बचपन में मुझे अपने दोस्तों के साथ खेलना बहुत अच्छा लगता था. मेरा बचपन कुवैत में गुज़रा और उस जगह से मेरी काफी यादें जुडी हुई हैं. मैं रोज़ अपने घर के नीचे खेलने जाया करती थी. मैं और मेरे दोस्त क्य्क्लिंग करते थे और छुपा छुपी खेलते थे. बहुत मज़ा आता था. मैं पूरी शाम अपने दोस्तों के साथ बिताती और जब तक घर पहुँचती, मैं खूब थक्जती. फिर माँ मेरे पीछे लग जाती ताकि मैं अपना होमवर्क ख़तम कर सकूं. .
मुझे गुड़ियों के साथ खेलने का बहुत शौक था. मेरे कमरे में बहुत सारे बर्बियाँ थीं. मुझे उनको तय्यार करने में बहुत मज़ा आता था. जब भी मैं माँ के साथ बाज़ार जाती, तो मैं जिद करती की वे मेरे लिए एक गुडिया खरीदें. मेरे पास एक गुड़ियों का घर भी था.
बचपन में मेरी एक बहुत ही अच्छी दोस्त थी. उसका नाम श्रुती था. वह मुझे तब से जानती है जब से मैं छे महीने की थी. अब भी वह मेरी सबसी अच्छी दोस्त है. हम दोनों साथ में बड़े हुए हैं और मेरी सबसे सुन्दर यादें उससे जुडी हुईं हैं. हम साथ साथ स्कूल में पड़े हैं और हमने बहुत मस्ती की है.
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