगार एक और बहुत महत्वपूर्ण रिवाज हिन्दू शादी में है. पहले, औरतें पत्नी का बाल धोते हैं, बाल पर तेल लगते हैं, और बाल में सुंदर गहने और फूल व्यवस्था करते हैं. अगला पत्नी का शारीर पर हल्दी लगता है. उसका माथा पर मान्ग्तीका और बिंदी लगते हैं. उसकी आँख काजल के साथ प्रकाश डालते हैं. अब आभूषण के लिए: एक हार, नाथ, कर्ण फूल, बाजूबंद, चूड़ियाँ, कमरबंद, पायल, और बिचुअस पहने जाते हैं. अंत में पत्नी लाल दुल्हन की पोशाक पहनती है और उसका माथा पर सिंदूर लगता है. 

Mehendi

मेहँदी एक पारंपरिक और रोमांचक पूर्व शादी की रसम है। भारत में, अनुष्ठानो पर बहुत जोर दिया जाता है। मेहँदी की रसम बहुत सालो से मनाया जा रहा है। मेहँदी शादी के पहले मनाया जाता है। दुल्हन इस रसम के बाद घर के बहार नहीं जा सकती है।यह रसम दुल्हन के माँ- बाप महते है। इस रसम में सब दोस्त, रिश्तेदार, और परिवार लोगों को बुलाया जाता हैं। इस रसम में, दुल्हन के चेहेरे, पैर, और हाथ पर हल्दी लगाया जाता है। उसके बाद मेहँदी लगाया जाता है। मेहँदी लगाने के लिए मेहँदी लगाने वालों को बुलाया जाता है। मेहँदी दुल्हन के हाथ और पैर में लगाया जाता है। मेहँदी के बहुत से डिजेंस है, जैसे अरबिक मेहँदी, राजस्थानी मेहँदी, क्र्यस्तल मेहँदी, टट्टू मेहँदी वगेहरा ।
मेहँदी दुल्हन के लिए बहुत ज़रूरी है। कहा जाता है की मेहँदी का रंग जितना काला होता है, उतना दूल्हा दुल्हन से प्यार करता है। यह परंपरा है की, जब तक दुल्हन के हाथ में मेहँदी नहीं जाती, तब तक दुल्हन पति के घर में काम नहीं कर सकती। यह रसम औरतों के लिए है और इस रसम में गाना बजाना भी होता है।
मेहँदी की रसम हर जगह में अलग तरह से मनाया जाता है। मेहँदी रिश्ते में प्यार का प्रतीक है। दुल्हन के हाथ में उसके पति का नाम मेहँदी से लिखा जाता है और पति को अपना नाम दुल्हन के हाथों में दूंड़ना पड़ता है। इस रसम में सब रिश्तेदार और दोस्त मिलकर बहुत मज़ा करते है और सब गाते और नाचते भी है।

Indian Weddings

बहुत दिलचस्प है कि आजकल बहुत अमरीकी लोग अमेरिका से भारत तक जाते हैं हिन्दुस्तानी शादियों के लिए।  हिन्दुस्तानी शादियाँ सारे दुनिया में मशहूर हैं।  लेकिन मैं ने कभी नहीं हिन्दुस्तानी शादी देखा है।  मेरी बड़ी बहन ने देखा है, लेकिन मैं ने नहीं। इस लिए मुझे ज्यादा उन के बारे में मालूम नहीं है। मेरी अच्छी सहेली ('हाइ-स्कूल' से) का परिवार भारत से हैं और उस ने एक अमरीकी आदमी को शादी की।  उस की शादी दोनों अमरीकी और हिन्दुस्तानी शादी थी।  सब एक दिन में था लेकिन मुझे मालूम था की अगर शादी हिंदुस्तान में होती तो इस से बहुत लम्बी होती।  मेरी सहेली और दामाद एक हॉल में, मंच ['स्टेज'?] पर बैठ रहे थे और उन के सामने एक छोटी आग थी।  वे बहुत खुबसूरत हिन्दुस्तानी कपरे पहन रहे थे और मेरी सहेली की हाथों पर हिना था।  मेरी सहेली और दामाद के माता-पिता और कुछ दुसरे लोग उन के परिवारों से भी मंच पर बैठ रहे थे।  एक 'प्रीस्ट' भी वहां थे। वे कुछ चीज़ संस्कृत में कह रहे थे।  वहां छुप जल रहा था।  कभी कभी मेरी सहेली और दामाद (उस का नाम कालीन है) आग के चारों और [around?] चले।  इन्टरनेट पर मैं पढ़ी कि उस रसम का नाम 'सप्तपदी' है और उस रसम में आग देख रहा है कि दुल्हन और दामाद कौन से वादे कर रहे हैं।  शादी बहुत सुन्दर थी और उस के बाद एक अमरीकी शादी थी, और उस के बाद हम ने बहुत ज्यादा अच्चा हिन्दुस्तानी खाना खाये। बहुत अच्छा दिन था।

