Monday, 25 January 2010
जेकब के बचपन की स्मृती
मैं बहुत स्कूल गया. ज़रुरी है कि आधिक स्कूल था. जब मुझे तीन साल था, मैंने प्रीस्कूल शुरू किया. शुरू में, मैं अंग्रेज़ी का वर्णमाला पढ़ा. एक साल के बाद, मैं आसान किताबें पढ़ सकता था. जब मुझे चार साल था, मैंने नंबर पढ़ा, अंग्रेज़ी और सपैनिश में. मेरा मनपसंद चीज़ प्रीस्कूल में नैप्टाइम था. मेरी मनपसंद सहली का नाम एजा था. एक बार, वह मेरे घर में थी, और मैंने उसके बाल प्लैस्टिक कैंची के साथ कटाये. इस के बाद, मैं बहुत परेशानी में था.
जब मैं प्रीस्कूल खत्म हुआ, मैंने एलेमेन्टरी स्कूल शुरू किया. इस स्कूल में, मैंने कुछ नई चीज़ें पढ़ी और मेरे पास कुछ नये दोस्त थे. किंडर्गार्डन में हमने कोई नहीं पढ़ी. हमनें खाना और प्लेयडो पकाये और अध्यापक ने हम को कहानियाँ पढाई. पहला ग्रेड मे, पढ़ाई शुरू किया. हमने वर्तनी, गणित, विज्ञान, और मिशिगन की इतिहास पढ़े. तब भी हमने खाना पकाया, लेखिन कम.
एलेमेन्टरी स्कूल में, मेरे दोस्त अक्सर बदल गये। मेरा पहला दोस्त का नाम, केनी था। मैंने उसको किताब पढ़ना सीखा, क्योंकि उस पर कठिन था। हम बहुत विडियोगेम्ज़ खेले भी। उस के बाद, मेरा दोस्त का नाम बाबी था. बाबी और मैं नें बहुत मज़ाक चीज़ें करे. मेरा बचपन नहीं रोचक था.
जकब बोल्टन
मेरी बचपन की स्मृतियाँ
Sunday, 24 January 2010
मेरे बचपन की स्मृतिया
मेरे बचपन की स्मृतियाँ
में भारेण में इंग्लिश मीडियम स्कूल में पडता था। मेरे पास पाच अच्छे दोस्त थे। हम रोज क्रिकेट खेते थे। मुझे बातिंग बहुत पसुन्द थी और मेरे दोस्त को बोवलिंग पसुन्द थी। हम सुब बहुत नहीं लडते थे। में और मेरे भाई थोडा बहुत लडते थे। लकिन अब हम नहीं लडते है। जब में बार साल का था हम सुब फ्लोरिडा गए। मेंने मिकी और मीन्ने और दफ्फ्य को देखा। वह मेरा पहेली बार था डिस्नी में। में जी भर के खेला और मस्ती मरी। मुझे घर वापिस नहीं जाना था। मुझे रोज़ राएड्स में जाना था और शोस देकने थे। लकिन एके हफ्ते बाद मुझे वापिस मिचिगन जाना पढ़ा और स्कूल चालू हुई।
बचबन की स्मृतियाँ
एक दूसरा स्मृति है जब मैं पहले समय भारत गया। जब मैं भारत पहुंचा, मुझे एक नया ग्रह में लगता था। मैं बहुत भौचक्का जब मैं ने कुछ बड़े शहर देखे। मैं ने इतना लोग कभी नहीं देखा था. उसके बाद हम जी.टी सड़क से होकर पंजाब गया। जी.टी रोड बहुत आनंद है क्योंकि हमारा ड्राईवर बहुत तेज गाड़ी चलाया और हम कुछ ढाबे गया। ढाबे का खाना बहुत स्वाद है। मैं अपनी नानी का गॉव गया। यह गॉव बहुत अच्छा था और मैं अपने काफी परिवार मिला। एक चचेरा भाई के साथ स्कूटर पर बाज़ार घोमा और बहुत मजा आया। एक होर याद है कि हम बहुत ख़ूबसूरत मंदिर। वहां बहुत मंदिर है और अच्छा है। मुझे भारत बहुत पसंद है और तब तक मैं भारत अधिक जाता हूँ।
