Showing posts with label Anisha Chadha बरात. Show all posts
Showing posts with label Anisha Chadha बरात. Show all posts
Friday, 18 March 2011
बरात- Anisha
हिन्दू शादियाँ बहुत मजेदार होती हैं. ये शादियाँ में बहुत पारिवारिक रिवाज होते हैं. शादी के पहले और शादी के बाद अलग अलग रसमें होती हैं. और सब रसम का एक अर्थ होता है. एक बहुत प्रभाव का रसम बरात है. बरात शादी से दिन पर होती है, लेकिन शादी के पहले. बरात में दुलहा अपनी दुलहन से मिलने रहा है. दुलहा का सारा परिवार उस के साथ जाता है, और उस के दोस्तो भी जाते हैं. सब रिश्तेदार सड़क पर नाचते जाते हैं. दुलहा एक घोडी पर बैठकर जाता है. इस लिए वह नहीं नाच रहा होता है. जब लोग बरात को जाते देखते हैं, उन को मालूम होता है कि किसी की शादी होने वाली है. जहां शादी होने वाली है, वहां दुलहन और उस की सब रिश्तेदार और दोस्त इंतजार कर रहे होते हैं. घोडी पर दुलहा के साथ, उस के परिवार से, एक छोटा लड़का कई बार बैठता है. जब लड़का का बरात लडकी के घर पहुंचती है, मिलनी होती है. मिलनी में लडके वाले लडकी वाले से मिलते हैं. लडकी के पिताजी लडके के पिताजी से मिलते हैं, और इसी तरह से सब रिश्तेदार बराबर रिश्तेदार से गले लगाते हैं. उदहरण के लिए लडके के नानाजी लडकी के नानाजी से गले लगायेगे, भाई भाई से, वगेरा. मिलनी कि रसम आदमियों करते हैं. बरात में बहुत संगीत होती है. एक ढोल बजाने वाला होता है, और शायद एक बांड भी. शादी के पहले बरात बहुत पुरानी और जरूरी रसम होती है. यह रसम दुलहा के परिवार का है, लडकी का परिवार का नहीं.
Subscribe to:
Posts (Atom)