Wednesday 25 January 2012

औपचारीक पात्र





सेवा में
              No.15, झील 1 मेन रोड,   
नुन्गाम्बक्कम ,


चेन्नई - 600034.

१८ मार्च  २०११ 

 मान्यकर वर्मा  जी , 


मैं हिन्दी शिक्षक हूँ और मैं अखबार में आपके  विज्ञापन पढ़ी थी.  मैं अमेरिका से हूँ. मैं एक डिग्री से मिशिगन विश्वविद्यालय हूँ.  यह बच्चों की शिक्षा में है.


मैं एक स्कूल में तीन साल के लिए बच्चों के साथ काम किया हूँ. बच्चों, मेरे लिए बहुत प्यार थे. मैं उनके साथ बहुत सहनाशीलती थी. हम शब्द का खेल और जेपोर्द्य खेला थेइस ढंग से वे बहुत सीखे थे.


इस ढंग मेरे साथ लाना चाहता है.


मुझे आप अपने स्कूल में एक मांका दे. आप मुझ से बहुत खुश होंगे. मैं आपके. 

 मैं आपको अपने समय और विचार के लिए धन्यवाद.
अनेक धन्यवाद


आप  की सदभावी,


मौनिका रासमुसेन

Monday 23 January 2012

Qutb Minar

अगर मैं भारत जाऊं तो मैं कुतब मीनार देखने चाहती हूँ. कुतब मीनार दिल्ली में है. लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बने है. दूर से, कुतब मीनार एक दूरबीन की तरह लगता है. उसकी ऊंचाई बहत्तर मीटर है और वह भारत का सब से लम्बी मीनार. लेकिन कुतब मीनार सब से लम्बी बुर्ज नहीं हैं, क्योंकि पंजाब का फ़तेह बुर्ज १०० मीटर है. ११९२ में राजा कुतब उद दिन ने बनवाया. कुतब उद दिन तुर्की वाला मुस्लिम था. इसलिए कुतब मीनार पर कुरान से छंद हैं. 

नज़दीक में आँगन है और इसमें कुतब उद दिन ने मस्जिद बनवाया. इस मस्जिद के नीचे बहुत सारे हिन्दू और जैन मंदिर थे. उसके खँडहर मीनार के लिए इस्तेमाल किया गया. इसलिए मीनार पर संस्कृत शब्द हैं जैसे "श्री विश्वकर्मा प्रसाद रचित." आँगन में लौह स्तंभ भी है. कथा यह है कि वह आदमी, जो अपने हथियार से स्तंभ घेर सकता है, को इच्छा सच आ जाएगा. इस कथे के मारे, सब लोग ने स्तंभ गले लगाए थे. पसीना लोहे के लिए बुरा था तो सरकार ने बड़ बनवाया.

कुतब मीनार का कारण रह्स्तय है. उसका नाम "मीनार" है लेकिन अगर एक आदमी वहां से ऊपर कड़ा है, तो लोग उसको नहीं सुन सकेगा. हमको भी नहीं पता कि कौनसा कुतब उद दिन ने बनवाया: कुतब उद दिन ऐबक, जिसका बेटा ने कुतब मीनार ठीक किया, या कुतब उद दिन, जो एक संत था.

mashur murti

अगर मई कोय मशुर मोनुमेंट को  देखने जा सकता है फिर मैं एक कास्तले स्कॉट्लैंड में जा चलना है. इस क्योंकि मई स्कॉट्लैंड की हिस्टरी मुझ को बहुत दिलचस्प है. मुझे हेरितागे स्कोत्तिश है. तो मुझ को सीक्न्हा स्कॉट्लैंड की हिस्टरी बहुत पसंद है. और अगर मैं एक स्कॉट्लैंड की कास्तले को जाता है, फिर मैं स्कॉट्लैंड के बारे में सीख सकता है. मुझ को सिर्फ चोट्टी स्कॉट्लैंड के बारे में मालूम है. स्कॉट्लैंड इंग्लैंड के उत्तर होता. इस लिए स्कॉट्लैंड के लोगों उन की देश इंग्लैंड की सेना से रक्षा पड़ता था स्कॉट्लैंड में यह रजा सब से लोगों अधिक महत्वपूर्ण है इस लिए वह रजा का घर बहुत बार है. वह रजा एक कास्तले में रहते है इसलिए वह विदेशियों से रक्षा सकता था. यहाँ दुसरे विदेशियों होता था स्कॉट्लैंड की उत्तर ये विकिंग्स रहता था ये विकिंग्स स्कॉट्लैंड को जाता था इसलिए स्कॉट्लैंड की लोगों बहुत डरता था कब ये विकिंगस स्कॉट्लैंड को आता था फिर ये स्कोत्तिश के लोगों कास्तले में जाता है तो यह कास्तले बहुत बार हो चाहिए तो ये कास्त्लेस बहुत बार है लेकिन अगर आप कास्त्लेस देखना है, फिर आप देखना है की यह कास्त्लेस छोटी टुटा हो. इस क्यों की ये कास्त्लेस भी बहुत पुराणी है. और या मौससम बहुत समय के बाद एरोड़े करेगा ये कास्त्लेस स्तोने से बनता था इस लिए ये कास्त्लेस अस्सं से एरोड़े करेगा मैं स्कॉट्लैंड को जा चलता भी है क्योंकि स्कॉट्लैंड मैं बहुत संगीत की कंसर्ट्स हो गाय मुझ को कंसर्ट्स बहुत पसंद है. 

