Monday 24 October 2011

ek udaas din

मैं जब चोट्टी थी, मैं मेरे परिवार के साथ डिस्नी-वर्ल्ड गयी. मैं चार साल की थी. हम सुबह से लेकर शाम थक मगिक किन्ग्दोम में रुके, और मौका लेकर सब रिडे-विदे पर गए. दोपहर में हमने एक अच्छे होटल में खाना खाया, और निकलने-वक़्त मैंने एक मानुष देखा. उसके हाथ में एक बड़ा लोल्लिपोप-कैंडी थी. मैंने मम्मी को कहाँ की मुझे वह बड़ी कैंडी चाहिए. जब मम्मी मुड़ी, तो देखा की वह पुरुष गायब हो गया था.  दो घंटे के बाद मैंने फिर से वह बड़ी कैंडी देखि-- इस बार एक छोटे बच्चे के हाथ में. मैंने फिर से कहाँ "मम्मी! मुझे वब कैंडी चाहिए!" मम्मी फिर से मुड़ी-- और देखा तो वह छोटा बच्चा भी गायब हो गया था. "कौनसा कैंडी, बेटा?" मम्मी ने पुछा. मुझे बहुत घुसा आया. बाद में शाम को हम होटल लौटे, पर मुझे बड़ी लोल्लिपोप-कैंडी नहीं मिली. मुझे अभी भी उदासी महसूस करती हूँ जब में इस दिन के बारे में सोचती हूँ. 


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