Sunday 23 October 2011

मेरा बुरा दिन - Amee Bhatt

दो या तीन हफ्ते पहले एक दिन बहुत ख़राब थी | मैं वह दिन बहुत कुछ करना चाहती थी, लेकिन अंत में मैं ने कुछ खास नहीं की | मैं सुबह में सात बजे उतना चाहती थी, लेकिन मेरी घंटी नहीं बजी | इस लिए में गलती से नौ बजे उठी और मैं आधे घंटे से शुरू होने के बाद क्लास में आई | यह अच्छी नहीं थी क्यूँ कि मैं ने एक चाप्टर के बारे में बाते नहीं सुनी, और क्लास के बाद मुझ को ज्यादा पढना पड़ा | क्लास जाने की जल्दी में मैं ने मेरी होमवर्क घर पर भुल्गाई | मैं बहुत नाराज़ थी क्यूँ कि मुझ को मालूम थी कि मेरा अध्यापक देर में होमवर्क नहीं लेता और मैं ने होमवर्क करने किये बहुत समय गुज़री | क्लास के बाद  मैं खाने के लिये कैफटिरीअ में गयी | मैं एक दोस्त के साथ बात कर रही थी और मैं ने नहीं देखा कि मेरा पिचा एक लड़का था | उस के हाथ में एक बरतन था और बरतन में गरम सूप था | मैं ने गलती से उस को टकराया और मेरे कपड़े और ज़मीन पर सौप घिरा | मैं ने कई बार माफ़ी मांगी | लड़का ने कहा कि कोई बात नहीं, और वह सब कुछ साफ़ करेगा, लेकिन मैं फिर भी साफ़ करने के लिए उस की मदद कि | शाम में मुझ को खाने का वक़्त नहीं मिला क्यूँ कि तीन घंटे के लिए मैं रास कि प्राक्टिस में थी | मैं दस बजे वापस आई, लेकिन एक घंटे से कैफटिरीअ बंद थी | रात में मैं यह बुरा दिन बुलने के लिए मैं सिर्फ सोना चाहती थी | 

No comments:

Post a Comment