Saturday, 22 October 2011

जब मैं उदास थी - Neha Garg

एक दिन जब मैं क्लास के लिए घर से निकल रही थी, मेरे पिताजी का फोन आया था. मेरे माता-पिता अमेरिका में नहीं रहते तो में सोच रही थी की मेरे पिता इतना सुबह-सुबह क्यों फोन कर रहे थें. जैसे मैंने फोन उठाया मेरे पिताजी ने कहा की उनके पास बुरा खबर है. फिर उन्होंने मुझे बताया की मेरे नाना की मौत हो गया. उस वक़्त मैं कुछ नहीं बोल सकी, मुझे विश्वास ही नहीं हो रही थी. मेरे नाना बिल्कुल ठीक थें, और फिर एक दम से यह हुआ. बाद में मेरे पिताजी ने बताया की मेरे नाना को "हेअर्त अत्तैक" हुआ था. जब मैंने फोन राखी, मैं एक दम रोने लगी. मेरे दोस्तों सब सो रहे थे क्योंकि सिर्फ मेरे पास सुबह की क्लास थी. मैं फिर बे मन से क्लास के लिए गई. क्लास में बैठकर मुझे सिर्फ रोने का मन था लेकिन मुझको सब के सामने नहीं रोना था. मुझे तो सिर्फ अपनी माँ से बात करनी थी. क्लास के बाद मैंने तीन चार बार अपनी माँ को फोन किया और जैसे उन्होंने फोन उठाया मैं फिर से रोने लगी. माँ ने मुझे संजय की ज़िन्दगी में ऐसे चीज़े होते हैं और हमको सब मजबूत रहना चाहिए. मैं अपनी माता-पिता को मदद भी नहीं कर सकती थी क्योंकि वे भारत में थे और मैं अमेरिका में थी. मैं भारत जाने वाली थी ताकि मैं अपनी बेहें और माता पिता के लिए थी लेकिन माँ ने मना करदिया था. मैं और अपनी जुड़वाँ भाई जो कनाडा में पढता है एक दुसरे से बात कर रहे थे और मेरे दोस्तों भी मुझको मुस्कुराना करने की कोशिश की. मैं अभी भी नाना को याद करती हूँ. 

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