होली एक त्यौहार है जो हिन्दू लोग मानते है. वे वसंत में मानते है. होली में सब लोग हर रंग का पौउदर एक दुसरे पर पंकते है. इस त्यौहार की बहुत सरे कथे है. एक कथा है की हिरान्यकशिपू, सब राक्षस का रजा, ब्रह्मा से बून मिला और इस बून की वजह से हिरान्यकशिपू दिन या रात, घर के अन्दर या बहार, दुनिया या आसमान में, आदमी या जानवर से, और आस्ट्र या शास्त्र से नहीं मारा सकता है. इस के बाद हिरान्यकशिपू अभिमानी बन गया और उन्होंने मांग की के सब लोग भगवान को नहीं उनको पूजा करें. लेकिन हिरान्यकशिपू का बेटा, प्रहलाद, भगवन विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था और वह फिर भी भगवान विष्णु का पूजा करता था. हिरान्यकशिपू प्रहलाद को मारने की कोशिश बहुत की. लेकिन वह नहीं मरा. हिरान्यकशिपू का अंतिम प्रयास में वह प्रहलाद को उनकी बहन, होलिका, की गोद में डालके जलने की कोशिश की क्योंकि होलिका को भी बून दिया गया था और वोह आग से नहीं जल सकती थी. जब जलने की कोशिश की थो होलिका जल गयी और प्रहलाद बच गया. होलिका की जलने में होली मानती है. दूसरी कथा है की भगवन विष्णु संध पर नरसिम्हा की सार्म में आकर हिरान्यकशिपू को मार दिया. तीसरी कथा है की वृन्दावन और मथुरा में होली सोलह दिन के लिया मानती जाती है. इन शाहेरों में होली मनातही जाती है राधा और श्री कृष्ण के प्यार के लिए. एक और होली का कथा है की कामदेव की है. कामदेव प्यार का भगवन है. कामदेव पारवती को मदद किया जब पारवती और शिव जी ने शादी करनी थी. कामदेव ने अपना हाथ्यार शव जी को मारने की कोशिश की लेकिन शिव जी ने अपनी तीसरी आँख से उसको देखा और वह मर गया. कामदेव की पति के लिए वह वापुस जिंदा किया लेकिन सिर्फ मानासिव छवि जैसे. इस कहने में होली साचा प्यार के लिए मनाता जथा है.
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