मेरे बचपन बहुत ही खुबसूरत था। इसके बारे में, मेरे पास सिर्फ अच्छी स्मृतियाँ हैं। रोज़ मैं मेरी छोटी बहन के साथ खेली थी क्योंकि हम दोनों तब और अभी सबसे अच्छी सहेलियां हैं। मुझे मेरी बहन को खूब चिढ़ाता पसंद था तो इस लिए हम कभी कभी हम दोनों झगड़ती थी। जब मैं बहुत छोटी थी, मैं खूब दुष्ट थी। मुझे यहाँ-वहाँ दौड़ना पसंद था और सब समय मेरी पिताजी को मुझसे पकड़ने पड़ा।
बचपन में मेरी दादी हमारे साथ रहती थी। मुझे याद है की मैं और मेरी बहन उसकी साथ सेकती थी। हमने सब कुछ बनाया - बिस्कुट, केक, सन्देश। मेरी दादी बहुत ही प्यारी औरत थी और मुझसे बहुत चीज़ें सिखाती थीं। मैं उसको कहानियाँ बोलती थी और वे मेरे लिए लिखती थी क्योंकि मैं छोटी थी और मैं लिखने नहीं जानती। मैं और मेरी बहन को भी उसका खाट पर उचालती थी।
जब मैंने "किन्देर्गारतें" गया, मैंने खूब किताब पढ़ने को शुरू किया। बचपन से, मेरी माँ मेरे साथ पढ़ती थी। कभी न कभी हम बोर्देर्स गया किताबें खरीदने के लिए और घर पहुँचकर, मैं किताब पढ़ने को ख़त्म हुआ! मेरी मन पसंद किताबें राज़ की कहानियाँ थी । बचपन में, मैंने भी भरतनाट्यम और पिआनो सिकने आदि किये। मुझे नाच खूब पसंद था और इस लिए मैं अभी तक नाचती हूँ। पिआनो बजाकर, मैं संगीत प्यार करती हूँ। एलेमेंतारी स्कूल में, मैं खूब चुपचाप थी लेकिन मुझे खेलने को बहुत ही अच्छी लगती है।
हर सप्ताहांत मैं मेरा परिवार के साथ चिन्मय तपोवन गए थे। वहाँ, मैं हिन्दुत्व के बारे में सीखती थी और दोस्त मिलती थी। मैंने लोग और परमात्मा को कैसे आदर करने सिखा और मेरी संस्कृति के बारे में भी सिखा । चिन्मय तपोवन में सब लोग दूसरी लोग को प्यार करते हैं । मैं यह सब खूब "मिस" करती हूँ क्योंकि मैंने उस दिनों में नहीं "अप्प्रेसिअते" किया।
- नीना
Sunday, 24 January 2010
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