Sunday 18 March 2012

indian weddings-garrett

जैसे भारत की लोगों की शादी अमेरिका की शादी से अलग होता वैसे शादी बहुत बार है कुछ शादी में रिवाग अलग कुछ और शादी में रिवाग अलग है इस क्यों की लोगों की धर्म अलग होता भारत की शादी में एक सरेमोनी हो करता है इस सरेमोनी की नाम तिलक है इस सरेमोनी में उस ग्रूम की माथा पर "अनोइंत" करता है और उस ब्रिदे की हाथों और पैर पर हेन्ना करता है औरुतों भी तालिक पर संगीत गाता है उन ब्रिदे और ग्रूम की परिवार भी ब्रिदे और ग्रूम पर "अनोइंत" करता है वे "तुमेरिक पेस्ट" के साथ अनोइंत करता है इस सरेमोनी का नाम हल्दी है तो एक सरेमोनी हो करता है इस सरेमोनी का नाम भारत है भारत पर, उन ब्रिदे और ग्रूम की परिवार वेद्डिंग को चलता है सब कुछ लोगों गाता और नुत्य करता हैं तो सब धर्म की रितुअल्स हो करता है वह ग्रूम की कपरों त्रदितिओनल शेरवानी या दोती है लेकिन उस का चेहरा पर एक वेइल है उस ब्रिदे की कपरों सब समय लाल होता इस क्यों की कुछ लोगों को सफ़ेद कपरों विधवा औरुतों के लिए है कुछ भारत की शादी में उस ब्रिदे की कपरों का नाम लेहेंगा है कुछ भारत की शादी पञ्च दिन के लिए हो करता है लेकिन कुछ और शादी सिर्फ एक दिन के लिए हो सकता है कोय और सरेमोनी का नाम सात फेरस है वह सरेमोनी बहुत महत्वपूर्ण है यह मंगलसूत्र भी एक महत्वपूर्ण आभूषण उन ब्रिदेस के लिए है 

भारतीय शादी

पांच साल पहले मैं परिवार के साथ भारत गया. मैं सत्रह साल था. हम भारत गया था क्यों की हमारे रिश्तेदारों शादी करते थे. तो मैं मेरी पहले शादी गया. मैं बहुत थोडा सा छोटा था लेकिन मुझे याद है की इस शादी बहुत रंगीन था और सारा लोग बहुत रंगीन थे हाल दीवार पर दूल्हा और दुल्हन का नाम फूल के साथ लिखे थे. हाल बहुत बड़ा था क्यों की भारतीय का शादी बहुत बड़ा प्रसंग है. तो सारा रिश्तेदारे और दोस्ते शादी को जाएंगे. हाल में कम से कम दो सौ कुर्सियां था और एक स्टेच था स्टेच पर एक पंडित और एक छोटा आग था जब सारा लोग बैठ गए दूल्हा और माता-पिता जी के साथ स्टेच चले गए. अब दूल्हा दूल्हन इंतज़ार कर रहे था. अगला मामा जी दूल्हन ला गया. दूल्हा बहुत खुश देख गया. फिर वह दोनों ने फूल विनिमय कर लिया. स्टेच पर पंडित जी, दूल्हा, दुल्हन, और उसके माता-पिता बैठ गए. पंडित जी ने थोडा प्रार्थना कहा और तुरंत दूल्हा और दुल्हन खड़ा गया. अब वह दोनों सात बार आग के आस पास चला गये. हर बार दूल्हा और दुल्हन ने एक व्रत कहे. मुझे याद है की मैं बहुत भूक लगी थी. तो उसके समय के बाद लंच तैयार थे. मैं और मेरा परिवार फर्श पर बैठे गये. एक केले के पत्ते मेरे सामने था और मैं ने यह पत्ते साफ़ कर लिया. प्रत्येक नौकर नई-नई कहना दे दिया. सारा खाना बहुत ताज़ा था और मैं बहुत खुश हुआ. शादी के बाद मैं सोचता था की भारतीय शादी बहुत सुन्दर है. 