मेरे बचपन की स्मृतियाँ
मेरे यंग जीवान में मुझे मेरे दोस्त के साथ साइकिलों पर शहर घूमना अच्छा लगता था। हम लोग को शहर में स्केटबोर्ड करना भी अच्छा लगता था। मैं स्केटबोर्ड करने में अच्छा कभी नहीं था, लेकिन वह मज़ेदार था। कुछ दोस्त अच्छे थे, और वे बहूत दिलचस्प ट्रिक्स कर सकते थे। कुछ दिनों हम साथ-साथ सूरज के अस्त को सूरज के उदय से थे। अनदर हम बहुत विडीओ-खेल खेले और बहुत फ़िल्में देखे। बाहर हम अक्सर स्पोर्ट्स खेले: ड्राइव-वे में बास्केटबॉल, यार्ड में बेसबॉल, और सड़क में फुटबॉल। हम्हें फुटबॉल खेलकर गारी के लिए चलना था। बचपन में मैं एक लीग में बास्केटबॉल खेला, और मिडल-स्कूल में मैं मेरे स्कूल के टीम के लिए बास्केटबॉल और फुटबॉल खेला।
मेरे बचपन की स्मृतियाँ
एक साल के बाद मै स्कूल जाने लगा। पहले मुझे स्कूल अच्छी नहीं लगी क्योकि मुझ को अंग्रेजी बोलना नहीं आता था। जब मै अंग्रेजी सीख गया तब मै दोस्तों बनाने लगा और स्कूल को बहुत पसंद करने लगा। स्कूल मे मै फुटबाँल का खेल और गणित की पढाय पसंद करता था।
मेरे माता-पिता जब अपने दोस्तों के घर जाते थे, मुझ को और मेरे भाई को साथ ले जाते थे। वहा हम सब बच्चो मिल कर बहुत मजा करते थे। कभी कभी हम खिलौने के साथ खेलते थे या विडियो गेम खेलते थे तो कभी कभी हम बहार कोई रमत खेलते थे।
मै, मेरा भाई, और दोस्तों, शमिक, चिराग, नीरज, और भार्गव सभी आस पास मे रहेते थे। हम सब बहुत अच्छे दोस्त बन गए। जब मै दस साल का था तब हार्दिक, जयदेव, जलपेश, और तन्मय भारत से अमेरिका नए नए आये।
पहले हम को यह नए लड़के पसंद नहीं थे और उनका बहुत मज़ाक किया। जब हम सब की दोस्ती हो गयी तब बहुत मज़ा आने लगा। गर्मियों मे हम सब रोज़ मिलते थे। कुछ दिन हम बास्केटबाल, बसेबल्ल, या फुटबाँल खेलते थे तो कभी कभी हम हमारी साईंकिलो चलाते थे।
जब सब बड़े हो गए तो दूर रहेने चले गए, लेकिन, हम सब आज भी बहुत अच्छे दोस्त है।
मेरे बचपन की स्मृतियाँ
जब मैं बहुत छोट्टी लडकी थी, मैं सभ्य थी। अक्सर, मैं अकेली बेटकर "पोट्स और पांस" के साथ खेली जब मेरी माँ ने पकाया. मैंने भी माता-पिता को हमेशा आदर किया. लेकिन मुझे दूध नहीं पसंद था. तो, एक बार, मेरी माँ ने बोला कि "अंकिता, अगर तू दूध नहीं पि, तो "पुलिसवाले" आयें." मैं बहुत दर लगी और इस लिए, आजकल मैं रोज़ दूध पीता हूँ.
जब मेरी उम्र आठ साल था, मैंने एक उपकार किया. मैंने मेरी बहन को "बयक" चढ़ना सिखाया. बहुत आशा में, मैंने उसको मदद कि दो घंटे के लिए पांच दिनों के लिए. बहन को इच्छा था कि वह पूरे पडोस में चढथी थी. अंत में, मेरी बहन ने यह ही किया. अब, "बयक" चढना मेरी बहन के लिए सरल है.
