Sunday 28 November 2010

मेरी बड़ी भूल

कभी कभी मुझसे भूल ही जाती हैं| कई बार ये भूलें छोटी होती हैं और कुछ बार ये भूलें थोड़ी ज्यादी मुसीबत हो जाती हैं| आम्तैर पर मैं मेरा कम्प्यूटर बहुत ख्याल  से रखती हूँ| मेरा कम्प्यूटर एक बहुत आवश्यक चीज़ हैं मेरे लिए क्योंकि मैं हर रोज इस का इस्तेमाल करती हूँ  इमेल पढने के लिए और अपना होमवर्क भी करने के लिए | एक दिन मैं बहुत व्यस्त थी और इस के वजय से मैं दोपहर का खाना कम्प्यूटर के सामने खाती थी| मैं ने अपनी कलम को फर्श पुर गिरा दिया| कान में संगीत सुनती सुनती मेरा मन कहीं और था शायद... लेकिन जब मैने कलम उठाया, मैने कोहनी से खुली कोक की बातल मरी| बातल कम्प्यूटर पर गिर गई और इस में से लगभग एक कप कोक कम्प्यूटर पर गिरा|  तुरंत मेरा कम्प्यूटर की बिजली चली गई और मनिटर अँधेरा पढ़ गया|  मेरी आँखों में आँसू भर आये क्योंकि मुझे एहसास हुआ की मेरा कम्प्यूटर हमेशा के लिए टूट गया था| यह भूल बहुत महंगी गलती बन गयी जब मैने कम्प्यूटर को रिपैर शाप पर भेजा| चार - पांच साल का बचाया हुआ पैसा मुझे देना पड़ा मेरा कम्प्यूटर रिपैर करने के लिए| अब मैं कम्प्यूटर के सामने खाना - पीना कभी नहीं लूंगी!

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