Saturday 22 October 2011

जब मैं उदास थी - Rina Joshi

एक रात जब मैं सो रही थी, मेरे पिताजी अचानक उठ गया. उठ ने के बाद फोन बजने लगा. मेरे पिताजी फोन उठाकर कुछ नहीं बोला. फिर उसके चेहरा पर आँसू गिर गए. दस मिनट के बाद मेरे पिताजी ने उसके चेहरा साफ करके मेरी माँ के पास गया और उसको कहा की मेरी दादी माँ मर चुका हैं. जब मेरे पिताजी फोन पर बात कर रहा था मैं उती और सब कुछ सुना. वह सुबह मेरे पिताजी और मेरी माँ मुझको कहा की मेरी दादी माँ इस दुनिया में नहीं रही. फिर हर दिन मैं बहुत उदास थी. सब कुछ टीक नहीं था. मुझको खाना या नाचना या पदी कर नहीं सकती. मैं मेरा बिस्तर पर बेठी और रो गयी. मेरी दादी माँ एक आच्छी इन्सान थी. वह बहुत सुन्दर थी, अन्दर और बहार.  मैं और मेरी दादी माँ बहुत करीब नहीं थे. वह भारत मैं रहेती थी लेकिन सब लोग कहते हैं की मैं और मेरी दादी एक जैसे दिखते हैं. जब मेरे पिताजी रो रहे थे, मुह्ज्को बहुत दुखी हुई थी क्यूंकि मेरे पिताजी कभी नहीं रोते हैं. इसलि मैं भी रो गयी. उस दिन मेरी यादें मैं रहता है. यह एक ठंड जनवरी दिन था. उस रत मुझको एक पार्टी में जाना था. मैं ने मेरी माँ से पुछा की मैं जा का नहीं. और उसने कहा की मैं पार्टी में जाना होगी क्यूंकि मैं ने हा कहा. पार्टी में मैं बहुत उदास थी. लेकिन मैं मुस्कुराकर गयी. पार्टी के बाद मैं वापस घर गयी और सो गयी, क्यूंकि सोने के बाद दुक कम हो जाता है. 

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