मेरा बचपन
लेकिन, सब कुछ एक दिन रोकेंगे. कृष्ण ने बहुत ख़राब अल्लेर्गिएस था, और वह कुछ वर्षो के लिए भारत गए, अपनी मामा के साथ रहेना. और अखिल और अपना माता पिता फिलाडेल्फिया गए थे. चिराग और सपना और अपने परिवार वार्रें से ट्रॉय में रहने गए. मैं और विजय और हमारा माता पिता फर्मिन्ग्तों से वेस्ट ब्लूम्फ़िएल्द रहने गए. और सुब का माता पिता बहुत व्यस्त बन गए थे. हर हफ्ते हर महीने बन गया, और अखिल हर गर्मी में मेरा घर में रहना आता था. लेकिन, हमारा पीडी में बहुत प्यार और दोस्ती है, और हर गर्मी हम पिकनिक में गए थे, और मेरा घर के पीछे सोकर खेलते थे.
आज, हमारा परिवार फिर एक साथ है. मैं, चिराग, अखिल, मयूर, विजय, और सपना इस उनिवेर्सित्य में जह रहे हैं. हम हर गुरूवार मोजो में खा रहे हैं.
मेरे बचपन की स्मृतिया
जब मैँ तीन या चार साल कि थी, मेरी ममी हर रोज़ काम के लिए छ: बजे उठती थी. और मैँ हर रोज़ ममी के साथ - साथ उठती थी क्योंकि मुझे मज़ा आता था जब ममी सजती थी। जैसे जब वे बालियाँ पहनती जाती थी और अपने चेहरे और होंठ">होंठ पर गुलाबी रंग लगाती थी। तो एक दिन जब ममी अपने दफ्तर">दफ्तर के लिए चले गयी, मैँ ने देखा कि ममी ने गलती से अपना लिपस्टिक ड्रेसर">ड्रेसर पर रख दी जहा मेरा हाथ पहुँच सकता था . मुझे बच्चों जैसी असामान्य">असामान्य आने लगी। मैँ काफी कोशिश के बाद ही उस लिपस्टिक का दखन को खोल पायी। तब मैंने लिपस्टिक के साथ थोड़ी खेली, मतलब मैंने पहेले उसको देखा तब कुछ हाथ पर लगाया। तब मुझे याद आया कि हर सवेरा ममी यह चीज़ अपने होंठ">होंठ पर लगती हैं। तो खुश होकर अपने चेरे पर लिपस्टिक लगाने लगीअसामान्य">। मुझे बहुत ही मज़ा आया, और एतना मज़ा आ रहा था कि मुझे पता ही नहीं चला जब मेरे ममी और पापा कमरे मैँ आये. वे मेरे पीछे खड़े होकर फोटो ले रहे थे। क्योंकि जब मैंने लिपस्टिक के साथ खेलना बंद कर दिया, मेरे पूरे चेरे पर लिपस्टिक ही लिपस्टिक था। ममी और पापा को बहुत हंसी आई क्योंकि मुझे मालुम था कि ममी लिपस्टिक कहाँ लगाती हैं लेकिन मैंने लिपस्टिक अपने होंठ">होंठ के अलावा हर जगा लगा दिया था। तो ममी का लिपस्टिक एक दम ख़राब हो गया था, लेकिन मुझेअसामान्य"> तो बहुत ही मस्ती आयी थी।
मेरी बचपन की स्मृतिया (सतीश मोहन)
एक बार, जब मैं साथ-आठ साल था, मैं और अपना दोस्त विधालय खेल का मैदान में खेल रहे थे. मेरा दोस्त बहुत शरारती था. वह मेरा जैकेट का टोपी विधालय का छत पर फेंक दिया. मैं बहुत गुस्से में हो गया. वह भी हसने लगा. मैं चिल्लाया, "क्या कर रहा हो तुम? जाओ, मेरी टोपी ले आओ. अभी!" मेरा दोस्त ने कुछ नहीं बोला और दोड़ने लगा रहा था. मैंने भी उस का पिच्छा कर लग रहा था. दो-तीन मिनट के बाद, मैं उस पर कुद गया और वह निच्चे गिर गया. तत्काल मैंने उसे मरने और दांगने लगा था. मेरा दोस्त रोया और उस का घर को लोटा. मैंने अपना टोपी दोस्त से वापुस नहीं पा सका. जब मैंने घर जाकर दरवाज़ा खोला, मैंने अपना माँ खड़े देखा था. कह बहुत गुस्सी थी. वह देखकर मुझे पता है की मैं तकलीफ में था.
