Sunday, 10 April 2011

भ्रष्टाचार और भारत

भारत में भ्रष्टाचार एक बहुत ही पुरानी और दिन पर दिन बढ़ने वाली मुसीबत है. भ्रष्टाचार शुरु होता है, जब एक बच्चा जन्म लेता है. गरीब लोग सरकारी अस्पतालों में जाते है, जो मुफत सेवा देने के, लिए होते है फिर भी वहा उनको नर्सो को उनकी देखभाल के लिए पैसा देता पड़ता है. यदि बच्चे का नसीब अच्चा हो, तो वह बच जाता है, नहीं तो मर जाता है. फिर बच्चे का बर्थ सर्तिफिक्ट लेने के लिए सरकारी अधिकारी को ऑफिस में पैसे रिशवत में देने पड़ते है तो ही बर्थ सर्तिफिक्ट मिलता है. भारत में चपरासी से लेकर ऊपर मेनेजमेंट में बैठने वाला आदमी सभी रिशवत लेकर ही अपना काम करते है. यहा तक कि आप किसी अपराध या मुसीबत की कम्पलेन पोलिस को लिखवाना चाहते है, तो वह पहले रिशवत लेता है, फिर ही आपकी कम्पलेन लिखता है. कोई भी इंटरनेशनल कंपनी भारत में व्यापार करती है, तो उनकी पहले किसी न किसी को रिशवत जरुर देना होता है, और यह रिशवत ५-१० रूपये से लेकर ५०-१०० करोड़ो रुपए की दी जाती है. भारत के नेता लोग सबसे बड़ी बड़ी रिशवत लेते है. भारत के नेता लोग सबसे बड़े भ्रष्टाचारी है, वह इस समस्या को रोकने के लिए कुछ नहीं करते है. इसीलिए भारत में गरीबों की संख्या बहुत है. वहा की सरकार अपनी जनता के साथ ईमानदारी से काम नहीं करती. भारत भ्रष्टाचार की बड़ी बिमारी से बहुत पीड़ित है. अभी भ्रष्टाचार की गुलामी से आजाद करने के लिए एक गाँधी जी जैसे समाजसेवक जिनका नाम "अन्ना हजारे" है, उन्होंने भ्रष्टाचार के विरुद्ध अहिंसक आन्दोलन के लिए प्रेरित किया. वो भारत की जनता के लिए 'उपवास' पर उतर गए, की जब तक भारत की सरकार भ्रष्टाचारीयों को सजा देने के लिए कानून नहीं बनाती, वो भोजन ग्रहन नहीं करमें, और इसमें उनकी जान भी चली जाती है तो उनको उसको परवाह नहीं है. और इसमें उनको भारत वासियों का बहुत ही सहयोग मिला और सरकार को आखिर चार दिन के बाद "अन्ना हजारे" के साथ सहमत होना ही पड़ा और भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ा कानून बनाने के लिए हाँ कह दिया. मेरे माता-पिता इस समाचार और पुरे आन्दोलन से बहुत ही खुश है, क्योंकि उनको भी एसा लगता है जैसे भारत एक बार फिर से आजाद होगा.

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