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Opi-Mahwish Shaadi Blog

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भारतीय शादी

भारतीय शादियों बहुत मज़े हैं. भारतीय शादी में सात फेरे बहुत महत्वपूर्ण हैं. सात फेरे में दोनों पति और पत्नी को आग के चारों साथ फेरे लेते हैं. ये सात फेरे शादी को अनन्त बनाते हैं. पहले फेरा में दोनों पति और पत्नी वादा करते हैं की वे एक स्वस्थ और समृद्ध जीवन प्राप्त होगा. दूसरा फेरा में वे भगवान से शारीरिकमानसिक, और आध्यात्मिक शांति मांगते हैं. तीसरा फेरा में वे धन के लिए पूछते हैं. चौथा फेरा में वे वादे करते हैं की वे एक दुसरे के लिए और अपने संबंधित परिवारों को प्यार और सम्मान देंगे. पांचवां फेरा पति और पत्नी के सुंदर बच्चे के लिए हैं. छठा फेरा में वे वादा करते हैं की वे एक शांतिपूर्ण जीवन जीने की इच्छा करेंगे और उनके वैवाहिक संबंध की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करेंगे. पिछले सातवें व्रत में वे वादा करते हैं की वे हमेशा एक दुसरे के साथ रहेंगे. इन सात फेरे के बिने एक भारतीय शादी नहीं हो सकता है. सात फेरे के बाद कन्यादान होता है. कन्यादान एक बहुत ही पवित्र अनुष्ठान है. इस अनुष्ठान में दुल्हन के पिता जी दूल्हे के दाहिने हाथ में अपनी बेटी के दाहिने हाथ डालता है और दुल्हन की माँ दुल्हन और दुल्हे के हाथों पर पानी बहती है. इस रस्म में दुल्हन के परिवार के लिए बहुत भावुक है. शादी में दुल्हे दुल्हन की गर्दन पर एक मंगलसूत्र डालता है. जब दुल्हे मंगुल्सुत्र डालता है वह अपनी पत्नी को वादा करता है की वह हमेशा दुल्हन को प्यार करेगा. पत्नी यह पहनता है जब तक उसका पति मर जाता है.

हल्दी की रसाम

एक भारतीय शादी के रसाम है हल्दी लगना लेकिन मैं बंगाली हल्दी की रसम के बारे में लिखूंगी क्यूंकि भारतीय और बंगाली के कुछ रस्मे मिलते हैं. बंगला में हल्दी की रसम को "गए होलुद" कहते है और वे शादी के एक-दो दिन पहले होते है. दो हल्दी की रसम होती है, एक दुल्हन के परिवार के तरफ से और एक दुल्हे के परिवार के तरफ से. इस दिन दूल्हा का परिवार दुल्हन की शादी की साड़ी, मेहँदी की साड़ी, शादी के गहने, और शादी की बाकी सजावट के चीज़े ले आते है. इस के साथ मेहँदी, हल्दी, उपहार, और बहुत तरह की "ताल" (जो फल और बहुत तरह की खाने के सामग्री से बने जाती है) सजावट करके ले आते है. फिर वोह लोग दुल्हन को हल्दी और मिठाई करवाकर चले जाते हैं. इस के बाद, दुल्हन की सहेलिया और परिवार वालो उससे हल्दी लगाती है. वे लोग हल्दी लगाते है क्योंकि पुराना मानन है की हल्दी त्वचा को नरम और उससे पीले रंग का एक रंग देता है. लोग एक-एक करके मिठाई या फल खिलाते है और फिर जब वोह कतम होती है मेहँदी का रसम शुरू होती है. मेहँदी की वक़्त पर, नाच/गान होती है और इस रसम रात में होती है.