अगले दिन मैं अपना दोस्त का घर पर गया और माफ़ी मांगना पड़ता था. अब भी मैं गुस्सा था, लेकिन मैंने अपना दोस्त का 'सॉरी' बोला और हम ने हाथ मिलाये. मुझे पता है की वह उचित बात था. मेरा दोस्त भी 'सॉरी' बोला और उसने एक नया टोपी मुझे दिया. वह दिन से हम दोनों कभी नहीं मारे.
मेरा बचपन में बहुत सबक सीखा. आज वे सब मुझे अच्छी से उपयोग करता हूँ.
मारा बचपन
मेरा बचपन बहुत ही अच्छा था। इसलिए मैं अपना परिवार को बहुत याद आती हैं। मेरा परिवार में अपनी बहन और माता-पीता हैं। मेरा सबसे बड़ी स्मृतियाँ मेरा कुत्ता था। बचपन में मेरा कुत्ता का नाम सनदी था। वह मेरा सबसे अच्छा दोस्त था क्योंकि मेरा साथ-साथ हर जगह गया। बहुत अच्छा कुत्ता था। वह सुभी कुछ शब्द सुना था, बहुत साफ़ जानवर था, और छोटे बच्चे के साथ धीरे था। जब मैँ चौधाह साल की थी मेरा कुत्ता मर गया क्योंकि बहुत पुराना था. दो महीने के बाद मेरा परिवार ने नया पिल्ला घर को लाया. उसके नाम मिकी था क्योंकि उसके पुरे शरीर कला था और उसके पैर, हाथ, और पूंछ सफ़ेद था. मिकी बहुत प्यारा कुत्ता था लेकिन बहुत शरारती था. हर दिनों वह स्नानघर से कचरा खाता था, सोफा में होल बनाता था, और रसोईघर में हमारा खाना खाता था. बचपन में मै और मेरा परिवार बहुत अवकाश पर चले गया. मेरा मन पसंद अवकाश डिस्नी लैंड था क्योंकि वहा बहुत चीज़े करने सकते है. मेरा बचपन मै एक खास सहेली था. हम अब भी दोस्त है. वह अब ग्रांड वल्ली उनिवेर्सिती में पढती है लेकिन हर हफ्ते हम फोन पर बात करती है. हर रविवार को मै और मेरा मम्मी दोपहर में बहुत अच्छा खाना खाकर एक फिल्म देखती थी. मुझे अपनी मम्मी बहुत प्यार करती हु क्योंकि मेरा मम्मी मेरे लिए बहुत करती है. बचपन में मै पिता जी के साथ बहुत खेल खेलती थी. पिता जी ने मुझे बास्केटबाल, फूटबाल, और टेनिस सिखाया.
