Saturday 22 October 2011

जब में उदास था- गनमन सिंह

एक दिन बहुत पहले जब में छोटा था मैं बहुत उदास था. मेरे पिता जी न मुझे वादा किया था कि वह मेरे लिये एक खिलौना वाली गाड़ी लेकर लाएगा. इस लिया मैं सुबह जल्दी उठ गया था. मैं जानता था कि मेरे पिता जी चिकागो से अन्न अर्बोर सुबह में पुहंचे गया. इस लिए में ने जल्दी उठकर सुब काम कतम करलिये. में ने सब से पहले तो ब्रुश किया और उसके बाद में ने शोवेर किया. माता जी अभी तक सो रहे था थो मैं ने उनको उठाया. पहले तो वह बहुत गुस्सा हुए लेकिन उसके बाद वह कुश होगे.उनको पता नहीं था कि पिता जी आज आ रहे हैं वो भी सुबह में. मैं ने अपने सब से अच्छे कपड़ा पहने और इन्तजार करना शुरू किया. तब सुबह के दस बजे हुए था. में बहार अपनी पोर्च पे बैठकर उनका इन्तजार कर रहा था. धीरे धीरे समय जाने लगा. पहले बारह बजे उसके बाद दो बजे. फिर मैं ने दोपहर का खनना खाया. तब तक मैं बहुत उदास हो चुक्का ता लेकिन मेरी माता जी ने कहा पिता जी आ जहाँ गया. में फिर से इन्तजार करने लगा लेकिन फिर वाहे हुआ. धीरे धीरे पांच बजगे और उसके बाद थो शाम भी होगी. पिता जी नहीं आहे और मैं बहुत उदास था. मैं ने सोचा कि यह कितना बुरा दिन था. मैं छोटा था इस लिए मुझे पता नहीं था कि हर चीज़ इस दुनिया में समय पर नहीं होती और मेरे पिता जी को कोई काम होगा. वह इस लिए नहीं आ सके. वह फिर भी मुझसे बहुत प्यार करते हैं और वह भी अवश्य उदास हुए होगे ना आने पर.

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