Sunday, 24 January 2010

मेरे बचपन की स्मृतिया

मेरा बचपन तो बहुत ही रंगीन था। मुझे मेरे बचपन की काफी कहानियाँ याद हैं और मेरे माँ - बाप मुझी बहुत कहानियाँ बताते हैं।
जब मैँ तीन या चार साल कि थी, मेरी ममी हर रोज़ काम के लिए छ: बजे उठती थी. और मैँ हर रोज़ ममी के साथ - साथ उठती थी क्योंकि मुझे मज़ा आता था जब ममी सजती थी। जैसे जब वे बालियाँ पहनती जाती थी और अपने चेहरे और होंठ">होंठ पर गुलाबी रंग लगाती थी। तो एक दिन जब ममी अपने दफ्तर">दफ्तर के लिए चले गयी, मैँ ने देखा कि ममी ने गलती से अपना लिपस्टिक ड्रेसर">ड्रेसर पर रख दी जहा मेरा हाथ पहुँच सकता था . मुझे बच्चों जैसी असामान्य">असामान्य आने लगी। मैँ काफी कोशिश के बाद ही उस लिपस्टिक का दखन को खोल पायी। तब मैंने लिपस्टिक के साथ थोड़ी खेली, मतलब मैंने पहेले उसको देखा तब कुछ हाथ पर लगाया। तब मुझे याद आया कि हर सवेरा ममी यह चीज़ अपने होंठ">होंठ पर लगती हैं। तो खुश होकर अपने चेरे पर लिपस्टिक लगाने लगीअसामान्य">। मुझे बहुत ही मज़ा आया, और एतना मज़ा आ रहा था कि मुझे पता ही नहीं चला जब मेरे ममी और पापा कमरे मैँ आये. वे मेरे पीछे खड़े होकर फोटो ले रहे थे। क्योंकि जब मैंने लिपस्टिक के साथ खेलना बंद कर दिया, मेरे पूरे चेरे पर लिपस्टिक ही लिपस्टिक था। ममी और पापा को बहुत हंसी आई क्योंकि मुझे मालुम था कि ममी लिपस्टिक कहाँ लगाती हैं लेकिन मैंने लिपस्टिक अपने होंठ">होंठ के अलावा हर जगा लगा दिया था। तो ममी का लिपस्टिक एक दम ख़राब हो गया था, लेकिन मुझेअसामान्य"> तो बहुत ही मस्ती आयी थी।

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