मेरा बचपन
मेरा बचपन
मेरे बचपन मैँ मुझे भर खेलने में बहुत मज़ा आता था। कभी कभी मैँ स्विंग्स पर जाती थी, या बास्केटबाल खेलती थी। मुझे लगता हेँ की मेरी मामी मुझे भर भजति थी क्योकि मैँ बहुत बदमाशी करती थी जब मैँ अंदर आती थी घर मैँ। मुझे टीवी देखने का शौक जजा होता नहीं था, तो मैँ आपना जूट-मूत खेल बनाती थी आपने गुडीयोँ के सात। तब मैँ अकेली बच्ची थी तो और घर में खेलने वाला नहीं था। तब जब मैँ साथ साल की थी, तब मेरी बहन हुई। उसका नाम उर्वशी हेँ। अब तो वह बारह साल की हेँ। जब वह छोटी थी, तब मैँ उसका बहुत देख भाल करती थी। मैँ उसे बहुत प्यार करती हूँ। कभी कभी वह मेरे लिए एक बड़ी गुड़िया के जेसे थी जिस को मैँ बहुत कहानिया सुनाती थी। आभी भी वह कभी कभी एक-दो कहानिया सुन लेती हेँ। मेरे दोस्त और मेरी बहन के वाजे से मेरी बचपनी बहुत अच्छी थी। कभी कभी जब मेरे पास बहुत काम हो जाता हेँ, मैँ उस सयम में वापस जाना चाहतइ हूँ।
मेरा बचपन की यादे
मुझी याद है कि बचपन में मैं बहुत शरारती थी. मेरी एक बेहें है, स्वाति। वह मुझसे चार साल बड़ी है। बचपन में, मैं उनके साथ खेलना बहुत छठी थी। लेकिन वोह और उनके सहेलिया मेरे साथ नहीं कलना छठी, और भाग जाती थी। मैं उनके पीछे दोरती थी, लेकिन मैं जल्दी थक जाती थी। उसके बाद में अपने माँ से रोई, कि स्वातिदीदी मेरे साथ नहीं खेल रही थी. माँ स्वाति को सम्जाती थी कि मैं छोटी हूँ, औरअपनी बेहें के साथ खेलना चाहिए। तब में मुस्कुरायी।
बचपन में मुझे फिल्म देखने बहुत अच्छा लगता था। मेरा परिवार बहुत हिंदी और डिस्नी फिल्म देखते थे। बचपन में मेरी मन पसंद फिल्म थी हम आपके है कौन, और “अलादीन”। मैं छठी थी कि एक दिन मैं एक बड़ी फिल्म स्टार बनुगी। अब मुझे फिल्म स्टार बना कोई इच्छा नहीं है, लेकिन फिल्म देकना अभी भी बहुत पसंद है।
मेरे बचपन की स्मृतियाँ
एक बार मैं कुछ मशीनों को उपयोग करना चाहता था लेकिन मेरे पास कोई बुद्धि नहीं था क्योंकि मैं नहीं कर सका। इसिलीये मैं ने पाताल पर फेंका और थोड दिया। 111
बचपन में मैं अपना पिताजी के साथ चेस खेलता था लेकिन छोटा साल में मैं हमेशा हरता था। मेरी इच्छा जीतना का था इसके लिये मैं रोज खेलने लगा और एक साल मैं मास्टर बन गया। मेरा दोस्तों ने बहुत कोशिश किया था मुझे हराने से लेकिन नहीं कर सका। पूरा स्कूल में मैं चम्पिओं बन गया लेकिन अब में नहीं खेलता हु।
बचपन का हर गर्मी में मैं सॉकर टीम में भाग लेता मेरा खास दोस्तों के साथ। अभी ताक मेरा मन पसंद खेल सॉकर ही है। मेरा पिताजी हमेशा कुछ संतरे लाते हाफ्तैम के लिये। दादा, दादी, छोटा भाई, और माँ हर खेल में आते और झोर से मेरा नाम चिल्लाहते।
मेरा बचपन