शादी - रीना जोशी

भारत में बहुत सरे विवाह के कस्टम्स हैं. शादी के दो दिन पहले दुलहन और दुलहे के सरे परिवारे और रिश्तेदारे बहुत दूर से आते हैं और घर को ख़ुशी लाते हैं. फिर घर आकर मेहमाने बहुत खाने खाते हैं और दुलहन और दुलहे के माता जी और पिताजी के मदद करते हैं.  पहले रात, दुलहन के परिवार में सब औरते मेंहदी लगाते हैं. लेकिन सिर्फ औरत ये करते हैं. और सिर्फ लड़कियां मेंहदी के पार्टी में आते हैं. और लड़के दुसरे कमरे में होते हैं. दुलहन दोनों हाथों में और दोनों पैरों में मेंहदी लगाती है क्योंकि बहुत सुन्दर दिकता हैं. मेंहदी एक पौधा से है. दुसरे दिन संगीत होता है. संगीत एक नाच और गाने के प्रोग्राम हैं. सब लोग आते हैं, दोनों साइड पे. दुलहन के मेहमाने और दुलहे के मेहमाने. तीनो दिन के लिए दुलहन बहुत सरे रंग के कपडे पेंटी हैं. संगीत में बूढ़े लोग गाते हैं और जीवनी लोग नाचते हैं. बहुत खूब मज़ा आता हैं. संगीत देर थक नहीं होता हैं क्योंकि कल शादी हैं. शादी के दिन बहुत सारे काम करने पढ़ते हैं. लेकिन शादी में हर आख दुलहन और दुलहे पर हैं. शादी में एक कस्टम बहुत खास हैं, वह हैं सात फेरे. सात फेरे में, दुलहन और दुलहे आग्नि पर सात फेरे मरते हैं. ६ फेरे को दुलहे दुलहन से आगे हैं और सात फेरे पर दुलहे दुलहन के पीछे हैं. सात फेरे के बाद दुलहे दुलहन को मंगलसूत्र पेनता हैं. वैसे वेद्डिंग रिंग के बंद होते हैं जैसे मंगलसूत्र होता हैं. 



Mehndi Rasam

शादी से कुछ एक या दो दिन पहले, महेंदी की रसम होती है. इस में, लड़के वाले, दुल्हन को महेंदी श्रृंगार कुछ कपडे और जेवर देने जाते हैं. इस रसम को कई प्रदेशो में चुनरी रसम भी कहते है. लडकी की सहेलियाँ और घर की बाकी औरते एक साथ मिलकर हाथो पर महेंदी लगाती हैं. आजकल कई शादियों में महेंदी लगाने वाले विशेषज्ञ बुलाई जाते हैं. दुल्हन की महेंदी पर ख़ास ध्यान दिया जाता है. दोनों हाथो में, और आजकल पैरो, बाज़ू पर लगाईं जाती है. दोनों पैरो पर और नीचे टांगो तक लगाईं जाती है. फिर कई घंटो तक, महेंदी का रंग पका होने दिया जाता है. उस के ऊपर, निम्बू का रस और चीनी का घोल मिलाकर लगाया जाता है ताकी उस का रंग पका और गहरा हो. कई प्रकार के डिज़ाइन बनाई जाते है. दुल्हन के हाथो पर उस के पति का नाम छिपाया जाता है. महेंदी के सूखने की प्रतीक्षा करते करते, खूब गाना बजाना और नाचना भी होता है. घर की बाकी औरते भी महेंदी लगाती है. कई घंटो के बाद, महेंदी सूख जाती है फिर उसको पानी से उतारा जाता है. हरी महेंदी गहरा संतरी रंग हाथो पर छोड़ देती है. यह माना जाता है, की जिताना गहरा महेंदी का रंग हाथो पर लगे, उतना गहरा पति और पत्नी का प्यार होता है. शादी के बाद, दुल्हे को दुल्हन के हाथ पर महेंदी डिजाईन में छिपा अपना नाम खोजना पडता है. महेंदी की रसम के समय में कई परिवारों में उपहार भी लिए और दिए जाते हैं. लड़के वालो के घर में भी एक अलग से महेंदी की रसम होती है. 

