Sunday 23 October 2011

सब से उदास दिन

दो साल पहले, जब मैं केवल सत्रह साल की थी, मुझको आपनी घर छोड़ के एन अर्बोर में कॉलेज शुरू करना था. मैं बहुत उदास थी क्यों की मैं इस से पहले अपने माँ, पापा और भाई के बिना कभी नहीं रही.  इस लिए मैं अभी आपको इस दिन के बारे में बताऊंगी.
शुरुवाद एक रात पहले होती है जब मैं माँ और पापा के साथ कॉलेज की तैयारी कर रही थी. मेरे सब कपडे गाडी में थे. मेरी माँ ने बहुत सारा खाना बनाया ताकि जब मुझको घर की याद आई तब मैं माँ का बना हूआ खाना खा सकती हूँ. मेरा कमरा खाली था, कुछ नहीं बचा था. मुझको याद हैं की उस रात में अपने खाली कमरे में सोच रही थी की अब यह घर नहीं हैं. अब मेरी  ज़िंदगी में बहुत कुछ बदल जाएगा. नया कमरा नए लोग, नयी शहर.
सुबह जल्दी उठकर मैं ने नहा धोकर, सुस्त हो के खाना खाया. माँ और पापा तैयारी में लगे थे. भाई भी हार्बर में काम कर रहा था. अभी भी मुझको अजीब लग रहा था, जैसे की मुझको नहीं जाना था. पर बिना कुछ कहे कर मैं ने माँ और पापा की मदद की. दो-तीन घंटे में हम सब गाडी में थे और पापा गाडी चला रहे थे. अब मैं कुछ नहीं कर सकती थी. 
जब मेरे माँ, पापा, और भाई वापस घर चले गए मुझको बहुत अजीब लग रहा था. उनकी बहुत याद आ रही थी. लेकिन थोड़ी देर में मुझको समाज में आया की कभी-कभी जो बहार से बहुत मुश्किल लगता, आसानी से बन जाता हैं.  समय लगता हैं, पर ख़ुशी वापस आ जाती हैं.  जीवन में बहुत बदलावे होती हैं पर उनके के बावजूद भी हम खुश रहे सकते हैं.

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