Hava Mahal - Anuj Khetarpal


जब मैं पिछली बार भारत गया, मैं जयपुर भी गया था, लेकिन इतना वक़्त नहीं था, इसलिए, मैं हवा महल नहीं जा सका । हवा महल जयपुर, राजस्थान में है, और बहुत मशौर है क्योंकि इसमें नौ सौ से ज्यादा खिड़कियाँ है । ये 1799 में बनाया गया था, और इसका शपे एक क्रोवं जैसा है । लोग कहते हैं की जिस आदमी ने बनाया था, वह कृष्ण जी के बहुत बड़े देवोटी थे, और इसलिए उसने क्रोवं जैसा बनाया है । मैंने जयपुर में बहुत कुछ देखा है, लेकिन यह एक ही चीज़ है जो मैं देखना चाहता था और नहीं जा पाया । जयपुर के बिलकुल बीच में है, और जब मैं गाड़ी से शहर के अन्दर जा रहा था, यह बहुत ही खूबसूरत महल दिख गया । जब मैं अगली बार भारत जाऊँगा, मैं यह ज़रूर देखने जाऊँगा ।

हागिया सोफिया, इस्तांबूल

पिछली सेमेस्टर मैं एक अर्कितेक्चुर की इतिहास की क्लास ली और मैं ने इमारते के बारे में बहुत कुछ सीखी | हम ने सिर्फ इमारते की तस्वीरे देखी, इस लिए मैं एक दिन पूरी दुनिया घूमना चाहती हूँ | जिस इमारते मैं क्लास में सीखी, यह इमारते मैं अपनी आखो से देखूंगी | मुझको मालूम है कि मेरी पूरी दुनिया घुमने की इच्छा शायद मुमकिन नहीं है, लेकिन अगर मैं एक शहर जा सकती हूँ, तो वह शहर इस्तांबुल होगा | इस्तांबुल में हागिया सोफिया है, और मैं एक दिन ज़रूर वहा जाउंगी | हागी सोफिया अब एक संग्रहालय है, लेकिन पहले एक बसिलिका था और उस के बाद एक मसजिद था | हागिया सोफिया खास है क्यूँ कि अन्दर जाकर हर आदमी कुछ अलग महसूस करता है | बहुत सारे खिर्द्कियाँ है इस ईमारत में | लोग कहते है कि धुप हागिया सोफिया के अन्दर आती है और लगता है जैसे कि पूरा ईमारत चमक रहा है | जब हागिया सोफिया बन रहा था, तो लोगो दुसरे इमारते की सामग्री का इस्तमाल कर रहे थे | जब लोगो दुसरे इमारते की सामग्री इस्तमाल करते है, हम कह सकते है की जो ईमारत बन रहा है, वह ज्यादा खास है | हागिया सोफिया में बहुत जगह है जिस पर बहुत सुन्दर सजावट है और सजावट देखकर कुछ-न-कुछ हागिया सोफिया के बारे में आप सीख सकते है | क्यूँ कि यह ईमारत का इतिहास में दो धर्म का लोगों ने हागिया सोफिया का इस्तमाल की, आप दोनों धर्म का सजावट देख सकते है | मैं एक आर्किटेक्ट बनना चाहती हूँ, इस लिए मैं इमारते देखने और इमारते के बारे में पर्द्ने का शौक है | 


भारतीय स्मारक


मुझे भारथिये गेट देखना चाहिए. इस स्मारक न्यू दिल्ली में है. यह उन्नीस इक्कीस में बनाया था. और इसे जवानियों के लिए बनाया था. यह चालीस दो मीटर लंबा है. यह सभी भारत से बहुत मशहूर युद्ध स्मारक है. जगह बलिदान का प्रतीक है. यह नब्बे हजार सैनिकों कि मर गया के लिए था. दुनिया के दो युद्ध और अफगानिस्तान युद्ध में. कभी न कभी परिवारों वहां पिकनिक के लिए जाते हैं. यह Arc de Triomphe के लिए इसी तरह की है. गेट के पास एक किंग जॉर्ज मूर्ति था. लेकिन आज़ादी के बाद इस मूर्ति राज्याभिषेक बाग़ में ले गया था. भारथिये गेट में अमर जवान ज्योति भी है. इस ज्योति सभी अज्ञात जवानियों के लिए है. हर गणतंत्र दिवस एक जुलूस राष्ट्रपति भवन से लाल किला तक जाते हैं. जब जा रही वे गेट के माध्यम से जाते हैं. इस लिए हर गणतंत्र दिवस पर प्रधान मंत्री श्रद्धांजलि देने के लिया जाते हैं. लेकिन, राष्ट्रपति और मुख्य अतिथि इस नहीं करते हैं. आज-कल अन्य प्रसिद्ध लोगों भी श्रद्धांजलि देने के लिया जाते हैं. रात में गेट जलाया और बहुत खूबसूरत हुआ. इसलिए कोई लोगों सिर्फ रत पर जाते हैं. वहाँ कई सड़कों के माध्यम से चला गया हो. लेकिन आज वे जनता के लिए बंद कर रहे हैं. एक राष्ट्रीय प्रतीक की वजह से अगर आप भारत जाएँ, तो आप को भारथिये गेट देखने चाहिए. अगर आप सकें रत पर देखें.

