Tuesday 23 November 2010

मेरे जीवन के भूल


मुझे लगता है कि हर मनुष्य से कभी न कभी तो भूल होती है. यह भूल छोटी या बड़ी भी हो सकती है. कुछ लोग यह भी सोचते है कि भगवान् से भी कभी गलती हो जाती है। मुझसे भी बहुत बार भूल हुई है.
एके दिन बहार बहुत ठंड थी। मेरी माँ ने सुबह में मुझे फोन से कहा था कि प्रियांग, "तुम बहार जाकेट पहनकर जाना"। मैंने मेरी माँ की बात नहीं सुनी और ठंड में बहार घूमने चला गया। दूसरे दिन जब में सवेरे में उठा तब मुझे खूब सर्दी और खाँसी हो गई थी। यदि मैंने मेरी माँ की बात सुनी होती तो शायद में बीमार न होता। *तस्वीर में मैंने जाकेट पहना है। उस दिन मैंने मेरी माँ की बात सुनी थी और बीमार न हुआ था !
जब में छोटा था तब मैंने अनजाने में बहुत सारे भूल किये थे। मेरे माता-पिता मुझे मेरे पहले फुटबाल का खेल में ले गये थे। फुटबाल खेलतें वक्त मेरा हाथ बल लग गया था। मुझे लगा कि सामने वाला गोल मेरी टीम का था। मैं उस ओर भागने लगा. सारे माँबाप पुकार रहे थे, "प्रियांग उस तरह नहीं," लेकिन मैंने किसी की आवाज नहीं सुनी थी। इसलिए मैंने बल को जोर से लात दी और बल गोल के अंदर चला गया। अंत में सारे लोग मुझे पर हँस रहे थे और मैं अपने भूल के कारण रोने लगा।

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