Sunday 23 January 2011

बचपन का एक मजेदार दिन

मेरे बचपन में, मैं बहुत कुश था। मेरे पास बहुत दोस्त थे और मेरी दीदी सिर्फ पंद्रह महीने से बड़ी थी। मेरी माँ भी दिन में काम नहीं करती थी तो वह हमारे साथ कभी कभी खेलती थी। मुझे बहुत मज़ा आता था जब मैं मेरी दीदी और उनकी सहेलियां को छेड़ता था। मुझे याद है के एक दिन जब मेरा दोस्त मार्क मेरे घर खेलने के लिए आया, और उनकी दीदी कैर्री आई। कैर्री मेरी दीदी की सहेली थी। मैं और मार्क सोचा की आज हम हमारे दीदी को कैसे नाराज़ बनाते हैं। पहेले हमने सोचा की हम उसका खेल बर्बाद करे, लेकिन हमने यह पहेले कर चुके है। थो फिर हमने सोचा की हम सिर्फ उनका मज़ा उड़ाते हैं, लेकिन पिछली बार हमने यह किया, मेरी माँ ने मुझे पर बहुत चिल्लाया। तो फिर हमने एक फेसला किया। मार्क कहा "हम आज उनको डराते है"। मैंने कहा "हां यह एक बहुत अच्छा विचार है, लेकिन हम यह कैसे करेंगे?" मार्क ने कहा की लडकिय को साप से बहुत डर है, तोहमको एक नकली साप बनानी है, और उनके पास यह नकली साप रखनी है। तो मैं और मार्क मेरे खेलने का डब्बा में खोज शुरू किया। दस मं के बाद मैंने एक नकली साप खेलौना को मिली और मैं और मार्क बहुत कुश थे। हमारे दीदी बाहर खेल रहे थे, और मेरी माँ एक खुर्सी पर एक किताब पद रही थी उनके पास। हमारा प्लान था की हम वह नकली साप उनके पास फेकेंगे और फिर चिल्लाएँगे क्यों की उनके पास एक साप है। लेकिन हमको मालूम है की वह साप नकली है। मैंने नकली साप उनके पास फेका लेकिन साप मेरी माँ के पास गई। मेरी माँ अपने पैर के पास देखा और बहुत घबराई। वह अपनी खुर्सी पर चडी। मैं और मार्क बहुत बहुत हासा और फिर मेरी माँ समझगी की वह साप नकली थी। मेरी दीदी और कैर्री भी हस्सी और फिर मेरी माँ हसने लगी। वह मेरे बचपन का बहुत मजेदार याद था।

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