Sunday 24 January 2010

मेरा बचपन

मुझे आपना बचपन बहुत अच्छा लगता हेँ। मैँ मिचिगन में पढ़ा हुई। मेरा सौथ्फ़िएल्द का बेऔमोंत ओस्पितल में जनम हुआ। वहाँ पर मैँ दो साल तक रही और तब हम सब फर्मिन्ग्तों हिल्स में रेहना आये। फर्मिन्ग्तों हिल्स में हम लोग का पास एक बहुत आचा घर हेँ जिसमे मैँ आभी भी रेहती हूँ। इस घर में एक बहुत बड़ा लॉन हेँ जिस में मैँ और मेरी परोसी खेलते थे। कभी-कभी हम चुप चुपना वाला खेल करते थे, या हम आपना साइकिल पर आलग ज्गे जाते थे। इन सब खेल में मुझे बहुत मज़ा आता था। जो मेरे परोसी थे वे मेरे बहुत खास दोस्त बन गए थे। मेरे परोसी दो लड़के और एक लड़की थे। लेकिन जब मैँ दस साल की हुई, उन लोग को आपनी मामी के सात रेहने जाना पड़ा क्योकि उन का बाप का मौत हो गया था। फिर तब भी वे मुझसे मिलने आते थे कभी कभी।

मेरे बचपन मैँ मुझे भर खेलने में बहुत मज़ा आता था। कभी कभी मैँ स्विंग्स पर जाती थी, या बास्केटबाल खेलती थी। मुझे लगता हेँ की मेरी मामी मुझे भर भजति थी क्योकि मैँ बहुत बदमाशी करती थी जब मैँ अंदर आती थी घर मैँ। मुझे टीवी देखने का शौक जजा होता नहीं था, तो मैँ आपना जूट-मूत खेल बनाती थी आपने गुडीयोँ के सात। तब मैँ अकेली बच्ची थी तो और घर में खेलने वाला नहीं था। तब जब मैँ साथ साल की थी, तब मेरी बहन हुई। उसका नाम उर्वशी हेँ। अब तो वह बारह साल की हेँ। जब वह छोटी थी, तब मैँ उसका बहुत देख भाल करती थी। मैँ उसे बहुत प्यार करती हूँ। कभी कभी वह मेरे लिए एक बड़ी गुड़िया के जेसे थी जिस को मैँ बहुत कहानिया सुनाती थी। आभी भी वह कभी कभी एक-दो कहानिया सुन लेती हेँ। मेरे दोस्त और मेरी बहन के वाजे से मेरी बचपनी बहुत अच्छी थी। कभी कभी जब मेरे पास बहुत काम हो जाता हेँ, मैँ उस सयम में वापस जाना चाहतइ हूँ।

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