Monday, 4 April 2011
मेरा सबसे अच्चा त्यौहार
मेरा सबसे अच्चा त्यौहार नवरात्री है। हर साल, नव दिन और रात के लिए, हम सारे अलग अलग पूजा करते हैं और बहुत सारे गरबा और रास खेलते हैं। हमारा परिवार गुजराती नहीं है और इस लिए हमारा परंपरा थोडा सा अलग लगता है। मेरे पिताजी बंगाल से है और माँ कर्नाटका से है। बंगाल में, सारा नव दिन एक एक नाम है। अस्थामी, नवमी और विजय दशमी सबसे महाथ्वापूर्ण दिन हैं। हम दुर्गा पूजा रकते है और सब लोग ख़ुशी से मनाया जाता है। भारत में बहुत धूम धाम से दुर्गा पूजा मनाया जाता है। बहुत मिष्टी और खाना पकाया जाता है। कर्नाटक में, हम थोड़ी सी अलग करते हैं। एक रिवाज है, उस का नाम "गोल्लु" है। नव कदम बनाया जाता है और ये कदम पर गुड़ियों लगने लगाया जाता है। पहले थीं दिन, हम दुर्गा माता को पूजा करते हैं। कह जाते है की जो लोग दुर्गा को पूजा करते हैं, वे सारा अनर्थ और बुरा गुना खुद चल जायेंगे। दूसरी थीं दिन, हम लक्ष्मी माता को पूजा करते है। लक्ष्मी धन की देवी है और इस लिए लोग उन को सफलता मांगते हैं। आखरी थीं दिन, हम सरस्वती माता को पूजा करते है। कह जाता है की वोह विद्या की देवी है और सारा लोग उन के सफलता मांगते है क्यूँ की वे बरोसा करते है की सरस्वती माता आशीर्वाद दी जायेंगे। हम गुजराती नहीं हैं, लेकिन मेरा पूरा परिवार गरबा और रास पसंद करते है। इस लिए हम हर नवरात्रि का शुक्रवार और शनिवार और कई दिन हम जा सकते हैं, हम गरबा रास के लिए जाते हैं। कहानी है की श्री कृष्ण साड़ी गोपियाँ के साथ रास/गरबा खेलते थे और इस लिए लोग यह वाली नाच करते है। इस लिए, मेरा सबसे अच्चा त्यौहार नवरात्रि है।
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