Sunday 3 April 2011

दीवाली: रौशनी की रात

मैरी मनपसंद त्यौहार दिवाली है क्यों की जो रौनक दीवाली पर होती है वोह कहीं दुसरे त्यौहार पर नहीं होती है. दीवाली हिन्दू लौगो का सबसे बड़ा त्यौहार है. जब राम रावण गो मारकर अयोध्या वापिस लौटे, तो लौग ने पूरा रास्ता दीयों से सजाया. इसके कारण, राम को अयोध्या का रास्ता पता लगा. दीयों के बिगैर राम को रस्ते मालूम नहीं होता तो इस लिए, हम दिवाली दीयों के साथ मनाते है. पूरा रात अँधेरा होता है मगर ऐसे नहीं लगता है क्यों की सब लौग अपने अपने घरो में बिजली चलाते है और दीयों भी होती है. 

अमेरिका मे दीवाली मानना थोड़ी मुश्किल होती हैं क्यों की यहाँ पर पूरी देश की चुटी नहीं होती है. मै हर साल दीवाली पर स्कूल नहीं जाती हूँ और मै अपने घर जाती हूँ. मैरी परिवार पहले पूजा करती है और फिर हम सब खाना खाते है. खाना खाने से पहले मैरी एक काम होती है. मैं हर कमरे में जाती हूँ और दीयों से हर कमरे को रौशनी देती हूँ. यह बहुत शुब चीज़ है और मुझे बहुत अच्छा लगता है की यह मेरा काम है. खाने के लिए मैरी माँ हमेशा बहुत खाना बनती है और हम सब के मन पसंद खाना होता है. हम सब साथ मै खाते है और फिर बहार जाते है और पटाके जलाते है. मेरे भाई को यह बहुत अच्छा लगता है. मुझे भी मज्जा आता है लेकिन हर साल ठण्ड बहुत होती है तो मै और मैरी माँ काफी जल्दी अन्दर जाते है. 

मेरी एक ख्वाइश है की मै एक बार दिवाली भारत मै मना पाऊ. मुझे मालूम है की वहा मुझे ज्यादा मज़ा आएगा. 

No comments:

Post a Comment