Sunday 7 November 2010

अगर मैं भारत जाऊँ ...तो शायद जिन्गदी बदल जये

अगर मैं भारत जाऊँ  तो मुझे वहां एक-दो महीनों के लिए रहना होगा क्यों की मैं सरे देश देखना चाहती हूँ| पहले मैं उतर भारत में कुल्लू-मनाली, कश्मीर  ताज महल, हवा महल, क़ुतुब मीनार, स्वर्ण मंदिर, लाल किला... सभी जगह पर जाऊँ| उतर भारत मुझे शायद अच्चा लगे क्यों की मुझे सुन्दर इमारतें और खूबसूरत पहाड़ पसंद हैं| उतर भारत देखने के बाद मैं गुजरात जरुर जाऊँ ताकि मैं मेरे रिश्तेदार से मिलूँ और उनके साथ कुछ समय बिताऊँ| मैं मेरे दादा-दादी को बहुत याद करती हूँ| वे अहमदाबाद मैं रहते हैं| मेरी सबसे प्यारी मौसी भी गुजरात में रहती हैं| इस लिए मैं भावनाघर भी जाऊँ| उस के बाद मैं दक्षिण भारत जाऊँ ताकि मैं ऊटी के पहाड़ी चाय के खेत को अनुभव करूँ| 
 अंत में मेरी इच्छा हैं की मैं  आश्रम में ठहरूँ और वहाँ भगवन की खूब दर्शन करूँ| इस उलटी सीधी ज़िन्दगी में भगवन को जानना थोड़ा मुश्किल हो जाता हैं क्यों की हम बहुत व्यस्त होते हैं| मैं चाहती हूँ की मैं कोई गुरु का आश्रम में मुझे इश्वर की शांति मिलें| मन की शांति मिलकर मुझे गाँव में छोटा सा  मेडिकल क्लिनिक खोलना है| संभव हैं की यह सब देखकर (या कर के) मुझे भारत से प्यार हो जाये| शायद मैं यह सुन्दर देश में रह भी जाऊँ|
 

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