Sunday, 20 November 2011

क्या आपसे कभी कोई भूल हुई है - रीना जोशी

जब मैं छोटी थी मैं हर साल मेरे माँ और पिताजी के सालगिरह भूल जाती थी. वह हर साल नाराज नहीं होते थे लेकिन मैं बहुत उदास होती थी क्योंकि वे अच्छे लोगों हैं और वे मेरे जन्मदिन को कभी नहीं भूलते हैं. एक बार मैं भूल गयी की मेरे माँ और पिताजी के सालगिरह था और हर दिन कोई मुझको कुछ नहीं कहा. उस रात हम सब पार्टी में गए. जब हम पार्टी में प्रवेश की कमरा में अनदेरा था तो मैं बती को ओं किया और मेरे मौ और पिताजी के दोस्त कूद गए और चिल्लाया सरप्राइज! मैं तो हेरान हुई. मुझको नहीं पता की क्या हो रहा था. फिर एक चची ने कहा शादी की सालगिरह 
मुबारक हो. Mera मुंह खुला और मेरे आखों बड़े हो गए. पार्टी के बाद में ने मेरे माँ और पिताजी से माफ़ी माँगइ क्योंकि मैं 
बहुत एमबरेसेद हो गयी. उसके बाद मैं मेरी माँ और पिताजी के सालगिरह कबी नहीं भूली. हर साल मैं और मेरे भाई एक तोफा 
लाते है और नाश्ता पकाते है. वे बहुत कुश होते है. मेरे माँ और पिताजी और भाई मेरे सब कुछ है. वे मेरे दुनिया है. जब मेरे पिताजी 
का जन्मदिन आते है तो मेरी साडी परिवार बाहर जाते है और हम केक खाते है. फिर मेरे पिताजी बहुत कुश होते है क्योंकि हम सब 
साथ है. जब मेरी माँ का जन्मदिन आते है तो हम सब खाने पकाते है और बोर्ड गमेस खेलते है. हमको बहुत मजा आते है. और 
मेरे भाई का जन्मदिन बहुत धूमधाम से मचाते है. हर साल मैं मेरे बही को याद करती हूँ तब एक जन्मदिन या सालगिरह आ रहे है.


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