शादी से कुछ एक या दो दिन पहले, महेंदी की रसम होती है. इस में, लड़के वाले, दुल्हन को महेंदी श्रृंगार कुछ कपडे और जेवर देने जाते हैं. इस रसम को कई प्रदेशो में चुनरी रसम भी कहते है. लडकी की सहेलियाँ और घर की बाकी औरते एक साथ मिलकर हाथो पर महेंदी लगाती हैं. आजकल कई शादियों में महेंदी लगाने वाले विशेषज्ञ बुलाई जाते हैं. दुल्हन की महेंदी पर ख़ास ध्यान दिया जाता है. दोनों हाथो में, और आजकल पैरो, बाज़ू पर लगाईं जाती है. दोनों पैरो पर और नीचे टांगो तक लगाईं जाती है. फिर कई घंटो तक, महेंदी का रंग पका होने दिया जाता है. उस के ऊपर, निम्बू का रस और चीनी का घोल मिलाकर लगाया जाता है ताकी उस का रंग पका और गहरा हो. कई प्रकार के डिज़ाइन बनाई जाते है. दुल्हन के हाथो पर उस के पति का नाम छिपाया जाता है. महेंदी के सूखने की प्रतीक्षा करते करते, खूब गाना बजाना और नाचना भी होता है. घर की बाकी औरते भी महेंदी लगाती है. कई घंटो के बाद, महेंदी सूख जाती है फिर उसको पानी से उतारा जाता है. हरी महेंदी गहरा संतरी रंग हाथो पर छोड़ देती है. यह माना जाता है, की जिताना गहरा महेंदी का रंग हाथो पर लगे, उतना गहरा पति और पत्नी का प्यार होता है. शादी के बाद, दुल्हे को दुल्हन के हाथ पर महेंदी डिजाईन में छिपा अपना नाम खोजना पडता है. महेंदी की रसम के समय में कई परिवारों में उपहार भी लिए और दिए जाते हैं. लड़के वालो के घर में भी एक अलग से महेंदी की रसम होती है.
Sunday, 18 March 2012
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