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Sunday, 10 April 2011
Anisha Chadha किसान
भारत में, खासकर अतीत दस साल में, बहुत ज्यादा किसान ने आत्महत्या की है. यह बहुत जटिल और उदास समस्या है. इस समस्या ने पी. सैनत ने आगे की थी. वे एक पत्रकार हैं. खा जाता है कि शायद २००,००० किसान मरे हैं, आत्महत्या से, पिछले दस पन्द्रह साल में. और लगता है कि हर साल और किसान आत्महत्या कर रहे हैं. किसान शहर में नहीं रहते हैं. उन के पास ज्यादा पैसे नहीं है और खेती से उन को ज्यादा पैसे नही मिलता है. इस लिए उन को अपने परिवार को समर्थन करना मुश्किल होता है. सरकार ने किसान और उन के परिवार को पैसे देने कोशिश की है, लेकिन आत्महत्या की नम्बर नीचे नही गयी है. लोग ने पहले सोचा था कि यह समस्या सिर्फ रूई की किसान में थी. लेकिन अनुसंधान से निकला के यह सरे तरह के भारतीय किसान के साथ हो रहा है, और बहुत राज्य में. एक जगह में सिर्फ नहीं है. किसान की क्रण इतनी बड़ गयी है कि उन को आत्महत्या कि बजाय कोई रास्ता नहीं है. वे अपने परिवार और बच्चे को छोड़ देते हैं क्योकि क्रण इतनी बुरी है. जब किसान अपनी पत्नी को छोड़ देता है, उस विधवा को दुसरी शादी करनी असंभव होती है. इस लिए क्योकि कोई आदमी उन के पती का क्रण नहीं उठाना चाहता है. यह बहुत उदासी की समस्या है क्योंकि किसान सब लोग के लिए खाना उगाते है. हम को उन की मदद करनी चाहए. २००,००० लोग को मर जाने देना कोई छोटी बात नहीं है.
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