मेरा बचपन तो बहुत अच्छा था। जब मै चार साल का था, हमारे घर मे चोरी हुई थी। चोरी के बाद मेरे माता-पिता ने यह फैसला किया के हम कैंटन मे रहेने जा रहे है। वहा मेरे फूफा, फूफी, और मेरे माता-पिता के कुछ दोस्त रहेते थे।
एक साल के बाद मै स्कूल जाने लगा। पहले मुझे स्कूल अच्छी नहीं लगी क्योकि मुझ को अंग्रेजी बोलना नहीं आता था। जब मै अंग्रेजी सीख गया तब मै दोस्तों बनाने लगा और स्कूल को बहुत पसंद करने लगा। स्कूल मे मै फुटबाँल का खेल और गणित की पढाय पसंद करता था।
मेरे माता-पिता जब अपने दोस्तों के घर जाते थे, मुझ को और मेरे भाई को साथ ले जाते थे। वहा हम सब बच्चो मिल कर बहुत मजा करते थे। कभी कभी हम खिलौने के साथ खेलते थे या विडियो गेम खेलते थे तो कभी कभी हम बहार कोई रमत खेलते थे।
मै, मेरा भाई, और दोस्तों, शमिक, चिराग, नीरज, और भार्गव सभी आस पास मे रहेते थे। हम सब बहुत अच्छे दोस्त बन गए। जब मै दस साल का था तब हार्दिक, जयदेव, जलपेश, और तन्मय भारत से अमेरिका नए नए आये।
पहले हम को यह नए लड़के पसंद नहीं थे और उनका बहुत मज़ाक किया। जब हम सब की दोस्ती हो गयी तब बहुत मज़ा आने लगा। गर्मियों मे हम सब रोज़ मिलते थे। कुछ दिन हम बास्केटबाल, बसेबल्ल, या फुटबाँल खेलते थे तो कभी कभी हम हमारी साईंकिलो चलाते थे।
जब सब बड़े हो गए तो दूर रहेने चले गए, लेकिन, हम सब आज भी बहुत अच्छे दोस्त है।
Sunday, 24 January 2010
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