जब मैं छोटी थी, मैं हमेशा अपने सहेलियां के साथ बहार खेलती थीं। हम साइकिल में घूमते थे और बगीचा में खेलते थे। छोटे छोटे चीजें में मज़ा आते थे। हम कभी कभी अपना माता-पिता के साथ शहर में घूमते थे। हर सप्ताहांत, हम शहर में अच्छे जगे में खाते थे। कभी हम हिन्दुस्तानी खाना खाते थे और कभी हम ब्रिटिश खाना खाते थे। इंग्लैंड में बहुत अच्छे खाने के जगे हैं।
बचपन में छोटे चीज़ करने में मज़ा आता था। अभी भी, जब भी मैं इंग्लैंड जाती, मैं यह ही चीज़ करती हूँ क्योंकि ये सब करने में, अपना बचपन का याद आता है।
मेरा बचपन की कहानी
मेरा बचपन
मेरी बचपन
बचपन में मेरी दादी हमारे साथ रहती थी। मुझे याद है की मैं और मेरी बहन उसकी साथ सेकती थी। हमने सब कुछ बनाया - बिस्कुट, केक, सन्देश। मेरी दादी बहुत ही प्यारी औरत थी और मुझसे बहुत चीज़ें सिखाती थीं। मैं उसको कहानियाँ बोलती थी और वे मेरे लिए लिखती थी क्योंकि मैं छोटी थी और मैं लिखने नहीं जानती। मैं और मेरी बहन को भी उसका खाट पर उचालती थी।
जब मैंने "किन्देर्गारतें" गया, मैंने खूब किताब पढ़ने को शुरू किया। बचपन से, मेरी माँ मेरे साथ पढ़ती थी। कभी न कभी हम बोर्देर्स गया किताबें खरीदने के लिए और घर पहुँचकर, मैं किताब पढ़ने को ख़त्म हुआ! मेरी मन पसंद किताबें राज़ की कहानियाँ थी । बचपन में, मैंने भी भरतनाट्यम और पिआनो सिकने आदि किये। मुझे नाच खूब पसंद था और इस लिए मैं अभी तक नाचती हूँ। पिआनो बजाकर, मैं संगीत प्यार करती हूँ। एलेमेंतारी स्कूल में, मैं खूब चुपचाप थी लेकिन मुझे खेलने को बहुत ही अच्छी लगती है।
हर सप्ताहांत मैं मेरा परिवार के साथ चिन्मय तपोवन गए थे। वहाँ, मैं हिन्दुत्व के बारे में सीखती थी और दोस्त मिलती थी। मैंने लोग और परमात्मा को कैसे आदर करने सिखा और मेरी संस्कृति के बारे में भी सिखा । चिन्मय तपोवन में सब लोग दूसरी लोग को प्यार करते हैं । मैं यह सब खूब "मिस" करती हूँ क्योंकि मैंने उस दिनों में नहीं "अप्प्रेसिअते" किया।
- नीना
मेरा बचपन
प्रेस्कूल में मेरा सबसे अच्छा दोस्त जैक और मैं हमेशा साथ खेलते थे। हमारा पसंदीदा शो पॉवर रंगेर्स था तो हम अक्सर पॉवर रंगेर्स का नाटक करते थे। बड़ा मजा आता था। हम दोनो रोज झूला भी झूलते थे। प्रेस्कूल ग्रदुअतिओन में जैक और मेरी दोस्ती सबसे अच्छा दोस्ती का अवार्ड मिला।
जब मैं एलेमेंतारी स्कूल में था तब पढाइ में अच्छा करने के साथ में बहुत मजे भी करते था। मुझे रीसस बहुत पसंद था। क्लास में शो एंड तेल (देखाई और बोलना) करने मुझे बहुत दिलचस्प लगता था। एक शो एंड तेल के लिए में अपने बतख के बच्चे को स्कूल लेगाया था। बतख के बच्चे का नाम मैंने चकी रखा था। चकी क्लास में दोरने लगा। मेरे शिक्षाख और बच्चों को यह बहुत पसंद आया। सब मुझे चकी के बारे में सवाल करने लगे। वह क्या खता है, कहाँ सोता है और उसकी माता कहाँ है। दुसरे क्लासके विधारती भी चकी को देखने मेरे क्लास में आये। मेरा दिन बहुत मनोरंजक था। बचपन मुझे दोस्तों के साथ स्पोर्ट्स खेलना भी बहुत पसंद था। हम रोज स्कूल के बाद बस्कित्बल्ल, बेसबाल, फुटबाल, और हक्की खेलते थे। कभी कभी खेलने के बाद हम स्लीपोवेर्स भी करते थे। हम एक दोस्त के घर रात में रह जाते थे। रात में सोते कम और खेलते ज्यादा थे। बहुत मस्ती करते थे। अक्सर अंग्रेजी फिल्में के विडियो देखते थे। लिओन किंग हम सब की पसंदीदा फिल्म थी। मेरे भाई और दोस्तों के साथ हस्ते खेलते गुज़रा।