hindu wedding

बंगला शादियों दुसरे हिन्दू शादियों की तरह हैं लेकिन कोई छोटे अनुष्टान अलग होते हैं. बंगला परंपरा में दुल्हन लाल साड़ी पहेनकर मंच पर बेटता है और उसके बहियाँ उसको दुल्हे के पास ले जाते हैं  दुल्हन एक पान का पत्ता से चेहरे छिपाते है ताकि दुला उसे नहीं देख सकते हैं. दूल्हा एक चंदवा के नीचे खड़ा है और दुल्हन के लिए इंतज़ार करता है. जब दुल्हन चंदवा के नीचे जाते है, तब वह पान का पत्ता उतार देते हैं और दुल्हे दुल्हन के आखें फेले बार मिलते हैं. यह शुबो दृष्टि कहते हैं. इसके बाद जयमाला होते हैं, और दोनों दुसरे पर एक सुन्दर फूं की माला पहनाते हैं और दुसरे को स्वीकार करते हैं. इसके बाद दोनों दुल्हे और दुल्हन मंडप पर बेटते हैं और सारे अनुष्टान करते हैं, जैसे साथ फेरे. साथ फेरे में पंडित जी संस्कृत में प्रतिज्ञा बोलते हैं और दुल्हे और दुल्हन भी दोहराते हैं. दोनों अग्नि को चारों और चलते हैं और अग्नि में कुछ चीज़े, जैसे घी और चावल, आग में डालते हैं. लड़के तीन चक्र के लिए पहले जाते हैं, फिर लड़की अंत में पहले जाते हैं. मेरा मनपसंद अनुष्टान साथ फेरे के बाद है, जब दुल्हे और दुल्हन कुछ खेल खेलते हैं, जैसे दूध में अंगूठी ढूँढ़ते हैं. लोग बोलते है की जो अंगूठी पहले मिलते हैं, वोह रिश्ते का नेता होगा. खेल खेलने में मूड हल्का हो जाता है और मज़ा भी आता है. हिन्दू शादियाँ बोहुत धूम धाम से मानते हैं और तीन दिन के लिए रिश्तेदारों के साथ तमाशा करते हैं. 

Saat Phere

हिन्दू शादी में सात फेरे एक बहुत मशहूर रस्म है. हिन्दू शादी सात फेरे के बिना हो नहीं सकती है.इतिहास कहती है की, सात फेरे की रस्म लोर्ड शिव और देवी पारवती की शादी  से सुरु हुए थी. सात  फेरे के पहेले दुल्हन बाएँ की   सीट में बैठती है. सात फेरे के बाद दुल्हन दिएँ की सीट में बैठती है. सात फेरे दूल्हे और दुल्हन  पवित्र आग प्लेस के सामने लेते है. सात फेरे के पीछे सात महत्वपूर्ण अर्थ है. पहेले फेरा का अर्थ है की दुल्हे वादा करता है की वह अपनी पत्नी और बच्चे का ख्याल रखेगा . दुल्हन वादा करती है की वह परिवार का खायल  रखेंगी. दुसरे फेरे में वे भगवान से अच्छी स्वास्थ्य के लिए पूछते हैं. तीसरे फेरे में वे धन के लिए पूछते हैं. चौथे फेरे में वे अपनी परिवार को प्यार और सम्मान करने का वादा लेते हैं. पांचवां फेरे में वे भगवान से सुन्दर बच्चे मागते  हैं . छठे फेरे में वे शांति औरे दीर्घायु शादी के लिए प्राथना करते हैं . सातवां फेरे में वे प्रतिबद्धता और समझ के लिए पूछते हैं. सात फेरे पुरे जीवन के लेखर है. एक वादा है की दुल्हे और दुल्हन अपने पूरा जीवन एक साथ साथ बितायेगे. सात फेरे एक वादा है की दुल्हे और दुल्हन शादी कभी नहीं तोड़ेंगे. इस लिए भारत में तलाक लेना बहुत मुस्किल है.