पर्सपोलिस

मैं पर्सपोलिस देखना चाहती हूँ।  पर्सपोलिस एक बहुत पुराना शहर ईरान में है।  पर्सपोलिस के दुसरे नाम "तैख्ते  जमशीद", "चहल मीनार" और "पारसा" हैं।  पर्सपोलिस "अकमेनिद" के साम्राज्य [Achaemenid empire] की राजधानी थी।  "सीरूस" (या "साइरस थे ग्रेट" अंग्रेजी में) "अकमेनिद" के साम्राज्य का पहले पादशाह था।  "दारियुश" (या "दैरियास थे ग्रेट" अंग्रेजी में) और ज़र्क्सीज़  ने यह शहर बनवाया कोई पच्चीस सो साल पहले।  वहां कुछ बहुत बड़ी इमारतें हैं, जो चूना पत्थर [limestone] से बना गई। वे इमारतें ज़यादातर सेने के घर, पादशाह के घर, स्वागत कक्ष [reception halls], और खजाने के लिए थीं।  वे इमारतें पर बहुत नक्काशियां [carvings] हैं जिस में बहुत लोग सारे दुनिये से पर्सपोलिस आते हैं श्रद्धांजलि [tribute] देने के लिए।  ये नक्काशियां में कुछ हिन्दुस्तानी लोग भी भी आते हैं, श्रद्धांजलि देने के लिए, हाथियों पर। "अकमेनिद" का साम्राज्य बहुत बड़ा साम्राज्य था -- यूरोप (ग्रीस) और उत्तरी अफ्रीका (लीबिया) से, हिंदुस्तान (सिंधु नदी) तक।  इतने बड़े साम्राज्य में ज्यादी नौकरशाही [bureaucracy] का काम की ज़रुरत थी।  पर्सपोलिस दुनिये में एक पहली नौहर्शाही जैसे आधुनिक की नौकरशाही था।  वहां पुरातत्त्वविद् [archaeologists] ने बहुत ज्यादी प्रशासनिक गोलियाँ [administrative tablets] खोज की।  वे गोलियां आजकल यूनिवर्सिटी आफ शिकागो में हैं।  "अकमेनिद" के साम्राज्य की मज़हब "माज्दियनिस्म" थी।  यह मज़हब और पारसी धर्म मिलती जुलती हैं।  उनके भगवान् का नाम "अहुरामाज्दा" था।  लेकिन सब बड़े साम्राज्य एक दिन ख़त्म हो जाते हैं।  इस्कंदर (या "अलेक्सैन्दर थे ग्रेट" अंग्रेजी में) और उसके सेने ने ३३० बी-सी- में पर्सपोलिस को आक्रमण [attack] किया और लूट किया। 

कुछ इत्तिला इस निबंध के लिए इस साईट से है: http://en.wikipedia.org/wiki/Persepolis 

Taj Mahal

मैं भारत में बहुत सरे जगह देखना चाहती हूँ लेकिन सबसे ख़ास मैं ताज महल देखना चाहती हूँ. शाह जहां ने ताज महल  बनवाया. उनकी पत्नी मर गयी और वोह कुछ बनाना चाहता था उनकी स्मृति में. ताज महल आगरा में है और रोज लाखो लोग देखने जाते है. ताज महल मुगल वास्तुकला है और उनकी  वास्तुकला एक मिश्रण है पारसी, तुर्की का, और हिन्दुस्तानी का.  ताज महल सफेद संगमरमर का बना है. ताज महल बहुत खूबसूरत है और बहार और उंदर में बहुत विस्तृत कलाकृति है. बहार में एक गुंबद अहि और बहुत सरे मीनारों है, और उंदर में शाह जहां और उनके पत्नी मुमताज़ का मकबरा है और बहुत कला है. बहार एक बगीचा भी है जहां एक पूल है , जो मोहम्मेडी का नाम में है. और वहां लोग ताज महल अच्छी तरह से दिख सकता है और फोटो भी ले सकता है. बगीचा में फव्वारे भी है. ताज महल बहुत खूब लगती है और मैं एक दिवस वहां जाना चाहती हूँ. 

Shanti Van, Delhi

दिल्ली में एक स्मारक है.मैं इस जगह को देखना चाहते हैं.स्मारक का नाम शांति वन है. शांति वैन रिंग रोड और यमुना नदी के बीच हैशांति वैन के चारों बहुत ही पेड़ और फूल भी हैं. 