काम और खेल
जब हम "फ्लैट सुर्फुसुज़" खेल रहे थे हमको घर साफ़ करना पड़ते थे | हमारी माँ अनाज्घर में थी और हर १५ - २० मिनट वह घर आकर देखने कि सब ठीक हो जाता था | इस लिए किसी खिड़की के नजदीक "ब्रूम" (कूचा) के साथ खड़ा रहता था और अगर माँ देखे तो चिलाकर फर्श बुहारने लगता था |
बचपन में मेरी भाई-बहनें और मैं मकई बड़ा खेत से खेत काटे थे | मेरे परिवार के पास बहुत एकड़ मकई | मेरी माँ एक कहानी कहती थी कि एक सुरूप "मकई की पूरी" थी और अगर हम सारे खेत से मकई खेत काटे तो मकई की पूरी हमारे लिए मिठाई देते थे | हर साल मेरी माँ एक पहेली लिखती थी और अगर हम पहेली खोले तो मिठाई मिलते थे |
बचपन में बहुत ज्यादा कपड़े धोती थी | हर दिन मुझको और अपनी दो बहनें को कपडे धोने पड़ते थे | सवेरे को हम कपडे धोती थी, उसके बाद हम "लाइन" पर कपड़े लटकाती थी और दोपहर में घर के अन्दर लाकर कपड़े तह करती थी | हम हर दिन यह "रूटीन" ऐसे करती थी |
बचपन में बहुत सारे काम करती थी लेकिन मेरा बचपन बहुत मजेदार ओर खुश रहता था |
Saturday, 23 January 2010
आशिमा की बचपन की स्मृतियाँ
मेरी बचपन की स्मुतियाँ
Wednesday, 20 January 2010
Wednesday, 13 January 2010
सर्दियों की छुट्टियाँ और मैं
Tuesday, 12 January 2010
मेरी छुट्टी
नया साल बनाये के लिए में अपने परिवार के साथ शिकागो घुमने गया। हम सब ह्यात्त होटल में ठहरे। दिन में मेरी माँ हममें कपड़ा की खरीदारी के लिए लगाई। मैं ने अपने लिए बहुत सारे कपड़े खरीदें। वहां के मॉल और दुकाने बहुत सुन्दर ते। हम सब को वहां घुमने में बहुत मजा आया। रात में हम देवों स्ट्रीट पर चलें। वहां काफी सर्दी थी, फिर भी तरह तरह की हिन्दुस्तानी दुकाने में सामान खरीदना अच्चा लगा। मैं पान की दूकान में मीता पान खरीदा। वह पान स्वादिस्ट था। चार दिनों के बाद हम वापस मिशिगन आये। शिकागो के सफ़र के बाद मैं दो दिन आराम किया। मैं फूत्बल्ल गेम तेवे पर देखा। मेरी सर्दी की छुट्टियों बहुत व्यस्त थीं।
Monday, 11 January 2010
जेकब की छुट्टियाँ
मेरी सर्दी की छुट्टिया
एक हफ्ते के बाद हम वापिस मिचिगन लोटे. फिर घर पर और आराम किया. मैं अपनी बहन के साथ एक दिन हमारे माता-पिता के लिए खाना बनाया. हम ने हरी मिर्च में चावल भरा और सेंका. मज़ा आया, और खाना भी अच्छा लगा! नए साल के लिए मैं ने कुछ ख़ास नहीं किया, रात में घर पर एक फिल्म देकी. सुबह में मेरा परिवार के साथ मंदिर गए, और हम ने पूजा की.
