जब मुझे ढूकी लगी
एक दिन मैं स्कूल के लिए छ बजे उठकर नहाया. जब मैं ऊपर गया, मेरी माँ और मेरे पिता रसोई में थे. मैं ने सोचा कि वे क्या कर रहे थे. मेरे पिता फ़ोन पर थे और मेरी माँ सोफा पर रो रोकर बैटी थी. जब मैं उस को धेका, मुझे डर लगा. थोर्डी देर बाद, मेरे पिता ने फ़ोन नीचा किया. फिर मेरी माँ ने कहा कि मेरी दादी मर गई. एकदम मैं परेशान हुआ. मैं अपनी बहन को बुलाकर मेरी माँ के साथ बैटा. दो महीने पहले मैं भारत में था और मेरी दादी को मिला. मेरी दादी जानती थी कि मैं डॉक्टर बनाना चाहता हूँ. उस ने कहा कि जब वह मर जाती है, कि मैं उस के ऑंखें निकालूँगा और एक पतिएन्त को दूँगा. बचपन से मेरी दादी सब से अच्छी संबंधी थी. जब मैं छोटा था, मैं ने उस के साथ बहुत खेल खेले. वह मेरा परिवार के साथ बहुत देर तक रहती थी. और अब वह यहाँ नहीं है. उस दिन बहुत मुशिकल था. मैं स्कूल में नहीं रहता था. मुझे सिर्फ कमरे में अंदर रहनी चाहिए. एक हफ्ते के बाद मेरे पिता भारत को गए. मेरे पिता खबी नहीं परेशान होते हैं, लेकिन इस हफ्ते वह बहुत परेशान थे.
मैं ने भारत का परिवार फोन किया और उन के साथ बात की. सब लोग परेशान थे. मेरी दादी बहुत अच्छी थी और मैं ने
उस को बहुत प्यार किया. मेरी दादी इतनी होशियार थी और हर दिन मैं सोचता हूँ कि वह आज कहाँ है और वह क्या कर
रही है.