इस गर्मियों में मैं हिमाचल प्रदेश जाउंगी और इस लिए मैं हिमाचल प्रदेश का मेलों के बारे में लिखूंगी | हिमाचल का राजधानी में, शिमला, 'लावी' का मेला नवंबर में मनाया जाता है | कहा जाता है कि लावी मनाया जाता है क्योंकि एक बहुत ख़ास अनुबंध तिबेट और बुशहर प्रदेश के बीच में हस्ताक्षर किया था | लावी मेले के लिए गल्लाबान रामपुर आते हैं और ऊन, किशमिश और औषधि बेचते हैं | लोगों गुल्लाबान को कपड़े और अनाज बेचते हैं | अधिकतर लोग बहुत सारी चीजें बेचते-खरीदते हैं लकिन लोग भी लावी मेले के लिए नाचते - गाते और कुछ संस्कृतिक तमाशा देते हैं |
एक दूसरा मेला हिमाचल में मनाया जाता है 'पत्थर का खेल' है | मैं सोचती हूँ कि एक बहुत अजीब त्यौहार है क्योंकि लोग दुसरे लोग पर पत्थर मारते हैं | कहते है कि जब कोई खून देते हैं तब लोगों को देवी काली को प्रदान करना चाहिये | कहते हैं कि प्रदेश के नेता कि पत्नी 'पत्थर का खेल' का दिन पर 'सटी' की हैं | इस त्यौहार नवम्बर मैं भी हैं |
तीसरा मेला है गसोता में मनाया जाता है | कहते है कि बहुत साल से पहेले एक आदमी ख़त में काम कर रहा था और अपना 'plough' एक बड़ा पत्थर टकरा गया और पत्थर से दूध और खून छलक गाये | लोगों ने पत्थर चलानी कि कोशिश किया लेकिन आधिक सघन (heavy) था और लोग पत्थर नहीं चला पाए | इस लिए लोगों ने एक मंदिर इस जगह पर बनाए | त्यौहार जेष्ठ में (मई -जून) मनाया जाता है और लोग पत्थर पर पूजा करते हैं | आजकल इस जगह पर एक बड़ा गाय का तमाशा देते है |
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