बाद में मैं अपनी दोस्तों के साथ इओवा गयी. वहा हम ने लिओन किंग का शो देखा. मुझे ये शो बहुत पसंद है. लेकिन हम गाड़ी लेकर गए, और बहुत लम्बी सेर थी. अब मैं वापस कॉलेज आ गयी हूँ, और अपने कक्षे के लिए तैयार हूँ.
Sunday, 10 January 2010
मेरी सर्दी की छुट्ट्याँ और मै
पिछले सेमेस्टर मे हिंदी की परीक्षा मेरी आखरी परीक्षा थी। मेरे काफी दोस्तों भी छुट्टी पर थे। रोज़ हम कुछ नया-नया करते थे। कुछ दिन हम बाहर क्लुबो मे जाते थे तो कुछ दिन हम दोस्तों के घर मे बोर्ड गेम या विडियो गेम खेलते थे।
इस छुट्टी मे मैने बहुत काम किया, बास्केटबाल खेला, और फिल्मे देखी। आवतार बहुत अच्छी फिल्म थी, शेर्लोच्क होल्मस ठीक-ठीक थी।
मै माँल मे क्रिस्त्मस की खरीदी करने गया था। मेरे माता-पिता के लिए मैने कार स्टार्टर खरीदा, मेरे भाई के लिए कमीज़ और कफ्फ्लिंक्स खरीदे, और मेरी दादी के लिए चादर। मुझे क्रिस्त्मस के उपहार मे दो पैकेट मोज़े मिले।
नया साल मनाने के लिए मेरे कोई दोस्त शिकागो गए। मै नहीं जा सका क्योकि मुझ को काम पर जाना पड़ा। मैने नया साल अपने घर पर, मेरी माँ के साथ मनाया।
छुट्टी मे मैने बहुत मज़ा और आराम किया लेकिन अब मै इस सेमेस्टर शुरू होने के लिए तैयार हूँ।
सर्दी की छुटिटयाँ
तब अगले दिन मेरे मम्मी, पापा, और भाई आ गए। उस रात हमने ब॒ढ़िया हिन्दुस्तानी खाना खाया और फिर हम सब दो घंटो के लिए ताश खेले। एस के बाद हम टीवी पर विदीओ गैम्स बहुत देर तक खेले। फिर हम सो गए क्योंकि अगले दिन क्रिसमस था। हम बच्चों ने उठकर गिफ्ट्स खोलने लगे। हम सब बहुत खुश थे और हमें बहुत ही मज़ा आया। एस के बाद हम आठ लोग तैयार होकर बहर बैडमिंटन">बैडमिंटन खेलना शुरू करे और हम पांच घंटों के लिए खेले। फिर सारा दिन और रात हम घर में गुज़ारे क्योंकि हमारे शारीर बहुत दुख रहे थे।
अगले दो दिनों के लिए हम बहार घुमे और बहुत कुछ देखे, जैसे गोल्डेन गाठ, स्तान्फोर्ड उनिवेर्सित्य का काम्पुस, और तोड़ी बहुत शौपिंग भी की। फिर एन दो दिनों के बाद हम एक बड़ी सी गाड़ी ले कर तीन दिनों के लिए घुमे। मेरा मतलब है की तीन दिनों के लिए हम एक बड़ी गाड़ी में सोये, खाए, खेले, और घुमे। ये तीन दिन बहुत ही अच्छे थे क्योंकि मैं यह पहले कभी नहीं कि।
नए साल मानाने के लिए हम सब कोई हिन्दुस्तानी पार्टी में गए, और वेह पार्टी बहुत ही बेधन थी, मैं तो से नहीं पाई। लेकिन अगले दिन मेरा परिवार वापस घर चला गया। तो मैँने आखिरी तिन दिन मेरे दोस्त के साथ बिताए। मेरी दोस्त के साथ मैँ तोड़ी शौपिंग कि, फिल्म देखि, और बहुत सारी बाते करी। और फिर मैँ उनिवेर्सित्य वापस आ गयी।