दुल्हे के जूते

भारतीये शादियों में बहुत परंपरा होती हैं। एक परंपरा दुल्हे के जूते हैं। हर शादी में दुल्हे जुटे उतारते हैं और लोग चोरी करने की कोशिश करते हैं।दूल्हे के परिवार जूते की सुरक्षा करता है। दुल्हन के परिवार जूते चोरी करने की कोशिश करता है। दुल्हन का परिवार कोशिश करते हैं क्योंकि पैसे मिलते हैं। अगर दुल्हन का परिवार जूते चुराएं, तो दुल्हन जितने भी पैसे मांगे उतने पैसे मिलेंगा। दूल्हा घोड़े पर आते हैं और जब वह अन्दर जाते हैं, तब लोग जूते लेना का कोशिश करते हैं। जूते महंगा होते हैं लेकिन बहुत महंगा नहीं। जूते कहीं भी छिपा हो सकता है। पिछले साल की गर्मियों में, मेरा बड़ा भाई की शादी हुई थी। जब मेरा भाई अन्दर आया, तब मैं जूते ले लिया। मैं जूते एक गाडी में छुपा दिया। कोई भी जूते नहीं मिल सका। लेकिन में चाबी एक दोस्त को दिया। उस दोस्त गाडी के पास गया और जूते चुरा लिया। वह एक दुसरे गाडी में छुपाया। मेरा दोस्त उस गाडी की चाबी मेरी माँ ने दिया और में जूते वापस ले लिया। में जूते मेरी बैग में चुराया। कोई नहीं जानता था कि मैं जूते कहा छुपाया। लोग जूते छिपाने के लिए बहुत कुछ करते है। यह एक बच्चा का खेल जैसे हैं क्योंकि लोग हस्ते हैं और बहुत दौड़ते हैं। कुछ लोग जूते पहनते भी हैं। यह शादी का परंपरा में लोग को ख़ुशी आते हैं।

Vivah Commentary

हल्दी

भारतीय शादियों में बहुत सरे परंपरा होतें हैं. एक परंपरा का नाम हल्दी है और यह एक दिन शादी से पहले होता है. इस दिन पर एक "पेस्ट" बनना जाता है खाली पानी और हल्दी को मिलाकर. फिर उसी दिन पर यह "पेस्ट" दुल्हन और दुल्हे के ऊपर लगता जाता है.  पुराने ज़माने में दुल्हन और दुल्हे के हल्दी अलग अलग घर में होतें थे लेकिन आज कल एक साथ भी होता है. हल्दी की समारोह में कोई भी नहीं हल्दी लगासकते हैं, सिर्फ परिवार के जोह शादी-शुदा औरते हैं, वे दुल्हन और दुल्हे के ऊपर लगते हैं. और कई लोग थोडा सा हल्दी छोड़कर, उनको देते है जिनके परिवार में अभी शादी नहीं हुई है ताकि उनको सौभाग्य मिलें.
 लेकिन हल्दी क्यों लगते हैं? इसीलिए लगते हैं क्योंकि हल्दी अधीरता दुल्हे से उतरता है और और जो शादी करने वाले हैं, उनको आशीवार्द मिलती है की वे अच्छे तरह से रहे. दुल्हन के चेर्हा के ऊपर भी लगता है ताकि त्क्चा चमकना लगता है. दुल्हन की हाथो पर हल्दी नहीं लगती है क्योंकि वहां मेहँदी लगती है. जब हल्दी सुख जाता है, फिर दुल्हान और दुल्हे अलग अलग नहासकते है और दोनों का तक्चा शादी के दिन के लिए अच्छे से चमकेगा. इस समारोह पर लोग बहुत मज़ा करते हैं क्योंकि पूरा परिवार साथ में हैं. 



सात फेरे

सात फेरों की रस्म हिंदू शादी की सबसे महत्वपूर्ण रस्म है. सात फेरों में दूल्हा और दुल्हन सात कसमें लेतें हें जब वह पवित्र अग्नि के द्वारा चक्कर मरते हैं. हर फेरा का कोई अर्थ होता है. हर फेरे के साथ वे अपने साथी के साथ एक वादा बनाते हैं. पहले फेरा में दूल्हे और दुल्हन प्रतिज्ञा करते हैं की वे एक स्वस्थ और समृद्ध जीवन प्राप्त करे. दूसरे फेरा में, वे भगवान से निरामय मानसिक, भौतिक और आत्मिक स्वास्थ्य की प्राथना करते हैं. तीसरे फेरा के दौरान दूल्हा और दुल्हन व्रत करते हैं की वे धन प्राप्त करेंगे और यह उचित साधनों के माध्यम से किया जायेगा. चौथे फेरा में वे व्रत लेते हैं की वे एक दूसरे से बहुत प्यार और सम्मान देंगे. यह प्यार और सम्मान अपने आप के लिए ही नहीं पर अपने परिवारों के लिए भी हैं. पांचवे फेरा में दूल्हा और दुल्हन सुंदर बच्चों की प्राथना करते हैं, जिनके लिए वे जिम्मेदार होंगे. छठे फेरा में वे एक शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए और उनके वैवाहिक संबंध की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करने का वादा करते हैं. और अंत में सातवें फेरे में दुल्हे और दुल्हन एकजुटता, साहचर्य, प्रतिबद्धता और खुद के बीच समझ का वादा करते हैं. हिंदू शादी में, यह प्रथागत है की दुल्हा और दुल्हन पवित्र अग्नि के चारों ओर सात फेरे लेते हैं और भगवान की उपस्थिति में वादे करते हैं. विवाह में सात दौर किये जाते हैं, क्यूंकि सात नंबर का महत्व है.

