Sunday 23 January 2011

प्रेम की बचपन की स्मृतियाँ

मेरा बचपन सबके बचपन की तरह नहीं था. मुझे सब कुछ याद थो है नहीं,लेकिन कुछ कुछ बातें मुझे अभी भी याद हैं और हमेश याद रहेंगी. बचपन में मैं बहुत खेल कूदता था. और मुझे दुसरे बचों से ज्यादा चूतें भी लगती थीं. मेरी माँ बहुत गुसा होती थी क्यूंकि मैं आये दिन स्कूल से यह थो चोट खाके आता था यह थो कपड़े गंदे करके आता था. एक और बात जो मुझे मेरे बचपन के बारे मैं याद है कि मेरे माता पिता हमेशा मुझे जो भी चाहिए था मुझे खरीद कर देते थे. यह अच्छी बात है यह बुरी बात है, यह थो मुहे मालूम नहीं, लेकिन बचपन में बहोत अच्छा लगता था. बचपन में मैं और मेरा पूरा परिवार छुट्टियों में बहुत सारी मजेदार जगाएं जाते थे. बचपन में मैं अपने बड़े भाई के साथ भी बहुत वक़्त गुजारता था. हम दोनो हर दिन स्कूल के बाद साइकिल चलते थे. हम दोनो साथ साथ बहोत खेलते थे और बहोत सारी शेतानियाँ भी करते थे. इस से पहले मैंने कभी सोचा नहीं के मेरा बचपन कितना अच्छा था. बचपन में कभी किसी बात कि चिंता नहीं होती थी. बचपन में किसी चीज़ के बारे में कभी सोचता नहीं था, बस खेल कूद में लगा रहता था. इस से पहले मैं कभी सोचा नहीं लेकिन मुझे मेरा बचपन अब बहुत याद आता है. बचपन में छोटी छोटी चीज़ें अच्छी लगती थीं. हर चीज़ मैं मज़ा दिखता था. अब जब इतनी ज़िमिदारियाँ हैं, बचपन बहुत याद आता है. मुझे बचपन में बहुत मज़ा आता था.

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