मैं वोरेन मिचिगन में पैदा हुई थी | वोरेन बहुत छोटा शहर है | मैं अपने परिवार के साथ वोरेन में बारह साल रही थी | हम २००२ में वोरेन से चले गये और ट्रॉय में आये | हम वोरेन से चले गये जब मैं छठी ग्रेड में थी | वोरेन में हम एक छोटे मकान में रहते थे | इस मकान को "ताउन हाउस" कहते थे | इस में तिन कमरे थे, एक भोजन का कमरा था, एक बेठने का कमरा था, एक रसोई थी, और बेसमेंट भी था | जब मैं ट्रॉय में आई, मुझको बिलकुल पसंद नहीं था और मैं वोरेन वापस जाना चाहती थी लेकिन यह नहीं हुआ | हम ट्रॉय में आये क्यों कि ट्रॉय के स्कूलों बहुत आचे है और वोरेन के स्चूलो बेकार है | मेरे माता पिता को यह पसंद था और वे चाहते थे के हम आचे स्कूल में पड़े और अच्छी कॉलेज में पड़े | लेकिन मुझे इस बात कि फिकर नहीं थी | मुझे तो वोरेन वापस जाना था और ट्रॉय में नहीं रहना था | वोरेन में बहुत मजा किया और वहां बहुत दोस्त भी थे | वे कुछ दोस्तों और सहेलिय अब भी मेरे दोस्त और सहेलिय है | बचपन में मैं और मेरे भाई बहुत लड़ते थे | हम अपनी शब्दों से लड़ते थे और अपनी हाथो से | हमारे माँ और पिता जी कुछ नहीं कहते थे | वे बस देखते थे और जब हम में से एक रोने लगते थे फिर वे कुछ बोलते थे और तब वे क्रोधित हो जाते थे | कभी कभी वह जीतता था और कभी कभी मैं जीतती थी लेकिन एक घंटे के बाद हम एक दुसरे के साथ खेलने में लग जाते थे | बचपन में मैं ने कुछ खास नहीं किया था लेकिन मेरा बचपन बहुत मजेदार था | एक अफसोस है कि हम ने यात्रा नहीं किय | छुट्टियों में हम सिर्फ घर पर रहे | कभी कभी हम चिकागो जाते थे लेकिन घुमने के लिए नहीं | हम चिकागो जाते थे क्यों कि मेरे पिता के दोस्त वहां थे और उन का परिवार वहां थे | मेरे बचपन में मैं दो बार भारत गयी | पहली बार जब मैं भारत गयी तब मैं एक साल कि थी और भारत में मैं ने अपनी दूसरी जन्मदिन वहां मनाया था | मैं, मेरे भाई और मेरी माँ ने भारत में चार महीने बिताये | मेरे पिता ने सिर्फ दो महीने बिताये क्यों कि उन को वापस अन्ना था और काम पर जाना था | और दूसरी बार मैं चौथे ग्रेड में थी | मेरा बचपन बहुत अच्छा था और काश मैं वापस जा पाती |
Friday, 21 January 2011
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