Sunday, 9 January 2011

पेरिस

मेरी हार्दिक हिच्चा है की मैं पेरिस जाऊं.  पेरिस जाने के लिए मुझे हवाई अडा से हवाई जहाज लेना पड़ेगा.  मैं बहुत सामान नहीं लेके जासकती हूँ क्योंकि वहां जाकर मैं बहुत शापिंग करूंगी.  पेरिस में मैं गाड़ी नहीं चलूँगी.  मैं योजना बनाऊँगी की मैं बस लूंगी.  इस तरह से मैं पर्यटक हूँगी और संस्कति देखूँगी.  अगर मौसम अच्छा होगा तो मैं बाहर टहलूंगी.  जब मैं बाहर टहलूंगी तो मैं पेरिस की सीमाचिहु देखूँगी.  जब मैं थक जाऊँगी मैं वापस डेरा जाऊँगी.  लेकिन अगर मौसम नहीं अच्छा होगा और बाहर ठंड होगा तो मैं दूसरा तरह से योजना बनाऊँगी.  शायिद मैं टैक्सी करूंगी.  क्योंकि बाहर ठंड होगी इस लिए टैक्सी वातानुकूलित नहीं होनी चाहिए.  सब स्थालों देखकर मैं पेरिस की खाना की संस्किति अनुभव करूंगी.  मैं सब से बड़ा रेस्तारान्ट्स जाऊँगी.  वहां पर मैं सबसे अच्छा पकवान खाऊँगी.  सब रेस्तौरंट्स में मैं शाकाहारी खाना खाऊँगी.  कुछ मासाहारी खाना नहीं.  

पेरिस में मैं कोई मार्ग सूची नहीं तैयार करूंगी.  लेकिन कुछ स्थलों तो ज़रूर देखूंगी क्योंकि अगर वे देखने योग्य हैं.  मुझे बहुत बुरा लगेगा अगर वे नहीं देख पाएं.  

जहां मैं रहूँगी वहां एक बगीचा और अच्छा सा द्दश्य होना चाहिए हैं.  उस द्दश्य मैं झील या सागर होना चाहिए हैं.  अगर झील होगा तो मैं नाब पर चड़कर झील देखना चहाती हूँ.  यह तो बहुत अच्छा लगेगा.  

यह सब देखने के बाद शायिद में घर नहीं लौटना चाहूँगी लेकिन वापस तो आना ही पड़ेगा.  यह है मेरा यात्रा की अंत.  मुझे फिर हवाई जहाज में चढ़ना होगा और अमेरिका मेरा गन्तव्य होगा.  पेरिस में फुर्सत की गतिविधि मनाकर मैं फिर से स्कूल या काम करूंगी.  

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