Hindu Wedding Ceremonies

हिन्दू विवाह के बारे में पढ़कर मेरे ख्याल से हिन्दू विवाह अमेरिकी से बिलकुल अलग हैं. ये सारे परंपरे मुझे दिलचस्प लगते हैं इसलिए मैं कुछ मशहूर परंपरे और हिन्दू विवाह के रिवाज नोट करूँगा.
एक बात कि मुझे रोचक लगती है फूल का बिस्तर है. इस रसम में, दुल्हन बहुत फूल के गहने पहनती है. दुल्हन और दूल्हे का बिस्तर बहुत फूल से दूल्हे के माता पिता से सजा है.
एक और समारोह दुल्हन को एक पर्स पैसे से भरा देना है. दुल्हन दूल्हे से पर्स लेती है. इस रिवाज का अर्थ है कि दूल्हा दुल्हन पर सब अपना भरोसा रखता है.
भारत में, बहुत से हिन्दू के बिक में, दुहां को बहुत मेहँदी लग जाती है. दुल्हन के हाथों पर सुन्दर डिजाइन मेहँदी से लग जाते हैं और अपने पैर पर अलता, कोई लाल रंग, लग जाता है.  दुल्हन कि आँखों पर काजल लग जाता है और अपने माथे पर छोटी लाल बिंदी लग जाती है. आम तौर पर दुल्हन बालियाँ पहनती है और अपने नाक पर एक नाथ रख जाती है. दुल्हन कभी हरे कपड़े पहनती है पर आम तौर पर वह लाल कपड़े पहनती. इसी तरीके में हिन्दू विवाह अमेरिकी की सामान्य सफ़ेद पोशाक से बहुत अलग लगती है. 

शादी की रस्में

भारतीय शादियों की बहुत रस्में होती हैं. एक बहुत जान- पहचानी रस्म है मेहँदी की रस्म. विवाह के पहले, मेहँदी लगाया जाता है दुल्हन के बाजूओं, पैर, और हाथों पर. एक पेशेवर मेहँदी लगनी वाली आती है और मेहँदी लगाती है. कहीं स्थानों में शुभ होता है अगर दुल्हन की भाभी पहला दिसाइन बनती है.  जब तक दुल्हन के हाथों पर मेहँदी रहती है, वह नए घर में कुछ घर का काम नहीं कर सकती है. कोई और स्थानों में शुभ होता है अगर दुल्हन की मम्मी मेहँदी लगाती है. मेहँदी की रसम से पहले, या साथ साथ में, संगीत की रस्म होती है. संगीत में सिरद औरते और लडकियां होती हैं. पहले, सिर्फ लड़की-वाले के तरफ से थी पर अब दोनों तरफ से हो सकती है. संगीत में (पुराने, कभी कभी गॉंव वाले) शादी वाले गाना गए जाते हैं. कोई ढोलक बजता है, और चमचा भी बजता है ढोलक पर. सहेलियां और बहेने (और दूसरी रिश्तेदार) अलग अलग गानों पे नाचती है. संगीत बहुत रौनक वाला और ख़ुशी भरा माहौल है. बड़े उम्र के औरते गाते हैं  और याद करते है अपनी जवानी के बारे में, और अपनी शादी के बारे में .  मगर संगीत में एक थोडा उदास्स्सी वाला माहौल बन सकता है जब मां-बेटी को नज़दीक आनेवाले जुदाई महसूस होती है. 

