Sunday, 10 April 2011
गुजरात के कठिन साले: गुजरात भूकंप २००१ और गुजरात दंगों २००२ (प्रियांग बक्षी)
भारत के गुजरात प्रदेश में जनवरी २००१ में एक बहुत बड़ा भूकंप हुआ था। यह भूकंप गुजरत के भुज राज्य में शुरू हुआ था। लेकिन इस भूकंप का प्रभाव गुजरात के अहमदाबाद और वड़ोदरा जैसे शहरों में भी हुआ था। यह भूकंप छ्ब्बीश जनवरी के सुबह हुआ था। यह दिन भारत का गणतंत्र दिवस भी था। भूकंप दो मिनट के लिए चला था और इसके कारण गुजरात प्रदेश में खूब नुकसान हुआ। बहुत सारी इमारतें गिर गए और लोगों के मकानों की चीजें भी टूट गई। भूकंप की वजह से कोई बीस हजार बेगुनाह लोग मर गए और छे लाख परिवारों ने अपने घर खो लिया (http://www.globaleducation.edna.edu.au/archives/secondary/casestud/india/2/earthquake.html)। भूकंप के कारण गुजरात में यातायात, बिजली, और पानी के समस्ये भी थे।
इस दिन मैं भारत में था। यह दिन मेरी जान भी खतरे में थी। इसलिए में इस दिन को अशुब मानता हूँ। परन्तु अब में छ्ब्बीश जनवरी को एक शुब दिन मानता हूँ क्योंकि २००७ और २०११ के छ्ब्बीश जनवरी के दिनों मुझे मेरी पहली पसंद के विश्वविध्य्लायों में दाखिल किया गया था।
अब में गुजरत के २००२ के दंगों के बारे में बात करूँगा। सत्ताईस फरवरी २००२, एक मुस्लमान टोली ने एक रेल-गाड़ी के डिब्बें में आग लगायी। ट्रेन अयोध्या शहर से आ रही थी और रेल-गाड़ी के डिब्बें मैं सिर्फ हिन्दू लोग थे। कही लोग सोचते है की मुसलमानों ने यह हादसा मैं भाग लिया क्योंकि वह गुस्से थे की हन्दू लोग ने उनका अयोध्या का बारबरी मस्जिद को जानबूझकर तोड़ डाला। यह रेल-गाड़ी घटना से सारा गुजरात मैं हिन्दू और मुसलमान लोग के बीच दंगे शुरू हुए। अंत मैं दोनों हिन्दू और मुसलमान लोग ने बहुत कुछ खो डाला, लेकिन मेरे ख्याल मैं मुसलमान लगो पर ज्यादा असर हुआ।
गुजरात के नेता ने चुनाव जितने के लिए ये दंगों को इस्तमाल किया। बजरंग दाल एक हिन्दू संस्था है जिसने हिन्दू लोग को मुसलमान लोग के घर और व्यापार का पता दिया। यह जानकारी पाकर हिन्दू लोग ने मुसलमानों की जायजाद जलाना शुरू किया। दंगों के दौरान सरकारी अधिकारीऔ ने भी मुसलमान लोग की सहायता नहीं की। अखबारों और लोगों से पता चलता है कि पुलिस ने दंगों के वक़्त बहुत सारे मुसलमान पर जान-बुझकर गोली चलाई। मनोविज्ञान शोधकर्ताओं से पता चलता है कि बहुत सारी मुसलमान औरतें को आज तक खूब डर है और उनके मन पर तनाव हैं। अंत में दंगों कि वजह से हिन्दू से ज्यादा मुसलमान मर गए। यह दंगे ने गुजरात के हिन्दू और मुसलमान आबादी की फासलों की दुरी बड़ाई। मैं प्राथना करता हूँ कि भविष्य में हिन्दू और मुसलमान लोग मिलझुलर रहे!
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शुभागमन...!
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