Sunday 23 January 2011

मेरे बचपन की स्मृतियाँ

मै बुहत बचपन की स्मृतियाँ है. हर रोज़ मै मेरी बहन और भाई के साथ खेलती थी. गार्मियों में हम बाहर खेलाकाद करते थे. अक्सर पड़ोस बच्चे ज्वाइन करते थे. हम साईकिल पर पड़ोस के चारों साहस जाते थे. एक दिन सब से आच्छा मौसम था तो मै और मेरी बड़ी बहन लंबी साईकिल का सफ़र गयीं. हम कस्बा गयीं. उस दिन पर मुख्य बाज़ार बहुत व्यस्त था. वहां हमें ने बुहत लोग मिलें. डाकिये ने हम की कुछ मिठाई खरीदा. तब हम पुस्तकाला गये/ वहां हम सब साहस की किताबियाँ पर देखीं. हम दोनों ने दो किताबियाँ पहले नींद पदने को चुनीं. घर का रासते पर मै पटरी पर साईकिल से गिरी. मेरा टांग कटा और मुझे बहुत दर्द लगा. मेरी बहन गर को दौड़कर माँ को बुलाई. मेरी माँ ने गाड़ी से आकर मुझे गर लिया. लेकिन मेरा पिता जी सोचता था कि मैने मेरी हडडी तोड़ी. तो हम अस्पताल गये. डाक्टर ने कुछ परीक्षण किये और हडडी टाटी.
बचपन में मेरा परिवार चिड़िया घर जाता था. हम रेलगाड़ी पर सवार होते थे. दिन भर वहां हम सब जानवर देखते थे. मेरा मनपंस जानवर हाथी है. हम ने मैदाम में दोपहर का खाना घर से खाया. एक बार बड़ा भीड़ शेरों के पास था. मै पांच साल थी और मै सोचती थी कि मेरा पीता जी का पीछा किया. एकाध मिनट बाद मै ने इस आदमी को मेरा पोता जी नहीं था कि समझ. मुझे डर लग रही थी. चिड़िया बहुत बड़ा था तो मै खोया थी. मै पिता जी नहीं देखकर रोने लगी. तब पिता जी सामान वाला आदमी ने मुझे मदद कि. एक घंटा बाद हम ने मेरा परिवार पाया. मुझे बहुत बहुत खुश लगी. 

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