Monday 19 March 2012

भारतीय शादी- Ganman Singh

भारतीय शादी एक बहुत अच्छी और अलग चीज़ थी मेरे लिया. मैं भारत गया था पहली बार सात सालों में. मुझे थो याद भी नहीं था भारत है कैसे. लेकिन जब मैं जालंदर पुहंचा मैंने देखे की यहाँ थो शादी का माहोल था. मेरे छोटे चाचा की शादी हो रही थी. इस बात को अब थो कई बरस हो गया लेकिन मुझे अभी भी याद है. हम घर के बहार पुहंचे और महने देखा की तीन बरदे बरदे टेंट लगे हुए हैं. उन में कई कई तरह की मिठाई और खनना बन रहा था. मैं थका हुआ था इसलिए मैं अपने कमरे में सो गया. जब मैं उत थो बहार रात थी लेकिन शोर-शराबा बहुत चल रहा था. मैंने बहार जा के देखा की बहुत लोग लिविंग रूम में थे. कुछ लोग नाच रहे थे और कुछ मेरे चाचा के पास बाते हुआ थे. मेरे चाचा को लोग मेहँदी लगा रहे थे मेरे पापा ने मुझे बताया. मेहँदी एक रसम हे जो पहले सिर्फ लडकियों को लगती थी लेकिन आज कल लड़कों को बे लगती है उन्होंने बताया. यह लगती है हाथ और पैर पर. इस से दूल्हे और दुल्हान बुराई से बच कर रहते हैं. जितनी जादा गहरा मेहँदी लगे उतना शूब मन जाता हैं. यह शादी के दो-तीन दिन पहले लगती है. यह एक रसम हेई जो भारत में हर जगह लगभग मनाई जाती है. इस में कोई जाति, संस्कृति, धर्म का रोक टोक नहीं होता. मैने यह पहले बहार देखा था ज़िन्दगी में लेकिन मुझे बहत मज़ा आया. वह हसी मजाक का माहोल और महने देखा की सिर्फ हात और पैर पह नहीं लेकिन मेरे चाचा के चेहरा पर भी मेहँदी लगी हुई थी. छोटे छोटे बदलो आते ही रहते हैं रस्मों में लेकिन रस्मे वाही हैं पिछले हजारों सालों से.

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