Monday, 22 November 2010
एक बड़ी भूल
मैं चीज़ों कभी नहीं भूलता हूँ लेकिन एक दिन पिछले साल मैंने अपना वाल्लेट घर मैं भुला। उस हफ्ते की ऊंट में मैंने मेरा घर गया अपने माता-पितः से मिलने के लिए। जब मैं वापस अन्न अर्बोर आया मुझे पता हुआ की मेरे पास मेरा वाल्लेट नहीं था। मैंने सोचा की मेरा वाल्लेट मेरा दोर्म कमरा में था। एक घंटा के लिया मैंने अपना कमरा उल्टा किया वाल्लेट खोजने। लेकिन वाल्लेट नहीं मिला। अब मैं बहुत परेशान हुआ। वाल्लेट के उंदर बहुत चीज़े थे। बहुत पैसा था, क्रेडिट कार्ड्स थे, और मेरा द्रिवेर्स लिसेंस वाल्लेट के उंदर थे। मैंने सोचा की अगर किस्सी ने यह वाल्लेट मिल्ली थो मेरा बहुत नुक्सान होगा। फिर ,अं मेरी माँ को फ़ोन किया। मैंने उसको पूछा की क्या अपने मेरा वाल्लेट को देखा? तब मेरी माँ ने मुझ पर बहुत चिल्लाई। वह कहती थी की "आप अपने वाल्लेट कैसे भूल सकते हो? वाल्लेट में बहुत सारे खास चीज़ें है और मेरा ध्यान किधर था?" मैं बहुत उदास हुआ। तभी मैंने सोचा की मुझे मेरी दुसरे पन्त में खोजना चाहिए। मैंने मेरा हाथ पन्त की जेब में उंदर किया। हे भगवन! मैंने मेरा वाल्लेट मिला। मैं बहुत बहुत कुश था। अब मैं यह भूल दुबारा कभी नहीं करूँगा।
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hmmm.... ऐसी चीज़ें भूलना भी नहीं चाहिए, क्योंकि घर में था तो मिल गया कहीं सुर होता तो???
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