यह वह जगह है कहाँ जवाहर लाल नेहरूके अंतिम संस्कार किया गया. यह 27 मई 1964 को  हुआ.

शांति वैन में आप बहुत तस्वीरें ले सकता है. कोई भी वहाँ जा सकते हैं. वहाँ कोई लागत के अंदर मिल है.
  जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे. वह अक्सर पंडित जी कहा जाता है. 
वह अगस्त की 15 तारीख को दिल्ली में झंडा उठा लिया.
 यह दिन था जब भारत स्वतंत्र हुआ.लेकिन भारत जनवरी 26 पर अपनी स्वतंत्रता मनाता है.



वह बच्चों के लिए बहुत ही स्कूलों को खोला गया. उन्होंने यह भी आदमी और औरत के लिए स्कूल खोला हैं. वयस्क स्कूलों के बहुत गांवों में थे.
इस के साथ वह ज्यादा मदद करने के लिए भारत दिया.

उनका जन्मदिन एक राष्ट्रीय उत्सव है. नेहरू  जी ने 14 नवंबर के पैदा हुआ था. यह दिन  "बाल दिवस" कहा जाता है. नेहरू जी के जन्मदिन पर बाल दिवस है, क्योंकि वह बच्चों के लिए अच्छी चीज़ें करना चाहता था.  इस दिन स्कूलों में बहुत समारोह कर रहे हैं


नेहरू जी ने भी बहुत ही कॉलेजों शुरू कर दिया. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,
 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों, भारतीय प्रबंधन संस्थान और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों.
इस कारण से शांति वन देखने लायक है.

दिल्ली में वहाँ शांति वैन की तरह कई अन्य स्थानों रहे हैं.
शक्ति स्थल इंदिरा गांधी, नेहरू जी की बेटी के लिए है.,
वीरभूमि  नेहरू पोता राजीव के अंतर्गत आता है. राजीव 1991 मेंमारा गया था.

Lal Kila

मैं लाल किला देखना चाहती हूँ. लाल किला डेल्ही में हैं. मुग़ल बध्शः ने १६४८ में ये किला बनाया था, और कुछ बध्षाओं ने यहाँ घर भी बसाया था. लाल किला लाल ईंटों से बनाया हुआ है, इस लिए वह लाल दीखता हैं. शाह जहाँ ने महेल उनके राजधानी (शाहजहानाबाद-- अभी पुराणी दिल्ली हैं) के लिए बनाया था,  और ये यमुना नदी पर हैं. 


आज हर साल बहुत लोग कीले देखने आते हैं-- ये पुराणी दिल्ली का सबसे बड़ा स्मारक हे. हर साल १५ अगस्त को भारत के राष्ट्रपती लाल किले से घोषणा करतें हैं.  किले के आस पास बहुत बजारे भी हैं जहाँ आभूषण और शिल्प मिलते है. मैंने सुना है की औरतों के लिए अच्छे कड़े भी मिलतें हैं इन बाजारों में. मेरी मसि ने बताया था की यहाँ के चप्पल बहुत सुन्दर होतें है, और पेहेन्ने पर लगता है कि पेहेन्नेवाला मुग़ल के समय से हैं-- में कुछ ऐसे चप्पल खरीदना चाहती हूँ, लाल किला जाने से पहले-- थकी में मुह्घलो जैसे किले कि चन्न मरू. 



Sunday 22 January 2012

ताज महेल - अवि अमिन

ताज महल एक मशहूर और सुन्दर इमारत है। मैं ताज महल देखने के लिए एक दिन आगरा जाऊंगा। ताज महल के इतिहास बहुत दिलचस्प है। बहुत सालों पहेले, एक राजा था और उन का नाम शाह जहाँ थे। उन के पास बहुत पत्नियों थे लेकिन एक ख़ास पत्नी थी। उस त्नी का नाम मुमताज़ महल थी। शाह जहाँ मुमताज़ को बहुत प्यार करते थे। इस लिए वे एक मकबरा बनाया। कोई बीस हजार लोगों ने इस पर काम किया। लोगों ओउर एशिया से आए ताज। इस इमारत बनाने के लिए लगभग बीस साल लग गए। जानवरों ने काम भी किया। कोई एक हज़ार हाथी थी। ये हाथी पूरा भारत से आई थी। ताज महल बननेके बाद, शाह जहाँ हर काम वाले के ऊंगलियों कटौती किया। उस ने यह किया क्योंकि उन को चाहते थे की ताज महल जैसे ईमारत कोई नहीं बना सके। शाह जहाँ एक दिन मर गए। उन का मकबरा ताज महल के पास था। यमुना नदी ताज महल के पास है और बहुत सुन्दर थे। लेकिन आज कल बहुत प्रदूषण होती है। ताज महल के अन्दर एक कांच का डिजाईन था और नीचे वाले कमरे में मुमताज़ का मकबरा था। ताज महल के बहार एक लम्बा बगीचा है। बगीचा और ताज महल के बीच में एक पानी के झरने है। ताज महल बहुत सुन्दर इमारत है लेकिन आज कल उस का रंग लुप्त होती है। फिर भी दुनिया भर से लोगों आते हैं। एक दिन में आगरा जाऊंगा और ताज महल देखूँगा। हर कोई ताज महल देखना चाहिए।

