Sunday 24 January 2010

काम और खेल

मेरे बचपन में याद करती हूँ कि हर शाम को भाई-बहनें ओर मैं साथ साथ घर साफ़ करते थे | हम ने एक खेल इजाद किया और जब हम घर साफ़ करते थे तब यह खेल खेलते थे | इस खेल का नाम "फ्लैट सुर्फसुज़" और खेल के नियम बहुत सरल था लेकिन यह खेल अजीब था और इस लिए समझाना थोड़ी सी कठिन है | हर किसी को एक कमरे साफ़ करने पड़ते थे और जब साफ़ कर रहे थे तब कमरे वाला था (you were owner of the room you were cleaning)| अगर कमरे वाला कोई और अपने कमरे में फर्श छू रहा है देखे तो कमरे वाला आदेश दे सके है | अक्सर कमरे वाला कहते थे कि दूसरा भाई बहन पांच मिनट के लिए कमरे वाले का कमरे में साफ़ करना पड़ता था.
जब हम "फ्लैट सुर्फुसुज़" खेल रहे थे हमको घर साफ़ करना पड़ते थे | हमारी माँ अनाज्घर में थी और हर १५ - २० मिनट वह घर आकर देखने कि सब ठीक हो जाता था | इस लिए किसी खिड़की के नजदीक "ब्रूम" (कूचा) के साथ खड़ा रहता था और अगर माँ देखे तो चिलाकर फर्श बुहारने लगता था |

बचपन में मेरी भाई-बहनें और मैं मकई बड़ा खेत से खेत काटे थे | मेरे परिवार के पास बहुत एकड़ मकई | मेरी माँ एक कहानी कहती थी कि एक सुरूप "मकई की पूरी" थी और अगर हम सारे खेत से मकई खेत काटे तो मकई की पूरी हमारे लिए मिठाई देते थे | हर साल मेरी माँ एक पहेली लिखती थी और अगर हम पहेली खोले तो मिठाई मिलते थे |

बचपन में बहुत ज्यादा कपड़े धोती थी | हर दिन मुझको और अपनी दो बहनें को कपडे धोने पड़ते थे | सवेरे को हम कपडे धोती थी, उसके बाद हम "लाइन" पर कपड़े लटकाती थी और दोपहर में घर के अन्दर लाकर कपड़े तह करती थी | हम हर दिन यह "रूटीन" ऐसे करती थी |

बचपन में बहुत सारे काम करती थी लेकिन मेरा बचपन बहुत मजेदार ओर खुश रहता था |

1 comment:

  1. मान गये, आप बड़ी कामकाजी थीं

    ReplyDelete