इन दिनों अर्थव्यवस्था सभी के लिए एक चिंता का विषय है। अर्थव्यवस्था गिर रहा है और विशव में लोग नौकरी खो रहे हैं। इसके कारण बेरोजगारी की दर बढ़ रही है। लेकिन अंतिम परिणाम जरीबी है।
भारत की आजादी के बाद से गरीबी अब भी एक प्रमुख मुद्दा है। भारत में गरीबी अब भी मौजूद हैं क्योंकि ग्रामीण भारतीयों अप्रत्याशित कृषि आय पर निर्भर करते हैं। कभी कभी मौसम बहुत अच्छे होते है और उनको बहुत फसल मिलते हैं। कभी कभी मौसम बहुत खराब होते हैं, और तब उनके फसलों के बहुत नुकसान होते है। उस समय के दौरान वे वास्तव में अपने आय के स्रोत पर नियंत्रण नहीं है। कई बार ग्रामीण भारतीयों बेहतर आय के स्रोत या नौकरी के लिए शहरों में उम्मीद लेकर जाते हैं। लेकिन गरीबी सिर्फ गांवों में प्रचलित नहीं है, शहेरों में भी बहुत गरीबी हैं।
शहरी भारतीयों दुर्लभ नौकरियों पर भरोसा करते हैं। शहर की जनसंख्या दिन पर दिन बढ़ती हो रही है और एक नौकरी मिलना बहुत मुश्किल है। जनसंख्या गरीबी के लिए एक प्रमुख कारण है। भारतीय परिवारों आमतौर पर बहुत बड़ा है और इसका मतलब है कि प्रत्येक परिवार के संसाधनों और रहने की जगह की बहुत जरूरत है। मगर उनके संसाधनों या रहने की जगह नहीं बढ़ती है। भारत में संसाधन और धन के वितरण असमान है। इस असमानता विभिन्न शहरों और गांवों के लिए अलग गरीबी अनुपात बनाता है। यह भारतीय केस्ट सिस्टम का एक परिणाम है। इसलिए गरीब लोग सबसे ज्यादा कष्ट करते हैं।
सरकार गरीबी दूर करने के लिए कई कार्यक्रम का विकसित किया है। लेकिन फिर भी अमीर लोग सिर्फ अमीर हो रही है और गरीब लोग दिन पर दिन सिर्फ गरीब हो रहे हैं।
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