पोताला महल

 अगर मैं किसी स्मारक या विख्यात जगह को देखने जाऊं तो शायद मैं पोताला महल जाऊं. पोताला महल चीन के दक्षिण तिबेटी प्रांत में ल्हासा में स्थित है. पोताला महल का निर्माण पांचवां दलाई लामा से १६४५ में शुरू हुआ क्योंकि अपने सलाहकार सोचते थे कि ल्हासा अच्छी जगह सरकारी केंद्र के लिए थी. महल ४५ साल के बाद ख़त्म हुआ. पोताला महल मर्पो री, या "लाल पहाड़ी," के शिकार पर बना हुआ तंग राजवंश के दौरान. दुनिया का सबसे ऊँचा प्राचीन महल है. महल के दो हिस्से हैं: लाल महल केंद्र है और सफ़ेद महल दो पंख हैं. सब दलाई लामा वहां महल में रहते थे जब तक चौदहवां दलाई लामा को तिबेट (चीन) से भाग जाना  पडा १९५९ के बगावत के बाद. यह बडा महल ल्हासा का पवित्र प्रतिक है और भी एक तिबेटी इतिहास, धर्म, और संस्कृति का खजाना है. पोताला महल के तेरह मंजिल में दस हज़ार मंदिर और कोई सौ दो हज़ार प्रतिमे मिलते हैं. आज पोताला महल संग्रहालय है. दिसम्बर २००४ से ल्हासा का पोताला महल UNESCO की सांस्कृतिक विरासत फेहरिस्त में है. 

taj mahal

मुझे ताज महल देखना चाहती हूँ. मुग़ल शाह जहाँ ने अपनी पत्नी, मुमताज़ महल, के लिए बनाया था, जब वोह मर गयी. अब शाह जहां भी वहां दफ़न है. वह आगरा में है. ताज महल दुनिया की सबसे बड़ी प्यार की निशानी है. उस की दीवारों पर कुरान के वाक्यों लिखे हुए है और बोहुत सारे सुन्दर कार्विंग्स भी है. मुझे लगता है की ताज महल बनाने में बोहुत काम लगे थे. वह संगमरमर से बनाया है. वह एक बगीचे के बीच में है. ताज महल बनाने में बाईस साल लगे थे. हर साल हज़ारों लोग ताज महल देखने के लिए भारत जाते है. मुझे ताज महल की बोहुत सारे फोटोस देखा है, लेकिन में ने अभी तक नहीं देखा है क्योंकि मेरे परिवार हमेशा मुंबई या काल्चुत्ता ही जाता है, और आगरा बीच में नहीं आता है. और, मेरे माता पिता ने पहले से ताज महल देखा हुआ है, तो उन्हें फिरसे जाने की ज़रुरत नहीं लगती. मेरी माँ कहती है की मेरे पैर जल जायेंगे क्योंकि वहां पे जूते निकलने पड़ते हैं, लेकिन मुझे लगता है की मेरे पैर बिलकुल ठीक होंगे. ताज महल भारत का सबसे बड़ा पर्यटकों के आकर्षण है क्योंकि वह इतना सुन्दर है. जब में भारत जाती हूँ, में अपनी माता पिता से पूछती की "क्या हमको ताज महल देखने जा सकते है?" लेकिन हर बार वे "नहीं" कहते है. मुझे यकीन है की में कभी आगरा जाउंगी क्योंकि मुझे ताज महल देखना ज़रूरी है.

इंडिया गेट

मैं इंडिया गेट देखना चाहता हूँ इंडिया गेट बहुत लम्बा और बड़ा गेट है और इस गेट सड़क पर है इंडिया गेट बहुत सुन्दर है १९२१ इरविन बादशा इस गेट बनवाया. इस गेट बनाया क्यों की बहुत हिन्दुस्तानी सौनिक संग्राम में मरते थे. ९०००० सौनिक संग्राम में मरते थे. १४००० नाम इंडिया गेट पर लिखा गया. इस खबर बहुत उदास है तो इंडिया गेट हिमत सौनिक के लिए बनाया गया था. इस गेट थोडा आग के लिए गेट में बहुत मशहूर है. क्यों की १९२१ के बाद तब १९२९ में २६ जनवरी में भारत से स्वतंत्र है लेकिन १९७१ में हिन्दुस्तानी और पाकिस्तानी लोग लड़ते थे और इस बहुत बड़ा लड़ाई था इस लड़ाई का नाम हिन्दू-पाकिस्तानी वर है. और सौनिक को याद करने के लिए एक थोडा आग इंडिया गेट में है. दिन से रात को, रोज दिन, इस छोटा आग इंडिया गेट में है. 
गेट राजपथ में है इंडिया गेट बहुत लम्बा है वह ४२ मीटर है और वह लाल भरतपुर पत्थर पर बनाया. और गर्मी छुट्टिया में बहुत लोग इंडिया गेट जाते है और इस लोग बहुत खुश हुआ था क्यों की बहुत अलग दूकानदार इंडिया गेट के पास है इस दुकानदार मीठा और खाना और खिलौने बेचते है और एक बड़ा जगह इंडिया गेट के आसपास है थो बहुत लोग वहा बैठते है और वहा कई लोग पिकनिक करते है और लोग खेलते है तो  जब मैं भारत जाते मैं इंडिया गेट देखूगा!

