Sunday 23 January 2011

सागर के बचपन की समुतियां

मेरें बचपन में बहूत समुतियां था कयोकि मैं ाहूत जगह में रहया। पहले, मेरी उमर तीन साल था कब मैं कलकाटा सें ामरीका अाया। यह मेरी पहलर समुतियां था। अाज पन मुझे हवाइ अडा अौर हवाी जहिज का याद अाता हैं। तीन साल के बाद, मैं अपने मामा का घर में रहता था, नू जरसी में। यह जगह में, मैं दूसरी मेरें बचपन में बहूत समुतियां था कयोकि मैं ाहूत जगह में रहया। पहले, मेरी उमर तीन साल था कब मैं कलकाटा सें ामरीका अाया। यह में दूसरी समुतियां बनाया। कब मैं अमेरीका अाया, डिसेंबर था। इस लिए, जमीन पर बहूत बरफ पऱ रहा था। यह अचछा समुतियां था कयोकि मुझे बरफ बहूत सुंदर लगता था, लेखिन अाजकल मुझे पसंद हैं कयोकि यूनीवरशीटी में, मुझे बहूत चलना चाहिए अौर बरफ बहूत ठंड हैं, इस लिए मुझे बरफ पसंद नहीं है। मेरे पास, एक अौर बचपन की समुतियां है कि मुझे बहूत पसंद अाये कब मैं सोचता हैं। यह समुतियां मेरा पहले भारत को याता के बडा है। मैं सोचता कि मैं बहूत अतिजकत हूं कयोकि यह मेरी पहले वार भारत को जाना था। यह मेरी सबसे अचछा समुतियां हैं कयोकि मेरा मन में, मैं सागर, अौर होाी जहाज, अौर रिकशा देख सखता हूं। इस टिरप में, मुझे बहूत मजाक अाया। मैं कलकाटा, मुमबाइ, अौर पूरा गूजरात देखा। लेखिन मुझे सबसे पसंद अाया कब मैं अपनी दादी मिला। मैं अपनी दादी बहूत पयार करता हूं। इस लिए मुझे बहूत मजाक अाया। दादी देखकर, मैं अमरीका वापस अाया। परा जवानी में, यह मेरा सबसे अचछा समुतियां हैं।

No comments:

Post a Comment