Sunday 24 January 2010

मेरे बचपन की स्मृतियाँ

जब मैं छोटा था तब मैं बहुत तोफान करता था। एक दिन जब मैं चार साल का था, मेरी माँ दफ्तर गयी थी और मैं अपने दादी के साथ घर था। हम किताब में कलोरिंग कर रहा था। उसके बाद मैंने बाथरूम जाके लाल रंग से मेरा नाम बड़ा लेटर्स में सभी दीवारे पर लिखा। मेरी माँ घर लौटकर बहुत घुसी हुई थी लेकिन में ने अनादर तरह से हंसा। मुझे साफ़ करने पड़ा और बहुत कठिन काम हुआ था।

एक बार मैं कुछ मशीनों को उपयोग करना चाहता था लेकिन मेरे पास कोई बुद्धि नहीं था क्योंकि मैं नहीं कर सका। इसिलीये मैं ने पाताल पर फेंका और थोड दिया। 111

बचपन में मैं अपना पिताजी के साथ चेस खेलता था लेकिन छोटा साल में मैं हमेशा हरता था। मेरी इच्छा जीतना का था इसके लिये मैं रोज खेलने लगा और एक साल मैं मास्टर बन गया। मेरा दोस्तों ने बहुत कोशिश किया था मुझे हराने से लेकिन नहीं कर सका। पूरा स्कूल में मैं चम्पिओं बन गया लेकिन अब में नहीं खेलता हु।

बचपन का हर गर्मी में मैं सॉकर टीम में भाग लेता मेरा खास दोस्तों के साथ। अभी ताक मेरा मन पसंद खेल सॉकर ही है। मेरा पिताजी हमेशा कुछ संतरे लाते हाफ्तैम के लिये। दादा, दादी, छोटा भाई, और माँ हर खेल में आते और झोर से मेरा नाम चिल्लाहते।

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