Lincoln Memorial - Ritish



मैं लिंकन स्मारक देखने चाहता हूँ. लिंकन स्मारक वाशिन्ग्तों डी.सी. में है. लिंकन स्मारक अब्राहम लिंकन के लिए बनाया गया था. अब्राहम लिंकन एक महान आदमी था. वह उनितेद स्टातेस का सोलहवीं अध्यक्ष था. अब्राहम लिंकन मेरा मनपसंद अध्यक्ष. वह गुलामी का अंत में मदद किया. कई लोगों को अब्राहम लिंकन की प्रशंसा की. लिंकन स्मारक. लिंकन स्मारक नब्बे नौ फुट लंबा है. वहाँ स्मारक के बाहर छतीस खंभे हैं. वेह छतीस खंभे छतीस राज्यों के लिए था. हर खंभ चवालीस फुट लंबा है. स्मारक के अन्दर में कुछ चीज़े हैं. दो दीवारों पर अब्राहम लिंकन का दूसरा इनौगुरल एड्रेस  और गेत्त्यस्बुर्ग एड्रेस हैं. लिंकन स्मारक के अन्दर में एक बड़ा मूर्ति है. इस मूर्ति अब्राहम लिंकन का है. यह मूर्ति उन्नीस फुट है. अब्राहम लिंकन इस मूर्ति में बेट रहा है. अगर इस मूर्ति में अब्राहम लिंकन खड़ा रहा तब वह अट्ठाइस फुट लंबा होता. मूर्ति बनाने में चार सालो लगी. अगर में अब्राहम लिंकन की मूर्ति के सामने खड़ा हो तब मैं एक छोटा बच्चे के जैसे लगूंगा. अट्ठाईस अगस्त १९६३ में मार्टिन लुथेर किंग जुनिओर ने अपना मशहूर "मेरा पास एक सपना है" भाषण दिया था. उस ने अपना भाषण लिंकन स्मारक में दिया था. १९१४ में लिंकन स्मारक का शुरू हुआ और १९२२ में लिंकन स्मारक का ख़तम हुआ. जब लिंकन स्मारक खुला था तब अब्राहम लिंकन का बेटा रोबेर्ट तोड़ लिंकन आया था स्मारक धेकने के लिए. अमरीका के लोगों के लिए इस मूर्ति बहुत महत्वपूर्ण हैं क्यों की अब्राहम लिंकन आज का दुनिया बनाने में मदद किया. 

Italy


अगर मैं कोई स्मारक देख सकता हूँ, मैं इटली में "लीनिंग तोवेर ऑफ़ पिसा" देखने चाहता हूँ. मैं चाहता हूँ कि "लीनिंग तोवेर ऑफ़ पिसा" सब से सुंदर स्मारक हो. मैं अपनी प्रेमिका के साथ जा सकता हूँ. लेकिन यह स्मारक दूसरे स्माराकें से अलग है. "लीनिंग तोवेर ऑफ़ पिसा" एक "बेल तोवेर" है. यह स्मारक सीधा नहीं खड़ा रहा है. यह है क्योकि जब लोग "लीनिंग तोवेर ऑफ़ पिसा" बना रहे थे, उन्होंने जमीन के बारे में नहीं सोचा. जमीन बहुत मुलायम था और इसलिए, "लीनिंग तोवेर ऑफ़ पिसा" जुक रहा है. "लीनिंग तोवेर ऑफ़ पिसा" एक सौ सत्तर सात साल से पहले बना. जब मैं "लीनिंग तोवेर ऑफ़ पिसा" के पास नहीं है, मैं इटली का खाना ज़रूर खाऊंगा. इटली का खाना बहुत स्वाद है. इटली का पिज्जा दुनिया में सब से अच्छा पिज्जा है. लेकिन मैं "यूरोप" नहीं गया. मेरे पिता और मेरी माँ गर्मियों में "यूरोप" गए और उन्होंने कहा कि "यूरोप" बहुत खूबसूरत था. और अगर मैं यूरोपे में हूँ, मैं कोई और चीज़े देख सकता हूँ. मैं यूरोप की मंदिर देख सकता हूँ. मैं रोम जाकर "कोलोस्सयूम" या बगीचे देख सकता हूँ. लेकिन मैं नहीं जानता हूँ कि मैं अकेला जाऊँगा या मेरा परिवार के साथ. मेरी माँ मुझसे बहुत प्यार करती है और मैं सोचता हूँ कि मैं अकेला नहीं जा सकता. अगर मैं दूसरे "स्टेट" जाऊँगा, थो फिर इस बात टीक है. लेकिन इटली या कोई और देश मैं अकेला नहीं जा सकता. शायद मैं अपना परिवार के साथ जाऊँगा. मेरी बहन बहुत कुशी होगी क्योकि उसको "मैकप" खरीदने का शौंक है और मैकप यूरोप में बहुत ख़ास चीज़ है. मुझको भी खरीदने का शौंक है... लेकिन मैकप के लिए नहीं! 