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बरात

शादी के पहले पुरंपरागत एक बरात है.  बरात जुलूस दूल्हे के लिए है.  वह एक घोड़ा से जाता है, घोड़ा बहुधा सफ़ेद है.  सीख शादियों में कभी कभी दूल्हा हाथी से जाता है.  वह एक तलवार साथ रखता है.  दूल्हे का परिवार उस के साथ चलता है और कभी कभी संगीत्कारें, नर्तकी, और उस के दोस्त भी उस के साथ चलते हैं.  वह बरात बहुत महँगा है और कुछ शादियाँ के लिए वह अपने "बुजेत" है.  बरात शादी के जगह को जाता है.  वह जगह अक्सर दुल्हन का घर है.  इस के सामने आतशबाज़ी है और वे लोग ढोल की संगीत को चलते हैं.  उन लोगों का नाम बरात के लिए बरातिस है.  जब बरात गंतव्य पहुंचता है तब संगीतकार शेहनाई बजाते हैं.  उस के बाद दोनों परिवार मिलते है.  दोनों पिटे मिलते हैं, दोनों मान मिलती हैं, दोनों भाई मिलते हैं और वगैरह.  हिन्दू की शादियाँ में दुल्हन के लोग दूल्हा को माले देते हैं और वे आरती करते हैं.  बरात पुनजब में और राजपूत शादी अलग हैं.  पुनजब में दोनों आदमी और औरत बरात पर जाते हैं और आदमी दूल्हा और दुल्हन के परिवारों में पगरी पहनते हैं आदर के लिए.  जब बरात पहुंचता है तब एक मिलनी है.  लेकिन राजपूत शादियाँ में सिर्फ आदमी बरात में हैं.  दूल्हा सोना का अचकन, नारंगी पगडी, और जोधपुर पहनता है.  आदमी बरात में नारंगे पगडी, एक अचकन, और जोधपुर पहनते भी हैं.  हर लोग तलवार साथ रखते भी हैं.  राजपूत बरात में नृत्य नहीं है और वह बरात के पास नहीं है. 

भारतीय शादी

भारतीय शादियों हमेशा बहुत चमकदार और रंगीन समारोह है. भारतीय शादियों कई दिनों के लिए होता है. वे छोटे समारोह कभी नहीं कर रहे हैंआमतौर पर एक सौ लोग आते हैं.कभी कभी एक हजार से अधिक मेहमानोंके लिए आमंत्रित कर रहे हैंकई बार दूल्हे और दुल्हन के मेहमान है कि आने नहीं पता है! इन बार में भी कई भारतीय शादियों की व्यवस्था कर रहे हैंलेकिन कभी कभी प्रेम विवाह होती हैपारंपरिक भारतीय शादी दो परिवारों को एक साथ लाया जा रहा हैसामाजिक के बारे में हैशादी दूल्हे और दुल्हन से परिवारों के बारे में अधिक है.
भारतीय शादियों स्थानीयधार्मिकऔर परिवार की परंपराओं का एक संयोजन कर रहे हैंवे भी जाति, धर्म, और भाषा के आधार पर कर रहे हैंपारंपरिक भारतीय शादी को तीन भागों में किया हैयह पूर्व शादी समारोह, शादी के दिन समारोह, और विदाई शामिल हैं. एक व्यवस्था की शादी में दूल्हे के परिवार के कई दुल्हन के परिवारों कीयात्रा से पहले वे दुल्हन का चयन करेंगेबारात के लिए तैयारी बहुत भव्य है.वे आम तौर पर बड़े होटल और हॉल मेंजगह ले लो. बलि आग के लिए जगह भी सेट करने से पहले शादी होता है
दुल्हन एक फैंसी दुल्हन साड़ी या लहंगे पहनता है.वह भी हीरे और सोने के गहने पहनता है.मेहंदी उसके हाथ और पैर करने के लिए लागू किया जाता है.दूल्हे आमतौर पर एक शेरवानी या औपचारिक सूट पहनता है. शादी पूरा करने के लिए, दूल्हे और दुल्हन विनिमय कसमें और हलकों मेंचाल बलि आग के चारों. अंत में, विदाई है जब दुल्हन दूल्हे के जीने के घर के लिए भेजा जाता है.