स्मारक : एफिल टॉवर

अगर मैं दुनिया में किसी भी स्मारक को देख सकती हूँ, मैं एफिल टॉवर को देकना चाहूंगी. मैं
बचपन से उस स्मारक की सपने देख रही हूँ. एफिल टॉवर बहुत खूबसूरत और पेरिस में है. एफिल टॉवर 1889 में बनाया गया था और दुनिया में सबसे पहचानने योग्य स्मारक है. यह स्मारक गुस्ताव एफिल ने बनाया और यह फ्रेंच रेवोलुतिओं की निशान है. तीन सौ कार्यकर्ताओं ने 18,038 टुकड़े जोरे. पहले दुनिया की सब से ऊचे स्मारक एफिल टॉवर थे लेकिन जब न्यू योर्क की च्य्स्लेर इमारत, उस से ऊची थी. निर्माण होने के बाद २००,०००,००० लोगों इस स्मारक को देकने गए और २००६ में 6,719,२०० लोगों गए थे. आज एइफ्फेल तोवेर सब से भुगतान स्मारक है. दुनिया भर से लोग उस स्मारक को देकने जाते है. फ्रांस उस के लिए मशहूर है और हजारो लोगो वहा जाते है उस स्मारक को देकने. एइफ्फेल तोवेर की अंडर बहुत कुछ होते है जैसे इसे-स्कतिंग और रेस्टोरेंट भी है. लोग  कहती है की एइफ्फेल तोवेर इतने सुन्दर है की उससे बार बार देकने चहेते है. मैं भी एइफ्फेल तोवेर देकने जाना चाहती हूँ. मेरी कुछ सहेली वहा गयी थी और मेरे लिए उपहार भी लायी. मैं एइफ्फेल तोवेर के साथ तस्वीर किचन चाहती हूँ और फ्रेंच भी सिकना चाहती हूँ थकी में वहा जाकर लोगो से बात कर सकू. मेरी आशा है की मैं ३ या ४ साल के बाद वहा आपने परिवार की साथ जा सकुंगी.



निशानी

दुनिया के सात आश्चर्यों हैं.  भारत की ताज महाल एक में से हैं.  ताज महल आगरा में हैं.  आगरा करीब दो घुनते का रास्ता है दिल्ली से. ताज महल एक बहुत ही बड़ी और सुंदर इमारत है.  
शाह जहां, एक मोगुल एम्पेरोर, ने ताज महल बनाया, अपनी तीसरी पत्नी की की स्मृति में.  लोग बोलते हैं की ताज महल एक प्यार की प्रतीक है. ताज महल के भीतर मुमताज की समाधि है.  ताज महल सफ़ेद पत्थोरों से बनाया गया था. करीब बीस साल लगा ताज महल बनाने में.  १६३२ में ताज महल बनाने लगे, और १६५३ में ताज महल बन गया था. 

शाह जहाँ का एक बेटा था, जिसका नाम औरंगजेब था. उस ने अपने पिता जी को आगरा फोर्ट में बंद कर दिया ताकि वह भारत का राज बन सका. जब शाह जहाँ मादा , तो औरंगजेब ने शाह जहाँ की समाधि ताज महल के अंडर बनाया, मुमताज के बाजु.
 १८५७ में, भारत फेरुन्गी के रूल में था.  लोग फेरुन्गी के खिलाफ लड़ रहे थे.  इस समय में, ब्रिटिश राज ताज महल के जेवेरे नेकाल दिया.  
ताज महल अभी भी बहुत सुन्दर है.  लोग दुनिया के सब कोने से आते है ताज महल को देखने के लिया. ताज महल लोगों को प्यार के बारे में याद देता. ताज महल कि कहानी एक शाश्वत प्रेम कहानी भी है.

एफिल टॉवर

मैं फ्रांस जाकर एफिल टॉवर देखना चाहती हूँ. यह मान्युमिंट पैरिस में है. हर कोई जिसने  पैरिस के बारे में सुना है को एफिल टॉवर का मालूम है.अगर मैं कभी फ्रांस गयी थो मैं ज़रूर परिस जाउंगी और ज़रूर एफिल टॉवर कम से कम देखूंगी, अगर में उसके ऊपर चढ़ नहीं सकती.  यह मान्युमिंट १८८९ में बना था, और २ साल और २ महीने लगे थे बनाने में. ४१ साल थक दुनिया की सबसे लम्बी ईमारत थी १९३० थक जब करईस्लर ईमारत न्यू योर्क में बनी गयी. पर १९५१ में अन्तेंना लगाकर यह करईस्लर ईमारत से लम्बी है. यह ३२४ मीटर लम्बी है, और १६६० से भी ज्यादा सीडियां है. अगर यह अभी भी बड़ी नहीं लगती, यह टॉवर १०,१०० टन भरी है! एफिल टॉवर बनी थी बहुत कारणों के लिए. एक कारण था फ्रेंच रेवोलुशन की सौ एनिवर्सरी  के लिए "वर्ल्ड एक्स्हिबिशन" के लिए बनी थी. लेकिन जब बनी जा रही थी, बहुत लोगों को नहीं पसंद आई, क्यूंकि यह एक ज्यादा सुन्दर मान्युमिंट नहीं थी. उन्होंने सोचा की रेवोलुशन के याद में पैरिस को और सुन्दर बनाना चाहिए. इसके बीस साल  बनने के बाद, लोगों ने तोर्द्ने की योजना की. पर क्योंकि यह रेडियो के लिए महत्वपूर्ण थअ. साईंस के लिए एफिल टॉवर की ज़रुरत भी थी. खैर,  एफिल टॉवर बहुत कारणों के लिए मशहूर है, सिर्फ साईंस और इतिहास के लिए नहीं. हर कोई आदमी जो फ्रांस जाता है कम से कम फिल टॉवर देखता है- यह बहुत परदेसियों और टूरिस्ट्स की नज़रों को खिंच्थी है. 

एफिल टॉवर - Nikita Gopalan


एफिल टॉवर दुनिया में से एक सातवें अझूबा है। वह दुनिया में सबसे दौरा किया स्मारक है। यह पेरिस,जो फ्रांस की राजधानी शहर में सबसे बड़ा इमारत है। एफिल टॉवर १०६३ फुट लंबा है। यह टॉवर लोहे से बना है और सीन नदी के तट पर स्थित है। गुस्ताव एफिल ने १८८७ और १८८९ के बीच में बनाया था। एफिल टॉवर में १६६५ सीढ़ियों हैं वहाँ भी एक लिफ्ट है जो उप्पर तक जाता है और एफिल टॉवर में एक सौ आठ मंजिले है और यह टॉवर गुस्ताव एफिल के बाद नामित किया गया था। यह दुनिया के मेले के लिए बनाया गया था। जब मैं छोटी थी, मै पेरिस और एफिल टॉवर जाना चाहती थी। जब मैं १६ साल कि थी, मैं यूरोप के आसपास यात्रा के लिए गयी। मुझे पेरिस से प्यार हो गया,क्योंकि वह शहर बहुत सुंदर है और एफिल टॉवर उसे और भी बेहतर बनाता है। एफिल टॉवर को बनाने के लिए तीन सौ काम करने लोग लगे। इन लोगों ने १८०३८ लोहे की टुकड़े को एक साथ रखकर बनाइ। स्तव में एक आदमी एफिल टॉवर के निर्माण से मृत्यु हो गईएफिल टॉवर में दो रेस्तरां है, एक पहली मंजिल पर और दूसरी वाली दूसरी मंजिल पर। बीसवीं सदी की शुरुआत से, टॉवर रेडियो प्रसारण के लिए इस्तेमाल किया गया है। एफिल टॉवर का दौरा किए बिना कोई पेरिस की यात्रा कर नही सकते हैं। ऊपर से दृश्य बहुत सुंदर है। आप शहर के सभी कोनों को देख सकते हैं

च्रिस्ट थे रेदीमेर



दुनिया में कई स्मारकों हैं कि मुझे देखना चहाती हैमेरा मनपसंद स्मारक का नाम च्रिस्ट थे रेदीमेर है. यह जेसुस च्रिस्ट की एक प्रतिमा है. इस प्रतिमा रियो डी जनेरियो, ब्राज़ील में स्थित है. रियो डी जनेरियो एक बहुत बड़ा और सुंदर शहरहै. यह देश ब्राजील में दूसरा सबसे बड़ा शहर है. रियो डी जनेरियो अटलांटिक समुद्र  के पास है. च्रिस्ट थे रेदीमेर  दुनिया में पांचवां जेसुस च्रिस्ट की सबसे बड़ी प्रतिमा हैयह 1922 और 1931 के बीच बनाया गया थादुनिया भर में, यह शांति के प्रतीक जाना जाता हैयह नौ साल लग गए प्रतिमा का निर्माणयह ठोस और सोअप्स्तोने के साथ बनाया गया थायह लगभग तीन लाख डॉलर की लागत का निर्माण करने के लिएस्मारक 12 अक्टूबर, 1931 को खोला गया था2006 में, एक चर्च प्रतिमा के सामने में बनाया गया था.इस वजह से, वहाँ प्रतिमा के पास शादियों और बपतिस्म जा सकता हैयह फरवरी 2008 पर बिजली द्वारा मारा गया था.उँगलियाँ, सिर, और भौंहोंको नुकसान था.  यह हाल ही में दुनिया के नए सात आश्चर्यों में से एक नामित किया गया था. च्रिस्ट थे रेदीमेर कई फिल्मों और पुस्तकों में दिखाया हैप्रतिमा 2012 फिल्म में है जहां यह टूट जाता है और नीचे पहाड़ गिर जाता हैबहुत से लोग इस दृश्य पसंद नहीं है. यह भी फिल्मों रियो और फास्ट फैव में दिखाया है